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Exclusive Pics : झारखंड में मिलीं पाषाणकाल की गुफाएं और पत्थरों के औजारों की क्या है खासियत, पढ़िए ये रिपोर्ट

Exclusive Pics : बड़कागांव (संजय सागर) : झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पसरिया टू के बाघलतवा जंगल में पाषाण काल की 10 गुफाएं, पत्थरों के औजार व शैल चित्र मिले हैं. ये विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए है. ये गुफाएं पलांडू पंचायत के पसरिया टू के अंतर्गत आती हैं, जो बड़कागांव-उरीमारी रोड पर स्थित हैं. ये गुफाएं विश्व प्रसिद्ध बड़कागांव के इसको गुफा एवं मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफा की तरह लगती हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2020 9:10 AM

Exclusive Pics : बड़कागांव (संजय सागर) : झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पसरिया टू के बाघलतवा जंगल में पाषाण काल की 10 गुफाएं, पत्थरों के औजार व शैल चित्र मिले हैं. ये विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए है. ये गुफाएं पलांडू पंचायत के पसरिया टू के अंतर्गत आती हैं, जो बड़कागांव-उरीमारी रोड पर स्थित हैं. ये गुफाएं विश्व प्रसिद्ध बड़कागांव के इसको गुफा एवं मध्य प्रदेश के भीमबेटका गुफा की तरह लगती हैं.

ये गुफाएं अब तक गुमनाम थीं. दुनिया की नजरों से ओझल थीं. अब तक ये गुफाएं प्रकाश में नहीं आ पायी थीं. यह नई खोज है. इस खोज का श्रेय प्रभात खबर के पत्रकार संजय सागर को जाता है. इन गुफाओं को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि ये पुरापाषाण काल एवं मध्य पाषाण काल के हैं. पुरातात्विक विज्ञान के अनुसार पुरापाषाण काल 25,00000 से 10,000 ईसा पूर्व व मध्य महाकाल 10 से 5000, नवपाषाण काल 7000 से 1000 पूर्व माना जाता है.

पसरिया घाटी में 10 गुफाएं विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई हैं. गुफाओं को देखने से ऐसा लगता है कि यहां पाषाणकाल में प्राचीन मानव सभ्यता का सबसे बड़ा केंद्र रहा होगा. यहां की 10 गुफाएं चारों ओर से घिरी हुई हैं. ऐसा लगता है कि यहां पाषाण काल में प्राचीन मानव की बस्ती रही होगी. छोटी- बड़ी छह गुफाएं पश्चिम दिशा में हैं, जबकि चार बड़ी गुफाएं पूरब दिशा में हैं. पश्चिम दिशा की प्रथम गुफा में शैल चित्र अंकित हैं. पत्थरों के औजार बिखरे पड़े हुए हैं. प्रभात खबर के पत्रकार संजय सागर ने इन औजारों को संग्रह कर सुरक्षित स्थान पर रखा है. इन गुफाओं के बीच में पानी का स्रोत भी है. ये पानी हमेशा बहता रहता है.

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इतिहास के शिक्षक बसंत कुमार का कहना है कि पाषाण काल में प्राचीन मानव पहाड़ी गुफाओं व कन्दराओं में रहा करते थे. यह उसी का प्रमाण है. शिक्षक अरविंद कुमार आर्यन, चंद्रशेखर रजक व मॉडर्न हाईस्कूल के प्राचार्य मोहम्मद इब्राहिम का कहना है कि बड़कागांव पुरातात्विक स्रोत का खजाना है. इन गुफाओं को संरक्षित करने की आवश्यकता है. पुरातत्व विभाग के राजेंद्र देहरी का कहना है कि पत्रकार संजय सागर द्वारा खोजी गई गुफाएं व शैल चित्र नई खोज है और अच्छी पहल है. ये गुफाएं व शैल चित्र अलग-अलग कालखंड के हो सकते हैं.

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बाघलतवा जंगल की पश्चिम दिशा में स्थित पहली गुफा की ऊंचाई लगभग 3 फीट व लंबाई 20 फीट है. इस गुफा के द्वार के ऊपर में शैल चित्र अंकित है. सांकेतिक चित्र लिपि भी है. ये शैल चित्र रक्तिम लौह अयस्क (हेमेटाइट) को कूट -पीसकर तैयार किए गए रंग में रंगा गया है. कुछ चित्र में कहीं -कहीं चूना अथवा पत्थरों से निर्मित सफेद रंग का भी प्रयोग किया गया है. इस रंग के बने चित्र देखरेख के अभाव में मिटते जा रहे हैं, जबकि लाल रंग से रक्तिम लौह से बनाए गए चित्रों में हिरन गाय एवं आदमी के चित्र अंकित हैं.

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दूसरी गुफा की ऊंचाई 3 फीट है, जबकि लंबाई 15-20 फीट है. इस गुफा में छोटे-बड़े पत्थरों के औजार बिखरे पड़े हैं. कुछ हड्डियां भी मिली हैं. इस गुफा के अंदर एक बड़ी सुरंग है, जो काफी गहरी लगती है. ऐसा लगता है जैसे किसी अन्य गुफाओं में जा मिला है. अन्य चार गुफाएं दो-ढाई फीट की हैं, जबकि पूरब दिशा में चार विशाल गुफाएं हैं. चारों में से एक नागफन आकार के चट्टान की तरह फैली हुई है. इसकी ऊंचाई लगभग 20 फीट है. लंबाई 10 फीट है. इसी गुफा के थोड़ी दूर पर 4 फीट की गुफाएं हैं. इस गुफा के दोनों ओर से द्वार हैं. इस गुफा में हिरण एवं आदमी के चित्र हैं. इसी गुफा के 30 मीटर दूरी पर स्थित दो स्तम्भ वाली बड़ी गुफाएं हैं. इसके बगल में एक और गुफा है, जो झाड़ियों से छुपा हुआ है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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