Exclusive : बोले शेखर सुमन – मुझे लगता है कि सुशांत का मर्डर हुआ है…

shekhar suman, sushant singh rajput, murder : सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म को लेकर बहस छिड़ गयी है. इस बहस में अभिनेता शेखर सुमन (Shekhar Suman ) भी शामिल हो गए हैं. वे साफतौर कहते हैं कि बात नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म की नहीं बल्कि गैंग की है और ये गैंग अंडरवर्ल्ड गैंग की तरह खतरनाक है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2020 5:03 PM

shekhar suman on sushant singh rajput : सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म को लेकर बहस छिड़ गयी है. इस बहस में अभिनेता शेखर सुमन (Shekhar Suman ) भी शामिल हो गए हैं. वे साफतौर कहते हैं कि बात नेपोटिज्म और फेवरेटिज्म की नहीं बल्कि गैंग की है और ये गैंग अंडरवर्ल्ड गैंग की तरह खतरनाक है. जिसे उखाड़ फेंकने का समय आ गया है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…

सुसाइड है तो सुसाइड नोट कहां है ?

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या कर सकता है.मुझे ये लग ही नहीं रहा है.ये मुझे फ़ाउल प्ले लग रहा.कुछ और ही मामला है.इतना पढ़ा लिखा और समझदार लड़का सुशांत सिंह राजपूत इतना गैर जिम्मेदार तो नहीं हो सकता कि फांसी लगाकर मर जाता है और पीछे एक सुसाइड नोट भी नहीं छोड़ता कि मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं.मैं खुद अपने मानसिक तनाव से लड़ रहा हूं.अपनी स्वेच्छा से जान ले रहा हूं लेकिन उसने नहीं लिखा तो दोषी कौन हैं. कौन ये माफिया या गुंडे हैं.जिन्होंने सुशांत का मर्डर किया है.जांच पड़ताल होनी ही चाहिए.

अंडरवर्ल्ड गैंग की तरह फ़िल्म गैंग है ?

हर व्यवसाय में नेपोटिज्म रहा है.डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, पॉलिटिशियन का बेटा पॉलिटिशियन तो एक्टर का बेटा एक्टर बने तो क्या बुराई है. एक एक्टर अपने बेटे या भाई के लिए फ़िल्म बना रहा है तो कोई बुराई नहीं है. उनका पैसा है लगाए. नेपोटिज्म से नहीं गैंग से परेशानी है. जब गैंग हो जाता है तो ये आपको काम ही नहीं करने देता है. आपको उस फिल्म से निकलवा देना. अपने म्यूजिक डायरेक्टर्स को फिट करना. अपनी हीरोइन्स को लेना. ये जो हो जाता है. ये बहुत गलत है. एक वक्त था जब बंबई में अंडरवर्ल्ड गैंग था. जो सर उठाता था उनको कुचल देना.ये इंडस्ट्री के अंडरवर्ल्ड गैंग हैं उनका काम है बड़े बड़े सितारों को कॉन्ट्रैक्ट में रख लो.अपना नाम कमाओ.पैसे बनाओ.स्टूडियो को दबोच लो.थिएटर दबोच लो.इनका पूरा दबदबा रहता है.ऐसे में कोई बाहर से आता है.वो एक्टर बन जाता है और बड़ा हो जाता है तो इनको तकलीफ होती है कि हमारे बिना ये कैसे बन गया. बुलाओ इसे हमारे तलवे चाटे, चमचागिरी करे.अगर चमचागिरी कर ली तो ठीक है. अगर उसकी आफर की हुई फिल्मों को वो ना कहता है तो फिर उसकी वो गत बनाते हैं.जैसे सुशांत को बायकाट कर दिया गया.ये फिर बहुत गलत होता है.

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गैंग से टकराना होगा ?

अगर आप इतिहास उठा ले तो आप पाएंगे कि जितने बड़े सितारें है. सबके बच्चे फ्लॉप हैं. देव आनंद का लड़का नहीं चला,मनोज कुमार का लड़का नहीं चला,जितेंद्र का लड़का नहीं चला,धर्मेद्र का एक ही बेटा चला बाकी के नहीं,राजेन्द्र कुमार का बेटा नहीं चला,फिरोज खान,संजय खान के बेटे भी नहीं चले.आमिर का भतीजा इमरान नहीं चले और सबकी छोड़िए अमिताभ का बेटा अभिषेक नहीं चला.मैं अपनी बात करूं तो शशि कपूर ने मुझे मौका दिया था.चाहते थे वो आने बेटे को मेरे वाले रोल में ले सकते हैं तो नेपोटिज्म की बात नहीं है.आज जॉन अब्राहम,आयुष्मान खुराना,तापसी पन्नू,राजकुमार राव,कार्तिक आर्यन ये सभी बाहर के हैं. आप में हुनर हैं तो आप इंडस्ट्री में नाम बनाएंगे ही लेकिन फिर आपको उस गैंग से टकराना होगा.वही मामला फिर आउटसाइडर्स एक्टर्स के लिए खराब हो जाता है.हां अवार्ड्स में नेपोटिज्म है।अपने लोगों को ही ये अवार्ड दिलवाएंगे.ये बात तय है. टीवी के कई शोज में भी हैं.जहां सिर्फ शो में उनके अपने लोग ही भरे होते हैं.वो पंजाबी तो तकरीबन पूरा पंजाब ही शो में हावी रहेगा.

चतुर, चालाक और चापलूस होना पड़ता है ?

इंडस्ट्री भले ही खुद को परिवार कहती है लेकिन यहां परिवार वाली बात ही नहीं ये शुद्ध रूप से व्यवसायी जगह है.सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट वाली बात जंगल में लागू होती है यहां के लिए आपको चतुर,चालाक और चापलूस होना पड़ता है.अगर आप सिर्फ टैलेंटेड हैं तो फिर आपको रोका जाएगा।बिहार से आप हैं तो फिर उनको हीन भावना से ग्रसित किया जाएगा.आपकी जबान खराब है ये वो है. मैं अपनी बात करूं तो मुझे चापलूसी नहीं आयी इसलिए मुझे फिल्मों में मौके नहीं मिले.मूवर्स और शेखरस में किसी के बारे में बोला क्योंकि वो शो का कांसेप्ट ही था लेकिन कई लोगों को बात बुरी लग गयी कि हमको कैसे बोल सकता है. जिस वजह से मेरे बेटे को काम नहीं मिलते. मैं नाम नहीं लूंगा लेकिन मैं उनलोगों को जानता हूं जिन्होंने प्रोडक्शन हाउस को बोलकर रखा है कि अध्य्यन सुमन को काम मत देना। मेरे बेटे ने खामियाजा भुगता है.

सुशांत की कुर्बानी को जिंदा रखना है ?

ये जो गैंग है।इसको खदेड़ना बहुत ज़रूरी है. जनता को लग गया है कि ये अन्याय हो रहा है.जनता में अब सहनशीलता खत्म हो गयी है. वे खुद इस माफिया गैंग की फिल्मों का बॉयकॉट करेगी मुझे भरोसा है.सुशांत सिंह की कुर्बानी को जिंदा रखना है. चूंकि मैं भी बिहारी हूं तो सेंटीमेंट्स ज़्यादा उभरकर सामने आया है. मैं इसे मुहिम बनाने वाला हूं जो भी मुझसे जुड़ना चाहते हैं जुड़ सकते हैं ताकि आगे कोई सुशांत ना बनें ना बिहार से ना कहीं और से.

Posted By: Budhmani Minj

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