प्रतिभाशाली अभिनेत्री सुप्रिया पाठक इनदिनों ज़ी 5 पर रिलीज हो रही फ़िल्म रश्मि रॉकेट को लेकर चर्चा में हैं। फ़िल्म में वे तापसी पन्नू की मां की भूमिका में हैं।पेश हैं उर्मिला कोरी से हुई उनकी खास बातचीत
रश्मि रॉकेट में आपको क्या अपील कर गया जो आप इस फ़िल्म से जुड़ी?
इस फ़िल्म को करने की तीन वजहें थी. फ़िल्म के निर्देशक आकर्ष को मैं उसके बचपन से जानती हूं. उसके माता पिता मेरे बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं तो जब घर का बच्चा कुछ कर रहा है तो एक अलग ही गर्व वाली फीलिंग होती है कि हां मुझे करना चाहिए. फ़िल्म की कहानी सुनी तो और खुशी बढ़ गयी क्योंकि बहुत सशक्त कहानी है. यह फ़िल्म फीमेल एथलीट वर्ल्ड की परेशानी जेंडर वेरिफिकेशन को सामने लेकर आती है और तीसरा मेरा किरदार भले ही ज़्यादा नहीं है लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है. ये सब बातें थी तो फ़िल्म को हां कहना ही था.
ये एक स्पोर्ट्स फ़िल्म है आपकी कितनी दिलचस्पी स्पोर्ट्स में रही है?
दुख की बात है कि मैं कभी कोई स्पोर्ट्स खेली नहीं हूं लेकिन हां मुझे स्पोर्ट्स देखने की बहुत रुचि रही है. काफी समय तक मैं क्रिकेट की बहुत बड़ी प्रसंशक थी. मुझे फुटबॉल भी बहुत पसंद रहा है. ओलिम्पिक मुझे बहुत पसंद रहा है. उसमें जैवलिन, जिम्नास्टिक, स्विमिंग मैं बहुत चाव से देखती हूं. इस बार का ओलिम्पिक बहुत खास रहा. एक भारतीय के तौर पर बहुत सारे गर्व वाले पल ये दे गया.
अक्सर एक्ट्रेसेज को अपने रंग,रूप और साइज पर बहुत कुछ सुनना पड़ता है रश्मि रॉकेट के ट्रेलर लॉन्च के बाद से तापसी को मेनली बॉडी कहा जा रहा है क्या आपने अपने समय में इस तरह की ट्रोलिंग से गुजरी थी?
मैंने सीधे तौर पर ऐसा कुछ सुना तो नहीं है लेकिन हां मैं इस बात से वाकिफ हूं कि लड़कियों को उनके रंग,रूप और साइज की वजह से बहुत कुछ सहना पड़ता है. हम जब युवा थे तो इसी के खिलाफ मोर्चे निकालते थे. प्रोग्रेसिव बातें करते थे. हमारी बात ही यही होती थी कि औरतों में अपीयरेंस के अलावा भी बहुत कुछ कर गुजरने का माद्दा हैं. जब मर्दों में सिर्फ अपीयरेंस नहीं देखते हैं तो हम औरतों में क्यों. हमारे यूथ की तो पूरी लड़ाई ही इसी पर थी. लड़कियों को गोरा करने वाली क्रीम के खिलाफ भी हमारी लड़ाई थी.आजकल की लड़कियों से मुझे दिक्कत ये लगती है कि ब्यूटी खुद लड़कियों के लिए सबसे अहम हो गयी है. फैशन शो हो रहे हैं. पार्लर भरे पड़े हैं. एक लड़की का दूसरी लड़की से खूबसूरती को लेकर प्रतिस्पर्धा हो रही है. फ़ोन फ़िल्टर के एप से भरे पड़े हैं. जो जैसा है उसमें वो खासियत नहीं मान रही हैं.ये मुझे बुरा लगता है.
आप अपनी बेटी सना को एक माँ एक एक्ट्रेस के तौर पर क्या राय देती हैं वो भी फिल्मों में हैं?
मैं उसे यही कहती हूं कि जिस चीज़ में आपका विश्वास हो वही करो. सब जो कर रहे हैं वो मत करो. अपने तरीके से ज़िन्दगी जिओ दूसरे के तरीके से नहीं. दूसरे के तरीके से जीकर आप कभी नहीं खुश रह पाओगे. मैं इसी मजबूत विश्वास के साथ ज़िन्दगी और करियर के फैसले करती आयी हूं. अपनी बेटी को भी मैं यही सिखाती हूं.
क्या आपके इस मजबूत विश्वास की वजह से क्या कोई बड़ी फिल्म आपको छोड़नी पड़ी?
मैं नाम नहीं लूंगी लेकिन हमारे समय में कमर्शियल फिल्मों औरतों के किरदार बहुत शोषित टाइप के होते थे. मैं ऐसी फिल्मों को साफ तौर पर मना कर देती थी भले ही वो कितने भी बड़े बजट और स्टार की क्यों ना हो.
आपका बेटा रुहान कब फिल्मों में आ रहा है उसकी लॉन्चिंग को लेकर क्या तैयारी है?
आजकल के बच्चों का क्या है कि आप प्लानिंग करो. उन्हें अच्छा ही नहीं लगता है. मुझे लगता है कि वह अपने दम पर इस अगले साल तक कुछ अच्छा कर ही लेगा और दर्शकों को उसकी प्रतिभा से भी वाकिफ होने का मौका मिलेगा.
आपने ओटीटी में भी अभिनय की शुरुआत कर दी है ओटीटी अपने बोल्ड कंटेंट की वजह से अक्सर विवादों में रहा है आपका क्या कहना है?
एक ही तरह की जो रिग्रेसिव चीज़ें टीवी पर आ रही हैं. उसने उस अच्छे माध्यम को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. ओटीटी के बोल्डनेस को देखकर बीच में थोड़ा डर लगा था लेकिन जिस तरह से प्रोजेक्ट्स मुझे ओटीटी पर आफर हो रहे हैं. वो फैमिली ऑडियंस के लिए हैं तो हर तरह के कंटेंट के बन रहे हैं. ओटीटी को टिके रहना है तो यह ज़रूरी है कि वो एक तरह के हिंसात्मक और बोल्ड शोज से बाहर निकले और हर तरह का कंटेंट बनाए क्योंकि उसका मुकाबला सिर्फ भारत से नहीं पूरी दुनिया से है.
क्या निर्देशक के तौर पर भी जिम्मेदारी निभाने की तैयारी है?
फिलहाल ऐसा कुछ सोचा नहीं है लेकिन हां मेरी बेटी और मैंने मिलकर एक कहानी लिखी है पता नहीं उसमें कैमरे के सामने काम करेंगे या पीछे अभी तय नहीं किया है.