Exclusive: ए ग्रेड हीरो वाली फिल्मों में मुझे हमेशा रिजेक्शन ही मिला था -तापसी पन्नू
तापसी पन्नू ने फिल्म शाबाश मिट्ठू के लिए मिताली राज की सभी भावनाओं को महसूस करना था. इसका मतलब है उसका सुख, दुःख, गुस्सा,गर्व के साथ सभी भावनाओं को मुझे दिल से महसूस करना था.मुझे जानना था कि मिताली की सबसे बड़ी कमजोरी क्या थी.
अभिनेत्री तापसी पन्नू की फ़िल्म शाबाश मिट्ठू इस शुक्रवार सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है.यह फ़िल्म भारतीय क्रिकेटर मिताली राज की बायोपिक है.तापसी,मिताली और अपने संघर्ष में कई समानताएं भी पाती हैं.वह कहती हैं कि यह केवल क्रिकेट की फ़िल्म नहीं है. यह फ़िल्म एक लड़की के क्रिकेट की जर्नी की कहानी है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
आपने इससे पहले स्पोर्ट्स ड्रामा की फिल्में की हैं,शाबाश मिट्ठू ने आपके लिए क्या अलग चुनौती रखी थी?
इस फ़िल्म के लिए मिताली राज की सभी भावनाओं को महसूस करना था. इसका मतलब है उसका सुख, दुःख, गुस्सा,गर्व के साथ सभी भावनाओं को मुझे दिल से महसूस करना था.मुझे जानना था कि मिताली की सबसे बड़ी कमजोरी क्या थी. मिताली जीवन में किसी भी सफलता का जश्न कैसे मनाती है, कहाँ वह दर्द को स्वीकार करती है, मुझे यह सब समझना था. और बाकी सब कुछ कॉस्मेटिक था.मेरा मतलब है, मिताली की तरह, मुझे इन सभी लुक्स, एक्सेंट, जेस्चर को आत्मसात करना था,लेकिन निश्चित रूप से मैंने नकल नहीं की है.मैंने अपने तरीके से उसे जिया है.
कितनी सिनेमैटिक लिबर्टी ली गयी है?
एक लड़की के 26 साल के लंबे करियर को महज ढाई घंटे में दिखाया जाना है, इसलिए आपको सिनेमैटिक लिबर्टी लेनी ही पड़ेगी. मिताली के जीवन को पूरी तरह से उजागर करने के लिए हमें एक वेब सीरीज बनानी होगी.
एक अरसे बाद आपकी कोई फ़िल्म थिएटर में रिलीज हो रही है क्या फ्राइडे का प्रेशर ज़्यादा महसूस हो रहा है?
यह सभी एक्टर्स के जीवन में होता है,तो यह मेरे साथ भी है.हां सभी के डील करने का तरीका अलग-अलग है.दरअसल, जो लोग अपने कंधों पर फ़िल्म ढोना चाहते हैं, उन्हें दबाव झेलना पड़ता है. फिर, कई ऐसे भी हैं जो अपना काम अच्छी तरह से करते हैं और अगली फ़िल्म पर चले जाते हैं. उन्हें कोई दबाव महसूस नहीं होता है.
साउथ फिल्मों की बढ़ती बादशाहत के बीच क्या थिएटर में फ़िल्म रिलीज करना अब ज़्यादा रिस्की हो गयी है?
मैं बताना चाहूंगी अब एक फ़िल्म से कमाई करने के एक से बढ़कर एक तरीके हैं. अब कोई सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर निर्भर नहीं है. ऐसा अवसर पहले कभी नहीं मिला था. अब, फ़िल्म रिलीज होने के एक महीने बाद, इसे ओटीटी में रिलीज कर दिया जाता है. वहां से अच्छी आमदनी होती है.
लॉर्ड्स में फ़िल्म की शूटिंग करने जैसा अनुभव कैसा रहा?
लॉर्ड्स क्रिकेट के म्यूजियम की तरह लग रहा था. बहुत सारे बल्ले, गेंदें, चित्र वगैरह हैं, लेकिन एक बात जो मेरे दिमाग आयी और बहुत दुख भी हुआ कि, वहां किसी महिला क्रिकेटर की एक भी तस्वीर नहीं है.
मिताली राज और अपने कैरियर में क्या आप समानताएं भी पाती हैं?
हमदोनों ही लैंगिक असमानता से जूझे हैं. हमारे देश में दो सबसे बड़े धर्म क्रिकेट और फिल्म हैं. इसका मतलब है कि लोग क्रिकेट और फिल्म के प्रति सबसे ज्यादा दीवाने हैं.दोनों मामलों में एक ही समानता है कि लोग मैदान पर सिर्फ पुरुष क्रिकेट को देखने जाते हैं, और जब पुरुष अभिनेता मुख्य किरदार में होता है, तो दर्शक हॉल में जाते हैं. अगर आप असली क्रिकेट फैन हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसके पास बल्ला है और सिनेमा के दीवाने हैं,तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि नायक एक आदमी है या नहीं. मुझे लगता है कि क्रिकेट और सिनेमा के बीच लैंगिक अंतर को पाटने की जरूरत है.
क्या आपका संघर्ष अब खत्म हो गया है?
नहीं, मेरा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है. मेरा नया संघर्ष अपनी फ़िल्म को अच्छे बजट में लाना है, क्योंकि मैंने हमेशा ही सुना है कि महिला केंद्रित फिल्मों के लिए ज्यादा बजट नहीं होता है. कम बजट में फ़िल्म बनाने के बाद स्क्रीन्स पाने की भी भिड़ंत है. मेल सेंट्रिक फिल्मों के लिए जितने स्क्रीन उपलब्ध हैं, वे हमारी फिल्मों के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं. मुझे हर स्तर पर नए संघर्षों का सामना करना पड़ता है.
संघर्ष भले ही जारी रहेगा ,लेकिन आपने इंडस्ट्री में एक खास मुकाम बना लिया है,सफलता को पाने का आपका मूल मंत्र क्या था?
मेरा एकमात्र मंत्र ‘स्लो और स्टेडी’ था. समय ही बताएगा कि हम पहले जीतेंगे या नहीं. मैंने सफलता तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय किया है. मैं एक हिट फिल्म के जरिए जिंदगी नहीं बदलना चाहती थी.मैं एक के बाद एक अच्छे काम करते हुए धीमी गति से आगे बढ़ना चाहती थी. मुझे ए ग्रेड हीरो वाली फिल्मों के लिए हमेशा रिजेक्शन ही मिला. किसी को मुझसे कुछ उम्मीद नहीं थी, इसलिए मुझे अपना रास्ता खुद बनाना पड़ा. बिना मेहनत के मेरे लिए कोई रास्ता नहीं खुला. बहुत मेहनत की है.
ए ग्रेड एक्टर्स की फिल्मों में इतने रिजेक्शन झेलने के बाद सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ फ़िल्म डंकी करना कितना खास है?
बहुत खास है.हर अभिनेत्री की तरह मैंने भी उनके साथ फ़िल्म करने का सपना देखा था. मुझे लगता है कि हर अभिनेत्री को शाहरुख के साथ फ़िल्म करने का सपना देखना चाहिए.
निजी जिन्दगी की बात करें तो आप शादी कब कर रही हैं?
मेरी तीन फिल्में रिलीज के लिए तैयार हैं. इसके अलावा, मैंने पांच-छह फिल्मों को साइन किया है. आप बताओ मेरी शादी का समय कहाँ है. अपने बॉयफ्रेंड दस साल से रिलेशनशिप में हूं. हमारा रिश्ता बहुत अच्छा चल रहा है. लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को बनाए रखना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है,तो मैं अपने काम के साथ-साथ अपने लांग डिस्टेंस रिश्ते के साथ फिलहाल खुश हूं.
आपकी फिटनेस का राज क्या है?
मैं अच्छा खाना खाती हूं. करीब आठ घंटे सोती हूं. मैं वर्कआउट भी करती हूं. मैं कार्ब्स, बटर, घी सब कुछ खाती हूं. मेरे पास हर मील में घी है. घी शरीर के लिए बहुत जरूरी है.