अलीगढ़: अलीगढ़ में कछुए के टूटे कवच की दुर्लभ सर्जरी कर जीवनदान दिया गया है. कछुए की उम्र मात्र 3 साल है. लेकिन ऊंचाई से गिरने और फिर कुत्ते के पटकने पर कछुए का कवच टूट (क्रैक) गया था. जिसके बाद कछुए को चलने फिरने में परेशानी हो रही थी. कछुए के कवच में आई दरार से खून भी रिसने लगा था. कछुए के मालिक उसे पशु चिकित्सक के पास ले गये. जहां उसको ब्रेसेज (Braces) लगाये गये और कवच को जोड़ दिया गया.
कासिमपुर के रहने वाले सुधीर ने पिछले तीन साल से कछुआ पाल रखा है. जिसको प्यार से वह टोटो बुलाते हैं. एक महीने पहले ऊंचाई पर रखे एक्वेरियम से टोटो कछुआ गिर गया , फिर कुत्ते के पटकने से उसका कवच टूट गया. कवच में दरार आ गई. इसके बाद दरार में संक्रमण फैल गया. गंभीर चोट से कछुए को चलने फिरने और पानी में तैरने पर परेशानी आने लगी.
सुधीर ने पालतू कछुए को पशु चिकित्सक (Veterinary Doctor) को दिखाया तो उसकी सर्जरी का फैसला किया गया. पशु चिकित्सक डॉक्टर विराम ने विशेष ब्रेसेज (Braces) या स्प्लिंट (Splint Braces) तकनीक से कवच को जोड़ा. स्टील के तारों से टूटे हुए कवच की तीन घंटे सर्जरी की गई. डॉक्टर विराम बताते हैं कि वेटनरी चिकित्सा पद्धति में ऐसी कोई तकनीक नहीं है. लेकिन जिस तरह से टेढ़े-मेढ़े दांतों को बांधते हैं, उसी तरीके से कछुए के कवच को जोड़ने के लिए ब्रेसिज़ तकनीक अपनायी गयी है.
डॉ. विराम ने बताया कि स्टील के तारों से कछुए के कवच को बांधा गया और सावधानीपूर्वक दवाई दी गई. जिससे घाव जल्दी भर जाएं. 20 दिन बाद कछुए के कवच में आयी दरार ठीक हो गयी है. स्वस्थ होने पर अब कछुआ आराम से चलने लगा है. उन्होंने बताया कि कछुए का कवच (खोल) उसके शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जो उसके आंतरिक अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है और शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करने में मदद करता है. उन्होंने बताया कि इस तरह का पहला मामला सामने आया है. जब कछुए के टूटे कवच को ठीक किया गया है. आमतौर पर पशुओं में हड्डी टूटने पर नट, बोल्ट व रॉड के जरिए सर्जरी कर सही करते हैं.
रिपोर्ट: आलोक सिंह