19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

500 वर्ष पुरानी ओडिशा की मंदिर की लौह बीम में नहीं लगी जंग, जमशेदपुर के एक्सपर्ट कर रहे अल्ट्रासोनिक परीक्षण

करीब 500 साल पहले मंदिर से बीमों को तोड़कर एक जगह जमा कर दिया गया था. इस बात ने विशेषज्ञों को चकित कर दिया कि भले ही लोहे की बीमें 500 वर्षों से अधिक समय से तटीय भाग के खारे वातावरण के संपर्क में हैं, फिर भी इनमें जंग नहीं लगी.

विशाल बीम की प्राचीन निर्माण तकनीक और संक्षारण दर जानने के लिए विशेषज्ञों ने 13वीं सदी की अद्भुत कोणार्क सूर्य मंदिर के लौह बीमों का अल्ट्रासोनिक और रासायनिक परीक्षण शुरू कर दिया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से जमशेदपुर स्थित राष्ट्रीय मौसम विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों की एक टीम अल्ट्रासोनिक परीक्षण कर रही है, जबकि भुवनेश्वर-आइआइटी की एक अन्य टीम किरणों का विद्युत रासायनिक परीक्षण कर रही है. विशेषज्ञ यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि बीम पर जंग का कितना प्रभाव पड़ता है. विशेष रूप से कोणार्क में विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के अग्रभाग और प्रवेश बिंदुओं पर लगभग 30 विशाल लोहे के बीम का उपयोग किया गया था. करीब 500 साल पहले मंदिर से बीमों को तोड़कर एक जगह जमा कर दिया गया था. इस बात ने विशेषज्ञों को चकित कर दिया कि भले ही लोहे की बीमें 500 वर्षों से अधिक समय से तटीय भाग के खारे वातावरण के संपर्क में हैं, फिर भी इनमें जंग नहीं लगी. यह मंदिर बनाने वाले वास्तुकारों के धातुकर्म ज्ञान के बारे में बयां करता है. प्राचीन काल में ऐसे विशाल बीम बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली विनिर्माण प्रक्रिया में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के अलावा, जो प्रकृति में जंग प्रतिरोधी हैं, विशेषज्ञ खारे-सामग्री वाली हवा से लोहे के बीम द्वारा वहन किये जाने वाले प्रभाव की डिग्री को भी समझने की कोशिश करेंगे.

अल्ट्रासोनिक परीक्षण से बीम की आंतरिक संरचना का पता चलेगा

आइआइटी खड़गपुर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर ओंकार मोहंती ने पत्रकारों से कहा कि परीक्षण के दौरान हम बीम को नहीं काट रहे हैं. हम कैसे जान सकते हैं कि अंदर क्या है? अल्ट्रासोनिक परीक्षण से बीम की आंतरिक संरचना का पता चल जायेगा. जंग लगने की दर जानने के लिए इसका संक्षारण परीक्षण करना, जिसे इलेक्ट्रोकेमिकल परीक्षण के रूप में जाना जाता है, क्योंकि हवा के संपर्क में आने के बावजूद ये किरणें अभी भी समुद्र के करीब के क्षेत्र में मौजूद हैं. तटीय क्षेत्र में हवा में क्लोरीन और क्लोराइड की मात्रा होती है.

Also Read: Odisha Famous Temples: जगन्नाथ पुरी के अलावा ओडिशा में हैं इतने सारे मंदिर, ऐसे करें दर्शन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें