Explainer: कॉमनवेल्थ गेम्स में झारखंड की बेटियों ने जिस लॉन बॉल्स में जीता गोल्ड, जानें खेल के नियम
झारखंड की दो बेटियों ने कॉमनवेल्थ गेम्स में कमाल का प्रदर्शन करते हुए लॉन बॉल्स फोर इवेंट में गोल्ड मेडल जीता. इस गोल्ड ने पूरे देश को गौरवान्वित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी टीम की सराहना की. आज यहां हम आपकों इस खेल के नियम के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
भारतीय महिला टीम ने फोर ग्रुप में लॉन बॉल्स में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. इस चार खिलाड़ियों की टीम में झारखंड की दो बेटियां लवली चौबे और रूपा रानी तिर्की भी शामिल थीं. झारखंड ने देश को कई खिलाड़ी दिये हैं. महिला और पुरुष हॉकी टीम में झारखंड के कई खिलाड़ी हैं. लेकिन इस नये तरह के खेल लॉन बॉल्स में गोल्ड जीतकर खिलाड़ियों ने न केवल झारखंड का बल्कि देश का भी मान बढ़ाया है.
काफी पुराना है ये खेल
लवली चौबे (लीड), पिंकी (सेकेंड), नयनमोनी सेकिया (थर्ड), रूपा रानी तिर्की (स्किप) की चार सदस्यीय भारतीय टीम ने महिलाओं के फोकस लॉन बॉल्स इवेंट का फाइनल जीतकर देश को गोल्ड दिलाया. कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल आने के बाद भारत में लॉन बॉल्स लाइमलाइट में आया. हालांकि यह खेल नया नहीं काफी पुराना है. इसे1930 से ही कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल किया गया है. लेकिन काफी ऐसे लोग भी हैं जो यह नहीं जानते कि यह खेल कैसे खेला जाता है. आज हम आपको यहां इस खेल के नियम के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
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लॉन बॉल्स खेल का फॉर्मेट
लॉन बाउल्स भूमि के हरे-भरे हिस्से पर खेला जाता है. यह मैदान भी हो सकता है. इस खेल को आउटडोर बॉल्स भी कहा जाता है. इसके मूल रूप से चार प्रारूप हैं – सिंगल, पेयर, ट्रिपल और फोर. सभी प्रारूपों का नाम प्रत्येक टीम में खिलाड़ियों की संख्या के आधार पर रखा गया है. एक लॉन बाउल्स गेम में एक समय में केवल दो टीमें ही भाग ले सकती हैं. एक बॉल का वजन लगभग 1.5 किलोग्राम होता है.
लॉन बॉल्स खेल के नियम
– इस खेल में लक्ष्य के करीब रखने के उद्देश्य से लंबी हरी खिंचाव वाली भूमि में बॉल्स को लुढ़काया जाता है. लक्ष्य को ‘जैक’ के नाम से जाना जाता है. यह एक छोटी गेंद होती है.
– सबसे पहले इस गेम में टॉस होता है. टॉस जीतने वाली टीम तय करती है कि वह जैक को रोल करेगी या पहले थ्रो करेगी.
– जो टीम बॉल को जैक के सबसे करीब रख पाती है, वह ज्यादा अंक जीतती है.
– हर टीम को गेंद दिये जाते हैं. सभी बॉल्स को फेंके जाने के बाद उनकी जैक से दूरी नापी जाती है. जिस टीम के बॉल्स जैक के ज्यादा नजदीक होते हैं, उन्हें ज्यादा अंक मिलते हैं.
– फॉर्मेट के आधार पर प्रत्येक छोर से प्रति टीम प्रयासों की संख्या तय होता है. एकल प्रारूप में, प्रत्येक टीम को चार प्रयास मिलते हैं जबकि अन्य प्रारूपों में, एक टीम को प्रति खिलाड़ी दो थ्रो मिलते हैं. चार-खिलाड़ी प्रारूप में, प्रत्येक टीम को एक छोर से आठ थ्रो या रोल फेंकने होते हैं.
– एक टीम अपने प्रतिद्वंद्वी की तुलना में जैक के करीब कितनी गेंदें लगाने में सफल रही है, उसी के आधार पर अंक निर्धारित किए जाते हैं.
– फिर विजेता का फैसला करने के लिए अंकों की गणना की जाती है. एकल में, 21 अंक तक पहुंचने वाला पहला खिलाड़ी मैच जीतता है. बाकी फॉर्मेट में बाउल को 18 अलग-अलग सिरों से घुमाया जाता है. थ्रो के 18 छोरों के बाद सबसे अधिक अंक वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है.
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लॉन बाउल्स के लिए ये थी भारतीय टीम
पुरुष : सुनील बहादुर (एकल, डबल), मृदुल बोरगोहेन (डबल, फोर), दिनेश कुमार (ट्रिपल, फोर), नवनीत सिंह (ट्रिपल, फोर), चंदन कुमार सिंह (ट्रिपल, फोर).
महिला : नयनमोनी सैकिया (सिंगल, डबल), लवली चौबे (डबल, फोर), तानिया चौधरी (ट्रिपल, फोर), रूपा रानी तिर्की (ट्रिपल, फोर), पिंकी (ट्रिपल, फोर).