टेंडर दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी कर रहा है फर्जी पुलिस अधिकारियों का गिरोह, एक गिरफ्तार
कोलकाता में अब विधाननगर पुलिस कमिश्नरी के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीशनल डीसी) और सब-इंस्पेक्टर जैसे फर्जी अधिकारी घूम रहे हैं. लोगों से अलग-अलग तरीके से रुपये भी ऐंठ रहे हैं.
कोलकाता (विकास गुप्ता): फर्जी अधिकारियों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में अब विधाननगर पुलिस कमिश्नरी के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीशनल डीसी) और सब-इंस्पेक्टर जैसे फर्जी अधिकारी घूम रहे हैं. लोगों से अलग-अलग तरीके से रुपये भी ऐंठ रहे हैं.
ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें पुलिस ने एक फर्जी सब-इंस्पेक्टर सुमन भौमिक को गिरफ्तार किया है. उसने अपने तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर एक ठेकेदार को 48 लाख रुपये का चूना लगाया था. उसके तीन अन्य साथियों की पुलिस तलाश कर रही है. पुलिस ने बताया कि इ फर्जी एसआई के तीन साथी खुद को बड़े रैंक (एडीशनल डीसी) का अधिकारी बताते थे.
राजदेव सिंह नामक एक ठेकेदार की शिकायत के आधार पर इस शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. कोलकाता पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा ने बताया कि 12 जुलाई को चारू मार्केट थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. डिटेक्टिव डिपार्टमेंट की एंटी फ्रॉड यूनिट ने मामले की जांच की और उसके बाद चार लोगों के गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया.
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राजदेव सिंह की शिकायत पर गिरफ्तार किये गये ये चारों लोग खुद को एसआई से लेकर एडीशनल डीसी तक के रैंक का अधिकारी बताते थे. इन्होंने अपने लिए अलग-अलग रैंक तय कर रखे थे.
राजदेव सिंह की शिकायत पर शुरू हुई जांच
राजदेव सिंह की ओर से चार लोगों को खिलाफ दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की जांच के बाद बुधवार (28 जुलाई) को सुमन भौमिक नामक एक शख्स को गिरफ्तार किया गया. पहले वह विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट में सिविक वॉलेंटियर था. बाद में उसने खुद को विधाननगर पुलिस कमिश्नरी के टेंडर डिपार्टमेंट के एसआई के रूप में पेश करना शुरू कर दिया.
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श्री शर्मा ने बताया कि आरोपियों के पास से दो लैपटॉप, दो मोबाइल फोन और बैंक के डॉक्यूमेंट बरामद हुए हैं. उन्होंने बताया कि जो कुछ भी इन लोगों के पास से बरामद हुए हैं, उसके जरिये एक-एक ट्रांजैक्शन को रिकवर किया जा सकता है. अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापामारी कर रही है. जो लोग अब तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आये हैं, वे खुद को एडीसी रैंक का अधिकारी बताते हैं.
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एंटी फ्रॉड यूनिट कर रही कार्रवाई
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि ठेकेदार राजदेव सिंह की शिकायत पर चारू मार्केट थाना में जो प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, उसमें आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी/420/419/467/468/471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. खुफिया विभाग की एंटी फ्रॉड यूनिट पूरे मामले की जांच कर रही है.
Posted By: Mithilesh Jha