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10 करोड़ के फर्जी निकासी मामले में हजारीबाग के पूर्व एग्जिक्यूटिव इंजीनियर कुमार राकेश समेत दो कर्मी पर FIR

jharkhand news: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, हजारीबाग के तत्कालीन एग्जिक्यूटिव इंजीनियर समेत दो कर्मी पर 10 करोड़ की फर्जी निकासी मामले में FIR दर्ज हुआ है. कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार मुंडारी के आवेदन पर विभाग के 4 सदस्यीय टीम ने इस मामले का खुलासा किया.

Jharkhand news: हजारीबाग के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में लगभग 10 करोड़ फर्जी निकासी मामले में तत्कालीन एग्जिक्यूटिव इंजीनियर मार्कंडेय कुमार राकेश, अनुबंधकर्मी कंप्यूटर ऑपरेटर राजेश कुमार और अकाउंटेंट उमेश कुमार पर FIR दर्ज किया गया है. इन तीनों पर हजारीबाग में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की योजनाओं में फर्जी निकासी, धोखाधड़ी, सरकारी राशि का गबन, दस्तावेजों में विचलन, दस्तावेजों से छेड़छाड़, जाली कागजात बनाने, सरकारी राशि का दुरुपयोग समेत कई आरोप लगे हैं. कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार मुंडारी के आवेदन पर मामला दर्ज किया गया.

चार सदस्यीय टीम ने पकड़ा करोड़ों का भ्रष्टाचार

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, झारखंड के चार सदस्यीय जांच टीम प्रभारी निदेशक सह संयुक्त सचिव इंद्रदेव मंडल, उपनिदेशक अनिल कुमार, सहायक प्रशाखा पदाधिकारी चंदन कुमार सिंह और राज्य परामर्शी मो आजाद हुसैन ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजनाओं में अनियमितता और भ्रष्टाचार से संबंधित जांच किया था. करोड़ों की योजनाओं में फर्जीवाड़ा, एक ही जीएसटी से कई फर्म से निकासी, दोपहिया वाहन नंबर को बोलेरो गाड़ी का नंबर दिखाकर राशि निर्गत समेत कई भ्रष्टाचार की पुष्टि जांच रिपोर्ट में किया.

जांच रिपोर्ट आने के बाद संयुक्त निदेशक तकनीकी अनिल कुमार ने एग्जिक्यूटिव इंजीनियर, हजारीबाग के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. साथ ही तीनों आरोपियों से राशि वसूलने का निर्देश दिया है. इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता हरेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि रांची निदेशालय की जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज किया गया है.

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क्या है मामला

स्वच्छ भारत मिशन के हजारीबाग में पिछले कई वर्षों की योजनाओं में अनियमितता और राशि के दुरुपयोग की जांच 26 जुलाई, 2021 को किया गया था. चार सदस्यीय टीम ने लगभग 10 करोड़ की राशि में अवैध निकासी, निर्गत पंजी में खाली पत्रांक छोड़ने और कई अनियमितता पाया था. कोरोना लॉकडाउन के समय लाखों रुपये का पेट्रोल और डीजल खर्च दिखाया गया. कई गलत नियुक्तियों के आधार पर पैसे की निकासी हुई. विभाग को राशि सरेंडर करने के बजाय अन्य मदों में खर्च करने का मामला पाया गया.

Posted By: Samir Ranjan.

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