Skanda Sashti 2023: स्कंद षष्ठी हिन्दू धर्म एक महत्वूपर्ण दिन माना जाता है, विशेषकर तमिल हिन्दूओं में. भगवान स्कंद को मुरुगन, कार्तिकेय और सुब्रमण्डय के नाम से जाना जाता है. स्कंद भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र है और गणेश के बड़े भाई है. स्कंद षष्ठी का दिन भगवान स्कंद व कार्तिकेय को पूर्णतयः समर्पित है. स्कंद षष्ठी को कांड षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. स्कंद षष्ठी 25 फरवरी को (Skand Shashthi Upay 2023) है, यह व्रत प्रमुख रूप से दक्षिण भारत के लोग रहते हैं. यह व्रत महिलाएं संतान के कल्याण और संतान प्राप्ति के लिए रहती हैं.
फाल्गुन 2023 माह में स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन शनिवार 25 फरवरी को किया जाएगा. फाल्गुन शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 25 फरवरी रात 12:31 पर होगी और इसका समापन 26 फरवरी रात 12:20 पर होगा.
भगवान कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र और देव सेनापति थे. इन्हें स्कंद, मुरुगन, सुब्रह्मण्यम समेत कई नामों से जाना जाता है. देव दानव युद्ध में इन्होंने तरकासुर का वध कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से प्रतापी संतान की प्राप्ति होती है और वह दीर्घायु होता है. इसके अलावा व्रत रखने वाले का दुख दारिद्र सब दूर होता है. इस पूजा से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
भगवान कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी कहा गया है. अर्थात जिस किसी की जन्म कुंडली में मंगल अच्छी स्थिति में नहीं चल रहा हो या जिस राशि में मंगल नीच का हो, उन्हें आज स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और उनके निमित्त व्रत रखना चाहिए. दक्षिण दिशा में भगवान कार्तिकेय का निवास बताया गया है और इनका वाहन मोर है.