नयी दिल्ली : भारतीय फुटबॉल का ‘एनसाइक्लोपीडिया’ कहे जाने वाले मशहूर कमेंटेटर और दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर नोवी कपाड़िया का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को यहां निधन हो गया. वह 67 वर्ष के थे. कपाड़िया अविवाहित थे और उनकी बहन की मृत्यु के बाद उनके परिवार में कोई नहीं था. नौ फीफा विश्व कप कवर कर चुके कपाड़िया पिछले एक महीने से वेंटिलेटर पर थे.
उन्हें ‘मोटर न्यूरोन ‘ बीमारी थी जिसमें रीढ़ की नसें और दिमाग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है. इसकी वजह से वह पिछले दो साल से अपने घर में ही बंद थे. लंबे समय से बिस्तर पर ही रहने को मजबूर कपाड़िया हाल ही में पेंशन संबंधी मसले के कारण चर्चा में आये थे जब पूर्व खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने मामले में दखल देकर उन्हें चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिलाई थी.
कपाड़िया पिछले कई दशक से ओलंपिक, एशियाई खेल,राष्ट्रमंडल खेल की कमेंट्री करते आये हैं. अशोक क्लब के संस्थापक कपाड़िया ने स्थानीय लीग में फुटबॉल खेला. उन्होंने ‘बेयरफुट टू बूट्स : द मेनी लाइव्स आफ इंडियन फुटबॉल’ किताब भी लिखी है. इसके अलावा फुटबॉल प्रेमियों के लिए गाइड भी 2014 में लिखी. वह एसजीटीबी खालसा कॉलेज में पूर्व प्रोफेसर भी थे.
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि मशहूर पत्रकार, कमेंटेटर और फुटबॉल पंडित नोवी कपाड़िया के निधन पर दुखी हैं. भारतीय फुटबॉल की उनकी कवरेज के जरिए उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी. बेंगलुरू एफसी, एटीके मोहन बागान, केरला ब्लास्टर्स जैसे शीर्ष क्लबों ने भी उनके निधन पर शोक जताया.
फुटबॉल दिल्ली के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरन ने कहा कि दिल्ली फुटबॉल में नोवी कपाड़िया का योगदान अतुल्य है. वह जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में दिल्ली प्रदेश टीम में रहे और कई साल दिल्ली लीग खेली. फुटबॉल को लेकर उनका समर्पण और जुनून शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उन्होंने फुटबॉल को ही जीवन संगिनी बना लिया था. उनके जैसा समर्पित और सम्मानित व्यक्ति मैने नहीं देखा. उनके सम्मान में फुटबॉल दिल्ली सोमवार को अंबेडकर स्टेडियम में प्रार्थना सभा का आयोजन करेगा.