Loading election data...

झारखंड के सिल्क जोन में तसर की खेती से किसानों में उत्साह, रेशम दूतों को मिले तसर के अंडे

Tasar Silk In Jharkhand, सरायकेला न्यूज (शचिंद्र कुमार दाश) : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के खरसावां व कुचाई में पहले चरण के तसर की खेती शुरू हो गयी है. खरसावां के अग्र परियोजना केंद्र की ओर से खरसावां के 85 व कुचाई के 144 रेशम दूतों के बीच करीब 80 हजार तसर के अंडे (डीएफएल) का वितरण किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2021 2:40 PM
an image

Tasar Silk In Jharkhand, सरायकेला न्यूज (शचिंद्र कुमार दाश) : झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के खरसावां व कुचाई में पहले चरण के तसर की खेती शुरू हो गयी है. खरसावां के अग्र परियोजना केंद्र की ओर से खरसावां के 85 व कुचाई के 144 रेशम दूतों के बीच करीब 80 हजार तसर के अंडे (डीएफएल) का वितरण किया गया है.

सेंट्रल सिल्क बोर्ड (कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार) के बीएसएमटीसी की ओर से क्षेत्र के रेशम दूतों में एक हजार डीएफए का वितरण किया गया है. इसके अलावा कई संस्थानों की ओर से भी तसर की खेती कराई जा रही है. रेशम दूत इन डीएफएल से अर्जुन व आसन के पेड़ पर कीटपालन शुरु कर दिया गया है. प्रत्येक रेशम दूत के साथ दो बीज कीट पालक भी इस कार्य में लगे हुए हैं. अगले एक माह (अगस्त के अंत तक) के दौरान इससे करीब ढ़ाई लाख बीज कोकून तैयार होगा.

Also Read: महंगाई के बहाने कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर साधा निशाना, पेट्रोल पंपों पर चलाया हस्ताक्षर अभियान

सितंबर के दूसरे सप्ताह में दूसरे चरण के तसर की खेती का कार्य शुरू हो जायेगा. पहले चरण की खेती में तैयार होने वाले ढाई लाख बीज कोकून का बीजागार कर तसर के अंडे (डीएफएल) तैयार किये जायेंगे. इन डीएफएल को बीज संलग्न वाणिज्य कीटपालकों (समुह) में वितरण कर तसर की खेती करायी जायेगी. प्रत्येक समूह में 20 तसर किसान जुड़े हुए हैं. इन डीएफएल से तसर किसान अर्जुन व आसन के पेड़ों में तसर कीट पालन कर तसर कोसा तैयार करेंगे. दूसरे चरण का तसर कोसा नवंबर माह में तैयार हो जायेगा.

संभावना व्यक्त की जा रही है कि दूसरे चरण के खेती में खरसावां-कुचाई में करीब पांच करोड़ तसर कोसा का उत्पादन होगा. एक तसर कोसा का बाजार भाव करीब तीन रुपये है. ऐसे में किसानों को करीब 15 करोड़ रुपये की आमदानी होगी. इस वर्ष तसर की खेती के लिये मौसम अनुकूल है. राज्य के सिल्क जोन के रुप में मसहुर खरसावां-कुचाई क्षेत्र में इस वर्ष मानसून सही समय पर आने से तसर के अंडों (डीएफएल) का उत्पादन भी सही समय पर हुआ है. किसान कीटपालन कर रहे हैं. अर्जुन आसन के पेड़ों पर तसर कीट की रक्षा के लिये पेड़ों को नेट से ढंक कर रखा गया है. रेशम दूत स्वयं खेतों में जा कर रेशम कीटों की रखवाली कर रहे हैं.

Also Read: झारखंड में कोरोना ने रोकी विकास की रफ्तार, थम गया चाईबासा शहर के विकास का पहिया

खरसावां-कुचाई ऑर्गेनिक रेशम उत्पादन के लिये पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां रेशम कीट पालन से लेकर कोसा उत्पादन तक में किसी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं होता है. यहां के ऑर्गेनिक कोकून की भारी मांग है.

कुचाई के मरांगहातु निवासी रेशम दूत जोगेन मुंडा कहते हैं कि तसर की खेती ही हमारा मुख्य पेशा है. पहले चरण के तसर की खेती शुरू कर दी गयी है. तसर की खेती से ही परिवार का जीवन यापन होता है. इस बार अच्छी फसल तैयार होने की उम्मीद है. कुचाई के बायांग निवासी रेशम दूत सुजन सिंह चौड़ा कहते हैं कि इस वर्ष मोनसुन सही समय पर आने के कारण समय पर डीएफएल भी मिला. इससे समय पर तसर की खेती शुरु हो गयी है. पूरे परिवार के साथ मिल कर तसर की खेती कर रहे है.

Also Read: Tokyo Olympics 2020 : दिग्गज तीरंदाज दीपिका कुमारी पहुंचीं टोक्यो, अतनु दास के साथ अभ्यास में जुटीं

कुचाई के जिलींगदा निवासी रेशम दूत महेश्वर उरांव कहते हैं कि तसर की खेती के लिये मौसम अनुकूल दिख रही है. खेती को लेकर किसान उत्साहित व काफी आश्वांवित है. अच्छा फसल होने का अनुमान है. कुचाई के मांगुडीह निवासी रेशम दूत सोंगा सिजुई पीपीसी की ओर से तसर की कीट पालन के लिये डीएफएल उपलब्ध कराया गया है. इस वर्ष अच्छा खीती होने की संभावना है. पूरे परिवार के साथ तसर की खेती में जुटे हुए हैं.

Also Read: झारखंड के बासुकिनाथ में नहीं लगेगा राजकीय श्रावणी मेला, देवघर के बैद्यनाथ मंदिर पर टिकी निगाहें

अग्र परियोजना पदाधिकारी सुनील कुमार शर्मा कहते हैं कि तसर की खेती के लिये मौसम अनुकूल है. क्षेत्र के रेशम दूतों को करीब 80 हजार डीएफएल का उपलब्ध कराया गया है. रेशम दूत अर्जुन व आसन के पेड़ों पर कीट पालन के कार्य में जुट गये है. पहला फसल अगले माह के अंत तक तैयार हो जायेगा. इसके पश्चात दूसरे फसल की तैयारी में जुट जाना है.

खरसावां के बीएसएमटीसी के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ तिरुपम रेड्डी ने बताया कि इस वर्ष तसर के खेती के लिये मौसम अनुकूल है. रेशम दूत तसर की खेती के कार्य में जुट गये है. रेशम दूतों को समय समय पर तकनीकी जानकारी भी दी जा रही है. उम्मीद है कि इस वर्ष तसर की अच्छी खेती होगी.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version