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बंजर जमीन पर सब्जियां उगाकर किसान बन रहे आत्मनिर्भर, सुंदरगढ़ के किसानों को मिला मो बाड़ी योजना का लाभ

किसानों की इस आय का उपयोग उनके बच्चों या पोते-पोतियों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. कई लोग इस पैसे को अपने घरों की मरम्मत और विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों पर खर्च करते हैं. परवल बेचने के अलावा किसान इसका चारा भी बेचते हैं.

सब्जियों की खेती से न केवल आर्थिक समृद्धि आती है, बल्कि किसानों की किस्मत बदल सकती है. लोगों ने ओडिशा के बाहर ऐसे कई उदाहरण देखे हैं. लेकिन, सुंदरगढ़ जिले में भी ऐसे उदाहरण कम नहीं हैं. इसमें बंजर जमीन पर सब्जियां उगाकर कई किसान न केवल आत्मनिर्भर बने हैं, बल्कि सब्जियों की खेती से कई लोगों की दैनिक वित्तीय जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. जिला खनिज संस्थान, सुंदरगढ़ की ओर से 2020 से जिले के छह ब्लॉकों में मो बाड़ी (मेरा बागान) कार्यक्रम के तहत विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की गयी है. बंजर जमीन पर खेती करके और कई फसलों के जरिये पैदावार बढ़ाकर लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने का यह अभिनव प्रयास सफल रहा है. इस प्रयास में कुल 1718 किसान शामिल हुए हैं.

छत्तीसगढ़ से भी सब्जी खरीदने आते हैं व्यापारी

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के इन ब्लॉक के किसान प्रत्येक रविवार को परवल तोड़कर आसपास के बाजारों में बेचते हैं और दूसरे बड़े व्यापारियों को भी देते हैं. साल के अलग-अलग समय में परवल 20 से लेकर 40 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. प्रत्येक किसान साल भर कड़ी मेहनत करता है और परवल आदि से प्रति वर्ष 80 हजार से 1,00,000 रुपये तक कमा लेता है. छत्तीसगढ़ के व्यापारी हर रविवार को सब्जियां खरीदने अपने वाहन लेकर जाते हैं, जबकि महिलाएं अक्सर अपने गांव के हाट में सब्जियां बेचती हैं.

शिक्षा, स्वास्थ्य की स्थिति में हो रहा सुधार

किसानों की इस आय का उपयोग उनके बच्चों या पोते-पोतियों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. कई लोग इस पैसे को अपने घरों की मरम्मत और विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों पर खर्च करते हैं. परवल बेचने के अलावा किसान इसका चारा भी बेचते हैं. इस लिहाज से वे सालाना 30,000 से 40,000 रुपये तक कमा लेते हैं.

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जिला खनन संस्थान करता है कृषि कार्य की निगरानी

जिला खनन संस्थान की ओर से इस कृषि कार्य की नियमित निगरानी की जा रही है. किसानों को नर्सरी तैयार करने, चारा तैयार करने, कम कीटनाशक प्रयोग, सिंचाई, फसल उत्पादन और विपणन पर नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह लोगों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाता है और उन्हें बाजार को ठीक से समझने और व्यापार करने में मदद करता है. पारिवारिक खेती से प्राप्त वित्तीय समृद्धि के कारण, कई निम्न और मध्यम वर्गीय परिवार अपने अपूरणीय और अप्राप्य सपनों को साकार कर रहे हैं. इसने उन्हें अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए नयी दिशाएं और तरीके दिये हैं.

इन छह प्रखंडों में हो रही सब्जियों की खेती

कुतरा, कोइड़ा, लहुणीपाड़ा, राजगांगपुर, हेमगिर, कुआरमुंडा आदि खनन प्रभावित ब्लॉकों में लगभग 500 एकड़ भूमि पर आम, नींबू, लीची, काजू आदि के पेड़ लगाये गये हैं. यहां किसानों को बीज, उर्वरक, सौर ऊर्जा संचालित सिंचाई के साथ-साथ कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं और बाजार सुविधाएं उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही किसान बाजार में परवल, बरबट्टी, हरी मिर्च और अन्य सब्जियां बेचकर अच्छी कमाई करते हैं. यह सब्जियां मो बाड़ी सब्जियों के नाम से बेची जाती हैं. हेमगिरि ब्लॉक के टपरिया, लाइकेरा, बिश्वनाथपुर, सुरुलता, कोदाबहाल आदि गांवों में इस वर्ष लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में परवल की खेती काफी अच्छी हुई है. इससे 269 किसानों को लाभ हुआ है.

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