अवैध तरीके से जमीन की जमाबंदी के खिलाफ किसानों ने लगायी पंचायत, पांच को झलकडीहा में बनेगी आंदोलन की रणनीति
अध्यक्षता करते हुए अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि किसानों के बहुत सारी वैसी जमीन को अंचल अधिकारी ने भूमाफिया के नाम ऑनलाइन इंट्री कर रसीद निर्गत कर दिया है, जिस पर किसान वर्षों से दखलकार हैं और लगान रसीद प्राप्त करते आ रहे हैं.
सुरज कुमार सिन्हा, गिरिडीह : बेंगाबाद अंचल समेत जिले के अन्य अंचलों में अंचल अधिकारी द्वारा किसानों की जमीन अवैध तरीके से भू-माफियाओं के नाम जमाबंदी कायम कर ऑनलाइन रसीद निर्गत कर देने से आक्रोशित किसान जनता पार्टी से जुड़े किसानों ने झंडा मैदान गिरिडीह में किसान पंचायत लगायी. मौके पर सर्वसम्मति से आगामी पांच नवंबर को किसान जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय झलकडीहा में पार्टी के संस्थापक सदस्यों की बैठक करने का निर्णय लिया गया, जहां जिले भर के किसानों को रजिस्टर टू का नकल दिलाने एवं गड़बड़ी करनेवाले अंचल अधिकारी और कर्मचारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए किसान जनता पार्टी द्वारा आंदोलन की व्यापक रणनीति बनायी जायेगी.
अध्यक्षता करते हुए अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि किसानों के बहुत सारी वैसी जमीन को अंचल अधिकारी ने भूमाफिया के नाम ऑनलाइन इंट्री कर रसीद निर्गत कर दिया है, जिस पर किसान वर्षों से दखलकार हैं और लगान रसीद प्राप्त करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब मैंने इस संबंध में बेंगाबाद के तत्कालीन अंचल अधिकारी कृष्णा मरांडी से शिकायत की तो बताया गया कि उनकी आइडी कर्मचारी चला रहा था. जबकि कर्मचारी का कहना है कि सभी कार्य अंचल अधिकारी की आइडी से हुआ है. वहीं विजय कुमार ने कहा कि यदि किसी प्लॉट का कुल रकबा 50 डिसमिल है जिसका पहले से किसान रसीद कटाते आ रहे हैं. अब उसी 50 डिसमिल जमीन का किसान के नाम पर और भू-माफिया के नाम पर भी रसीद कट रहा है. यानी जमीन 50 डिसमिल है और लगान रसीद 100 डिसमिल का निर्गत हो रहा है.
जबकि दासो मुर्मू ने कहा कि किसान जब यह शिकायत लेकर अंचल कार्यालय जाते हैं तो किसान से रजिस्टर टू का नकल मांगा जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकांश किसान के पास रजिस्टर टू का नकल है ही नहीं और अधिकारी आसानी से रजिस्टर टू का नकल देते ही नहीं हैं. किसान पंचायत में पार्टी के संस्थापक सदस्य श्यामू बासके, गोने टुडू, गंगाधर यादव, हदीश अंसारी, देवचंद्र यादव, अन्ना मुर्मू, संचित गुप्ता, जोगेश्वर ठाकुर, टिपन ठाकुर, नबी अंसारी, बोबी देवी, खुशबू देवी, ब्रह्मदेव राय, संतोष बास्के, कुदरत अली, सुजीत दास, धनेश्वर महतो, प्रशू राम महतो, बासुदेव महतो, एलिजाबेथ सोरेन, शामु हेंब्रम, घनश्याम पंडित, मालती देवी, तालो हेंब्रम, अनूप किस्कू, हीरामणि बासके, शुकुल नारायण देव, पाणो हेंब्रम, संगीता मरांडी, अकली हांसदा, सरिता मरांडी, दहनी देवी, बिनोद सोरेन, मनुवेल हांसदा, अनिल हांसदा, रबीना टुडू, भागीरथ राय, झगरू यादव, नुनूलाल मुर्मू, बासुदेव मरांडी, पुरन सिंह, गीता देवी, बड़की टुडू, जोसिल मरांडी, रघु मुर्मू, सुमनि सोरेन समेत कई किसान मौजूद थे.