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झारखंड : कोडरमा में बारिश नहीं होने से किसान परेशान, खेतों में पड़ने लगी दरार

कोडरमा में मानसून की बेरुखी से किसान मायूस हैं. अब तो बिचड़ा बचाने की चिंता सताने लगी है. पर्याप्त बारिश नहीं होने से धान के बिचड़े पीले पड़ने लगे हैं. वहीं, खेतों में भी दरारें पड़ने लगी है.

जयनगर (कोडरमा), राजेश सिंह : कोडरमा जिले के किसान इन दिनों मानसून की बेरुखी से मायूस हो चले हैं. उम्मीद के अनुसार बारिश नहीं होने से परेशान किसान अब कह रहे हैं जाने क्या होगा रामा रे. सावन का आधा माह बीत चुका है, अब भादो आने वाला है, पर देश के कुछ हिस्सों से इतर कोडरमा में पर्याप्त बारिश नहीं हो रही है. कोडरमा में सुखाड़ की स्थिति है. धान की खेती की तैयारी धरी की धरी दिख रही है. पूर्व में लगाये गये बिचड़े तैयार होने की बजाय कहीं काले, तो कहीं पीले हो रहे हैं. जिन खेतों में बिचड़े लगाये गये थे, उसमें नमी की बजाय दरारें दिख रही हैं. यदि शीघ्र ही अच्छी बारिश नहीं हुई, तो धान की खेती शायद न हो पाये. ऐसे में किसानों के चेहरे पर परेशानी की लकीर दिखने लगी है़ क्षेत्र के किसानों ने मौसम की बेरुखी और हालात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

जानें किसानों का दर्द

बिसोडीह के किसान मेहीउद्दीन ने कहा कि केटीपीएस के निर्माण के दौरान हम लोगों की काफी जमीन अधिग्रहण में चली गयी. शेष जमीन पर हम लोग सब्जियों व धान, मक्का की खेती कर रहे हैं. भीषण गर्मी के कारण सब्जियों की बेहतर खेती नहीं हुई और अब जब धान की खेती का समय आया, तो बारिश गायब है. धान का बिचड़ा बचाने की चिंता है. वहीं, चरकी पहरी के किसान बुलाकी यादव ने कहा कि क्या करें क्या न करें, मौसम के बदलाव ने परेशान कर रखा है़ धान ही एक ऐसी फसल है, जो साल भर के लिए चावल और पशु चारा उपलब्ध कराता है. इस बार मौसम की बेरुखी से यह समस्या बढ़ने वाली है. बिचड़ा तैयार होने का समय है और बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा खतरे में हैं. सोनपुरा के किसान कन्हैया यादव का कहना है कि हम किसानों की सबसे ज्यादा उम्मीद धान की खेती से रहती है, लेकिन इस वर्ष धान का होना संभव नहीं लगता है, बल्कि लगाये गये बिचड़े पानी के अभाव में सूखने की स्थिति में हैं. समय रहते यदि बारिश नहीं हुई, तो धान की खेती नहीं हो पायेगी. बादल तो दिखता है, पर बारिश नहीं होती है.

बिचड़ा बचाने की हो रही जद्दोजहद

खरियोडीह पंचायत के मुखिया राजेंद्र यादव का कहना है कि जून माह में बारिश नहीं हुई. जुलाई माह में आंशिक बारिश होने के बाद जोत-कोड़ कर धान का बिचड़ा लगाया. बारिश की उम्मीद थी, लेकिन बिचड़ा तैयार होने का समय आया, तो बारिश गायब है. बिचड़ा को बचाना मुश्किल हो रहा है. अब तो बिचड़ा बचाने की जद्दोजहद चल रही है.

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धान की सिंचाई के लिए जुलाई माह महत्वपूर्ण है : रूपेश

कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर, कोडरमा के एग्रोफोरेस्ट्री ऑफिसर रूपेश रंजन ने बताया कि धान की खेती के लिए जुलाई माह महत्वपूर्ण है. इस दौरान किसान खेत के मेड़ को दुरुस्त करें और जल निकासी के मार्ग को बंद करें. क्षेत्र विशेष के आधार पर उपलब्ध व्यवस्था के अनुरूप बुआई करें. उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में धान के बिचड़े को बचाना जरूरी है. बिचड़े बचेंगे, तभी धान की खेती हो पायेगी. किसान कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लें और खेती करें.

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