झारखंड : घाटशिला में मानसून की दगाबाजी से किसान परेशान, 50 साल में पहली बार सूखा सिंदूरगौरी चेकडैम
पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला में अच्छी बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. सावन महीने में भी खेतों में पानी नहीं है. बारिश नहीं होने से इस बार करीब 250 एकड़ में खेती नहीं होने की संभावना है. वहीं, 50 साल में पहली बार सिंदूरगौरी चेकडैम सूख गया है.
घाटशिला, ललन सिंह : इस साल मानसून की दगाबाजी से किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. सावन में खेत सूखे पड़े हैं. आसमान की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं. 50 साल में पहली बार सिंदूरगौरी चेकडैम सूख गया है. यह डैम घाटशिला प्रखंड के दामपाड़ा क्षेत्र के किसानों की लाइफ लाइन है. खरस्वती नदी पर बने सिंदूर गौरी चेकडैम बदहाल स्थिति में हैं. इस नदी से भदुवा और बांकी पंचायत के दर्जनों गांवों के किसान खेती करते हैं.
50 साल में पहली बार चेकडैम सूखा
इस चेकडैम से किसान साल भर धान की खेती करते थे. कालापाथर के किसान गोरा किस्कू ने बताया कि 50 साल पूर्व यह चेकडैम श्रमदान से बना था. 50 साल में पहली बार ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. चेकडैम में पानी नहीं है. 365 दिन इस चेकडैम के पानी से दर्जनों गांवों के किसान खेती करते थे. इस बार बारिश नहीं होने के कारण लगभग 250 एकड़ में खेती नहीं होने की संभावना है.
किसानों ने श्रमदान कर 1969 में बनाया था चेकडैम
खरस्वती निवासी दासमात सोरेन, रायसेन सोरेन और भागीरथ हेंब्रम ने बताया कि वर्ष 1969 में चेकडैम बनाने का काम किसानों ने श्रमदान से शुरू किया. 1972 में पूरी तरह से चेकडैम बनकर तैयार हुआ. आगिल खेरवाल महाल मार्शल मड़वा की एक कमेटी बनी थी. उस समय कमेटी में खरस्वती, कालापाथर, लेदा, मुड़ाकाठी, देवली, छोटा जमुना, बड़ाजुमना, पुखरिया और बांकी के अलावे कई गांवों के किसान जुड़े थे.
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क्षेत्र के कई चेकडैम व झरना पूरी तरह सूखे
चेकडैम में अभी मवेशी धोने का काम आ रहा है. खरस्वती नदी में थोड़ा बहुत पानी है. यहीं पशु पानी पीते हैं. क्षेत्र में कई ऐसे चेकडैम व झरना हैं, जो पूरी तरह सूख गये हैं. समय पर बारिश होती तो खेती हो जाती. वर्षा नहीं होने से खेती प्रभावित हुई है. रायसेन सोरेन और दासमात सोरेन ने बताया कि जुलाई माह तक वर्षा नहीं हुई, तो क्षेत्र में सूखाड़ की संभावना दिख रही है.