टुंडी, चंद्रशेखर सिंह : यूं तो लोग सामान्य तौर पर जानते हैं कि मोती समुद्र में पाया जाता है, लेकिन मोती की खेती भी की जाती है यह सुन थोड़ा अटपटा लगता होगा, लेकिन सत्य है. टुंडी के कदमहरा गांव के पास इसकी खेती की शुरुआत की गयी है. जामताड़ा के कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अधिकरण (आत्मा) के निर्देशन में एयूडीएसीआइए ई-कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से यह शुरू किया गया है. अब एक महीने में सीप में मोती तैयार हो जायेंगे. यहां खेती कर रहे सिंदरी के किसान जयदेव पाल ने बताया कि 17 जून 2022 को इसकी शुरुआत की गयी थी. धनबाद विधायक मथुरा प्रसाद महतो के प्रयास से इसकी शुरुआत की गयी थी. उन्होंने ही इसका उद्घाटन भी किया था. उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण काल है. थोड़ा धैर्य की जरूरत है. इसके बाद रेगुलर खेती की जायेगी. उनके अनुसार सीप में मोती तैयार होने में 14 महीने का समय लग जाता है. सनद रहे कि सीप को पालना और उसके अंदर से मोती निकालने की प्रक्रिया को ही मोती की खेती कहते हैं.
लगभग तैयार हो चुकी है पहली खेप
पहली खेप में मोती लगभग तैयार है. कंपनी ने सारे सीप की खरीदारी कर ली है. लेकिन यहां कटिंग करने से कतरा रही है. दरअसल खेती करने वाले चाहते हैं कि कटिंग उनके सामने हो ताकि वे और कुशल हो सके, लेकिन कंपनी सिर्फ उससे खेती कराना चाहते हैं और कटिंग से पहले सीप को खरीद लेते हैं.
कैसे तैयार होता है मोती
पहले एक बड़ी पानी टंकी बनायी जाती है, जिसे पूरी तरह पानी से भर दिया जाता है. फिर लरी में सीप को उसी पानी में डुबोकर रखा जाता है. पानी 24 घंटा उसमें पाइप के सहारे दिया जाता है. सप्ताह में उस पानी से गंदे पदार्थ को निकाला जाता है. कंपनी वाले बीच-बीच में आकर देखते रहते हैं. 10 से 12 महीने के बीच ऑपरेट कर सीप में सिपिंग की जाती है. उससे मोती का लिक्विड एक जगह एकत्रित हो जाता है. जैसा डिजाइन बनाना होता है, वैसा चिप डाला जाता है. इस तरह मोती को तैयार होने में 14 महीने का वक्त लगता है. कुछ कंपनियां चिप डालने से पूर्व ही सीप को खरीद लेती है. एक सीप का मूल्य तीन सौ रुपए है.
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