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‘एक ऐसा रिजेक्शन भी झेला है, जो किसी भी स्ट्रगलर को गलत कदम…’, जानें ऐसा क्यों कहा फर्जी फेम भुवन अरोरा ने

अभिनेता भुवन अरोरा सीरीज फर्जी में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. अपने किरदार को लेकर एक्टर ने कहा, सबसे मुश्किल मेरे लिए भाषा को पकड़ना था, क्योंकि मैं दिल्ली से हूं हालांकि मुझे मुंबई आए 9 साल से अधिक हो गए हैं.मैंने भाषा पर बहुत प्रैक्टिस की है.

वेब सीरीज फर्जी इनदिनों ओटीटी प्लेटफार्म अमेजॉन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम कर रही है. शाहिद कपूर, विजय सेतुपति और अमोल पालेकर जैसे दिग्गज कलाकारों के बीच अभिनेता भुवन अरोरा इस सीरीज में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. फिरोज के किरदार के लिए वह दर्शकों के साथ -साथ इंडस्ट्री के लोगों की भी लगातार वाह वाही बटोर रहे हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

खबरें हैं कि शुरुआत में आप फर्जी शो को मना करने वाले थे?

ऐसा नहीं है कि मैं करने वाला नहीं था. असल में मुझे इस रोल के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था. हर किसी की तरह मैं भी हमेशा से निर्देशक राज एंड डीके के साथ काम करना चाहता था. दिक्कत ये थी कि इस शो का जो ऑडिशन मेरे पास आया था. वो बहुत छोटा था.मुझे लगा रोल भी छोटा ही होगा, लेकिन फिर मालूम हुआ कि अच्छा खासा रोल है. मैं बस चाहता था कि मेरा क्राफ्ट जाया ना जाए. मैं सिर्फ दिखने के लिए या पैसे के लिए पांच साल पहले ही काम करना छोड़ दिया था. मैं अब अच्छा और अपने मन का काम करना चाहता हूं. वैसे मैंने जैसे ही ऑडिशन भेजा, शाम में ही कॉल आ गया. वैसे मेरे एक एड से कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा को लगा था कि मैं फिरोज के किरदार के लिए परफेक्ट हूं. उन्होने ने मेरी फ्लिपकार्ट के लिए शादी वाली एक एड एड राज एंड डीके को दिखायी थी. जिसमें मैं पहले तेज़ बोलता हूं फिर धीरे बोलने लगता हूं. जिसके बाद सभी को लगा कि फिरोज बनने के लिए मैं एकदम सही हूं.

किरदार को लेकर आपकी क्या तैयारी थी?

मैं पढ़ा -लिखा एक्टर हूं. मैंने एफटीआईआई से एक्टिंग की पढ़ाई की है.कोई रोल मिले और मैं बस मुंह उठाकर चला जाऊं. मैं उनमें से नहीं हूं. मुझे लगता है कि यहां लोगों को अच्छे मौके मिल नहीं रहे हैं और मिल रहे हैं तो फिर उसे पूरी तैयारी के साथ जियो. मैं पहले किरदार इंटरनल पर काम करता हूं, जैसे किरदार और मैं किन बातों में एक जैसे हैं. किन बातों में एक से नहीं हैं.किरदार का बर्ताव ऐसा क्यों है.उसकी परवरिश और उससे जुड़े बैकग्राउंड पर काम करता हूं. इंटरनली काम करने के बाद बाहरी पहलू पर काम करते हूं. इसका बॉडी लैंग्वेज क्या होगा. किस तरह की भाषा में काम करेगा.इन सब पहलुओं को लेकर जब तक मैं पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होता हूं.तब तक मैं अपना और सेट पर सभी का दिमाग़ ख़राब करता रहता हूं.

फिरोज बनने की प्रक्रिया में सबसे मुश्किल क्या था?

सबसे मुश्किल मेरे लिए भाषा को पकड़ना था, क्योंकि मैं दिल्ली से हूं हालांकि मुझे मुंबई आए 9 साल से अधिक हो गए हैं.मैंने भाषा पर बहुत प्रैक्टिस की है. (हंसते हुए )खासकर जिस तरह की गालियां हैं. गालियां ऐसी चीज़ें हैं, जो हर स्टेट में बदल जाती हैं.जो आम लोग हैं. सबसे पहले इसी से कनेक्ट करते हैं. फर्जी सीरीज की कुछ गालियां तो इतनी हिट हो गयी हैं कि फैंस वही लिखकर मुझे सोशल मीडिया पर भेज रहे हैं. मैं लिखता हूं कि भाई ये क्यों लिख रहे हो. उनका अगला जवाब होता है कि भाई ये सुनकर मज़ा आ गया.

शाहिद कपूर के साथ आपकी ऑन स्क्रीन बॉन्डिंग बहुत खास परदे पर दिखी है, ऑफ स्क्रीन इसके लिए कितना काम करना पड़ा?

निजी जिंदगी में भी हमारी काफी अच्छी बॉन्डिंग हो गयी है. वे मेरे बड़े भाई जैसे बन गए हैं.उन्होने सेट पर मुझे बहुत सहज महसूस करवाया. वैसे मुझे लगता है कि हर को एक्टर को अपने को एक्टर के साथ बैठकर रिलेशनशिप पर काम करना चाहिए, लेकिन इस शो में समय हमारे पास कम था, क्यूंकि शाहिद बिजी थे और मैं भी इससे पहले कोई और प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था. मैं उनसे पहली बार शूटिंग से बस एक दिन पहले मिला था.मैंने बस उन्हें सिंपल सी एक बात बोली थी कि भाई बस आप ये सोचना कि आप ईशान के साथ शूट कर रहे हो और आप वैसा ही बांड रखेंगे.सेट पर फिर धीरे -धीरे हमारी बॉन्डिंग बढ़ी. हम एक ही होटल में रहते थे. सेट पर भी एक साथ आना -जाना होता था.एक साथ उठना -बैठना था, तो धीरे -धीरे बॉन्डिंग बढ़ती चली गयी और सेट पर हम सचमुच भाई की तरह बन गए थे.इसमें राज एंड डीके सर को भी क्रेडिट जाता है कि उन्होंने दो ऐसे एक्टर के बीच बॉन्डिंग को परदे पर विश्वसनीय बना दिया है. जिनके बीच, उम्र, अनुभव और स्टारडम का जबरदस्त फासला है.

इस सीरीज में आपके लिए सबसे मुश्किल कौन सा सीन था?

सच कहूं तो पूरी सीरीज शूटिंग करना हमारे लिए मुश्किल था, क्यूंकि कोरोना ने भौकाल मचाया हुआ था और कोविड के समय पर हम शूट कर रहे थे. उस वक़्त बहुत ज्यादा डर का माहौल था.ऐसे में प्रोजेक्ट पर फोकस करना आसान नहीं था.एक सीन की अगर बात करुं, तो जिस सीन में मुझे और शाहिद के किरदार को मारने के लिए ले जा रहे हैं और हमें अनीस का इंतज़ार है.वह सबसे मुश्किल सीन था.वह ऐसा सीन था जहाँ दोनों किरदार एक दूसरे के लिए जान भी देने को तैयार हैं.ऐसे सीन आसानी से मेलोड्रामाटिक लगने लगते हैं.वैसे सीन में आपको बैलेंस में परफॉर्म करना होता है. उस सीन में दोस्ती के साथ -साथ डर को भी दर्शाना था कि कहीं गोली ना मार दे. वो बहुत ही हैवी सीन था.इसको परफॉर्म करने में मुझे सबसे ज्यादा मेहनत लगी थी.

विजय सेतुपति के साथ आपके ऑन स्क्रीन ज्यादा सीन नहीं हैं, लेकिन ऑफ स्क्रीन उनके साथ को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?

मैं विजय सेतुपति सर का बहुत बड़ा वाला फैन बन गया हूं, खासकर फर्जी शूट करने के बाद. वो इतने बड़े स्टार हैं. यह मैं फर्जी शूट करने से पहले नहीं जानता था,क्यूंकि उससे पहले मैंने उनकी एक ही फिल्म देखी थी सुपर डीलक्स, जिस तरह के वे आदमी हैं.वो उनके स्टारडम को पूरी तरह से परिभाषित करता है. वो आपको ऐसा महसूस करवाते हैं कि मैं तुम्हारा ही हूं. वह बहुत ही प्यारे इंसान हैं.मैं उनको कॉल अभी भी करता रहता हूं. वो आपसे इतना सम्मान के साथ बात करते हैं कि एक समय के बाद आपको संकोच लगने लगता है कि इतना बड़ा स्टार मुझे क्यों इतना सम्मान दे रहा है.मैं अगर उनके जैसा 50 प्रतिशत भी बन पाया,तो मुझे लगता है कि मेरा जीवन सफल हो जाएगा.

इंडस्ट्री में आपको दस साल पूरे होने को हैं, इस उतार -चढ़ाव की जर्नी में खुद को कैसे मोटिवेट किया?

सड़क पर निकले हैं, तो गड्ढे तो मिलेंगे ही. अब आप पर ही गाड़ी घुमाकर पीछे चले जाइए या चलते रहिए. जितने भी उतार -चढ़ाव आए. मैंने उनको दिल पर नहीं लिया. वैसे मुझे ज्यादातर सपोर्टिंव लोग ही मिले हैं. जितने भी कास्टिंग डायरेक्टर के साथ मैंने काम किया है. सभी ने मुझे हमेशा कहा है कि मेरा क्राफ्ट अच्छा है.कई बड़ी फिल्मों का हिस्सा बनते -बनते रह गया, लेकिन एक काम नहीं मिला तो उसकी जगह दूसरा जरूर मिल गया.

क्या कभी आप बुरे रिजेक्शन को भी झेला है ?

हां, वो दिन भी देखा है.मैं एक बॉलीवुड की फिल्म के लिए ऑडिशन कर रहा था. काफी बड़ी फिल्म थी और जाने -माने निर्देशक हैं. मैं उनका नाम नहीं ले पाऊंगा. उन्होंने एक ऑडिशन में मुझसे बहुत ही बुरे तरीके से बात की. सच कहूं तो मुझे ये भी नहीं समझा कि उनको क्या ऐसा नहीं पसंद आया. जो उन्होंने मुझे इतनी बुरी तरह से बोला.मैं कभी कुछ नहीं कर पाऊंगा. मैं बस इतना कहूंगा कि आपको काम नहीं देना, मत दीजिए, मगर इस तरह की बातें मत कीजिए. वो किसी का दिल तोड़ सकती हैं.कुछ भी गलत कदम उठाने तक को मजबूर कर सकती हैं.मैं बहुत लकी हूं कि मेरे पास बहुत अच्छे दोस्त और परिवार हैं. जिनकी वजह से बात वह दिल पर नहीं ली.मैंने सोचा कि उनका मूड आज ठीक नहीं होगा. कुछ परेशानी होगी. ये सब सोचकर मैंने खुद को समझाया,लेकिन ये बात कहूंगा कि कोई अकेले अगर संघर्ष कर रहा होता, तो ऐसा रिजेक्शन उसे तोड़ सकता है.उम्मीद है कि एक दिन मेरा काम देखकर वो खुद मुझे काम देने के लिए बुलाएंगे.

क्या आप हमेशा से एक्टर ही बनना चाहते थे?

स्कूल में जब मैं पढ़ता था, तभी से ये काम करने में मुझे खूब मज़ा आता था. जब मैं 9 क्लास में था. मेरी क्लास में कैरियर कॉउन्सिलिंग वाला बंदा आया था. सबको उठाकर पूछ रहे थे, तुमको क्या बनना है मैंने बोल दिया कि एक्टर. पहले वे मंद मंद मुस्कुराये फिर उन्होंने पूछा परिवार में या पहचान में कोई एक्टर है. मैंने कहा नहीं, तो उन्होने बोला नहीं बनोगे, लेकिन मैंने उनकी भी बात से एक्टिंग नहीं छोड़ी, क्यूंकि मुझे उसी में मज़ा आता था. स्कूल और उसके बाद कॉलेज में नाटक करता रहा.दिल्ली में मॉडलिंग भी करता था. एक दोस्त था उसने बोला कि एक्टिंग से लगाव है, तो चलो एफटीआईआई में चलते हैं. उसके पहले तक मुझे उसका नाम तक पता नहीं था. उसने ही बताया कि एशिया का बेस्ट एक्टिंग इंस्टिट्यूशन है. हमदोनों ने फॉर्म भरा लेकिन मेरा हो गया, उसका नहीं हुआ.उसके बाद मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया. इस काम में मुझे मज़ा आता था.

आपकी फॅमिली आपके एक्टर बनने के फैसले से कितनी खुश थी?

किसी भी एक्टर के लिए बहुत बड़ा सपोर्ट होता है, जब उसकी फैमिली उसके साथ होती है.लोग क्या कहेँगे का प्रेशर फिर कम हो जाता है. मेरे पिता फ़ौज में थे. अब वो रहें नहीं.काफी समय तक वह साउथ अफ्रीका में पोस्टेड थे. उनकी सोच काफी प्रोग्रेसिव थी. जो भी ये इंटरव्यू पढ़ रहे हैं. मैं सभी माता -पिता से हाथ जोड़कर ये कहना चाहूंगा कि वे अपने बच्चें पर भरोसा करें. उसे कम से कम एक मौका दें. मेरी जब भी कोई फिल्म लगी है. मेरे परिवार ने सबसे पहले उसे थिएटर में जाकर देखा है. मुझे याद है जब मेरी पहली फिल्म शुद्ध देशी रोमांस 2013 में रिलीज हुई थी. उस फिल्म में मेरा नाम तक नहीं लिखा गया था. सिर्फ लिखा गया था रघु फ्रेंड्स वन, ये क्रेडिट में भी नाम गया था. उस फिल्म में मेरा एक सीन था. जो बहुत फेमस हुआ था. वो बाथरूम वाला सीन था. थिएटर से निकलने के बाद लोग बोल रहे थे कि वो बाथरूम सीन फनी था. पापा का गर्व से सीना चौड़ा हो गया उन्होने थिएटर में मौजूद लोगों को बताया कि जो बाथरूम जाने नहीं दे रहा है.वो मेरा बेटा है.वे मेरी छोटी -छोटी सफलता में खुश होते थे. मेरे घरवाले दिल्ली से जब भी फोन करते तो एक ही बात पूछते थे कि तुम खुश हो ना.

आपके आनेवाले प्रोजेक्टस ?

एक यशराज बैनर की फिल्म की है विक्की कौशल के साथ, मिस्टर सक्सेना फिल्म जिमी शेरगिल के साथ,जो रिलीज इस साल होंगी. सुधीर मिश्रा जी के साथ फ्रंट पेज की शूटिंग कर रहा हूं.

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