वेब सीरीज – फर्ज़ी
निर्देशक -राज एंड डीके
कलाकार -शाहिद कपूर, विजय सेतुपति, के के मेनन, राशि खन्ना,अमोल पालेकर, भुवन अरोरा, जाकिर हुसैन, जसवंत सिंह दलाल,कुबरा सैत,चितरंजन गिरी,
प्लेटफार्म -अमेज़न प्राइम वीडियो
रेटिंग – तीन
इस साल की बहुप्रतिक्षित वेब सीरीज फर्जी ने ओटटी पर दस्तक दे दी है. इस वेब सीरीज से हिंदी और साउथ फिल्मों के स्टार शाहिद कपूर और विजय सेतुपति ओटीटी में अपनी शुरुआत कर रहे हैं और द फैमिली मैन वाले राज एंड डीके ने फर्जी बनायी है, तो उम्मीदों का बढ़ जाना भी लाजिमी है. क्राइम और ड्रामा से भरपूर नोटों के फर्जीवाड़े की यह कहानी भले नयी नहीं है, लेकिन इसका ट्रीटमेंट और कलाकारों का शानदार परफॉरमेंस जरूर खास है. जो इस सीरीज को एंगेजिंग के साथ -साथ इंटरटेनिंग बना गया है.
कहानी पुरानी ट्रीटमेंट नया
सीरीज की कहानी मिडिल क्लास लड़के सनी (शाहिद कपूर ) की कहानी है. वह एक कमाल का आर्टिस्ट है, फेमस पेंटर्स की पेंटिंग की हूबहू कॉपी बनाकर वह गुजर- बसर कर रहा है. वह अपने नानू (अमोल पालेकर ) अपने दोस्त फिरोज (भुवन अरोरा )के साथ रहता है. उसने बचपन से अभावों में ही जिंदगी गुज़ारी है. जिसकी उसे हमेशा शिकायत रहती है.कहानी जैसे आगे बढ़ती है परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती है कि उसे कुछ गलत करना पड़ जाता है. मजबूरी में उठाया गलत कदम कब उसकी लालच में बदल जाता है. यह उसे पता भी नहीं चलता है. सनी का यह लालच उसे अंतराष्ट्रीय स्तर के अपराध में शामिल कर देता है. उसे इसका अफसोस भी नहीं है, क्योंकि उसका सपना बहुत अमीर आदमी बनने का है. उसकी लालच की क्या उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. इसके लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी.
यह पहलू है खास
कहानी की शुरुआत दमदार तरीके से होती है. शुरुआत में सीरीज के पहले ही एपिसोड से आपको बाँध लेती है.कहानी नयी नहीं है, लेकिन जिस तरह से कहानी को कहा गया है. वह आपको शुरुआत से अंत तक बांधे जरूर रखता है.यह वेब सीरीज सनी की कहानी है, लेकिन वह नायक नहीं है तो खलनायक भी नहीं है, क्योंकि उसे अपने नानू, अपने दोस्त और अपने प्यार की परवाह है.विजय सेतुपति का किरदार ईमानदार और जाबांज पुलिस ऑफिसर का है,लेकिन वह रुपहले पर्दे के प्रचलित छवि वाले इस तरह के किरदार से काफी अलग है. वह कार नहीं चला सकता है. अपने बढ़े वजन की वजह से वह अपराधियों को हीरो वाले अंदाज़ में दौड़ते, कूदते पकड़ नहीं पाता है.बहुत ही कूल और शांत अंदाज के साथ दमदार पुलिस वाले का यह किरदार है. सीरीज के दो अहम किरदारों की काफी खास और अलग ढंग से पेश किया गया है, सनी के किरदार के अलावा काफी डिटेलिंग के साथ फर्जी नोटों को बनाने की प्रक्रिया को भी सीरीज में जोड़ा गया है.नकली नोटों का बड़ा कारोबार किस तरह से एक तरह का बड़ा आतंकी हमला इकोनॉमी पर होता है.सीरीज यह बखूबी दिखाती है. यह सीरीज फैमिली मैन की दुनिया को खुद में जोड़ती भी है, कैसे इसके लिए आपको सीरीज देखनी होगी.
यहां रह गयी है चूक
स्क्रिप्ट की खामियों की बात करें तो सीरीज के हर एपिसोड में रोमांच, रहस्य और हास्य भरपूर है, लेकिन नाएपन की कमी महसूस होती है.सीरीज कई मौकों पर राज एंड डीके की फैमिली मैन और हॉलीवुड फिल्म ब्रेकिंग बैड की याद दिला जाती है. आठ एपिसोड वाली इस सीरीज का हर एपिसोड एक घंटे का है. अपनी मूल कहानी पर आने में सीरीज चौथे एपिसोड का इंतजार करती है.सीरीज की लम्बाई को कम किया जा सकता था. लगभग आठ घंटे की अवधि वाली इस सीरीज में विजय सेतुपति और शाहिद कपूर को एक दूसरे के आमने -सामने वाला कोई दमदार सीन नहीं है. सीरीज के आखिरी एपिसोड में चंद सेकेंड्स भर का एक सीन है. दो शानदार एक्टर्स के बीच मेकर्स ने क्यों कोई सीन नहीं रखा, जबकि मूल रूप से कहानी उनके बीच की ही है, तो स्क्रिप्ट की यह खामी बहुत अखरती है. सीरीज में जिस तरह से सनी के किरदार को गढ़ा गया है, वैसे दूसरे किरदारों को नहीं. के के मेनन का किरदार अधपका सा रह गया है, तो माइकल की बर्बाद पर्सनल लाइफ अब तक दर्जन भर से अधिक सीरीज में पुलिस अधिकारी की कहानी रही है.मेघा के किरदार पर भी काम करने की जरूरत थी खासकर सनी के साथ उनका लव एंगल वाला ट्रैक कहानी में उस तरह से नहीं आ पाया है, जैसे जरूरत थी. सीरीज का क्लाइमेक्स भी कहानी में अचानक आ गया सा लगता है.
अभिनय है बेहद खास
अभिनय इस वेब सीरीज की अहम यूएसपी में से एक है.शाहिद कपूर ने इस शो में उम्दा एक्टिंग की है.वह पूरी तरह से अपने किरदार में रच बस गए हैं.विजय सेतुपति साउथ की फिल्मों में अपनी लाजवाब एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. इस वेब सीरीज में भी वह अपनी मौजूदगी से चार चांद लगा गए हैं, जैसे की उनसे उम्मीद भी थी. विजय सेतुपति और जाकिर हुसैन के बीच का ट्रैक बेहद रोचक बना है.भुवन अरोरा भी शानदार रहे हैं. वह अपने अभिनय से पूरी सीरीज में हंसाते तो है ही वक़्त पड़ने पर इमोशनल भी कर जाते हैं. शाहिद कपूर के साथ उनकी केमिस्ट्री जबरदस्त है. राशि खन्ना और के के मेनन भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्शाने में कामयाब रहे हैं.अमोल पालेकर, जसवंत सिंह दलाल, जाकिर हुसैन, चितरंजन गिरी, समीर खाखर, साकिब अयूब जैसे कलाकारों ने सीमित किरदार को भी अपने अभिनय से बेहद खास बनाया है.
यह पहलू भी है शानदार
सीरीज से जुड़े दूसरे पहलुओं की बात करें तो सिनेमाटोग्राफी अच्छी है. कहानी और सिचुएशन के हिसाब से कैमरा बखूबी मूव करता है.कहानी बांग्लादेश, काठमाडू सहित दूसरे देशों में भी आती -जाती रहती है. इस सीरीज की अहम यूएसपी इसके संवाद भी हैं.संवाद गहरे होने के साथ -साथ मज़ाकिया वन लाइनर से भी भरे हुए हैं(वेब सीरीज है, तो गालियों की भी कमी नहीं है).फिल्म का गीत-संगीत और बैकग्राउंड म्यूजिक भी कहानी के साथ पूरी तरह से न्याय करता है.
देखें या ना देखें
फर्जी एक इंटरटेनिंगऔर एंगेजिंग वेब सीरीज है. जिसे इसके कलाकारों के दमदार परफॉरमेंस ने कुछ खामियों के बावजूद इसे खास बना दिया है.