गोपालगंज के किसान खाद-बीज के लिए हर साल होते हैं परेशान, तो कभी झेलते हैं कुदरत की मार
गोपालगंज जिले में 2021 की तरह इस बार भी सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली खाद-बीज की सुविधा नदारद है. अनुदानित दर का बीज किसानों को नहीं मिल रहा है. खाद बाजार से गायब है. जो मिल रहा है, वह ऊंचे दर पर.
गोपालगंज. साल 2022 समापन की ओर है. गेहूं की बोआई अभी 32 फीसदी हुई है. कृषि विभाग के पास न तो गेहूं का बीज है और न डीएपी व यूरिया. अर्ली वैरायटी बोआई अब सात दिन रह गये हैं. किसानों की यह परेशानी पहली नहीं है, बल्कि हर साल किसान जाड़ा-गर्मी सहित मौसम की थपेड़ों को सह जी-तोड़ मेहनत करते हैं, लेकिन कभी प्रकृति उनकी मेहनत पर पानी फेर देता है, तो कभी खाद-बीज की कमी का दंश झेलते रहे हैं. खेती-किसानी अभिशाप बन गयी है. इस साल भी किसान बारिश व सुखाड़ की मार से परेशान रहे. रबी की बोआई का मौसम चल रहा है. किसान खाद-बीज और संसाधन की अभाव में लाचार बने हैं.
न अनुदानित बीज मिल रहा, न आसानी से उर्वरक
2021 की तरह इस बार भी सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली खाद-बीज की सुविधा नदारद है. अनुदानित दर का बीज किसानों को नहीं मिल रहा है. खाद बाजार से गायब है. जो मिल रहा है, वह ऊंचे दर पर. आंकड़े को अनुसार हर साल अनुदानित बीज का लक्ष्य घटता रहा है. वर्ष 2018 में विभाग के अनुसार 19715 क्विंटल गेहूं बीज की जरूरत थी. तब 5013 क्विंटल बीज बंटा. 2021 में यह आंकड़ा 12 हजार क्विंटल पर आ गया. इस बार लक्ष्य 8995 क्विंटल था, जिसमें विभाग ने अब तक 5699 क्विंटल बीज का वितरण किया है. इस साल खरीफ को प्रकृति ने मार दिया, अब रबी पर संसाधनों के अभाव का संकट है.
एक नजर में क्या रहे किसानों के परेशानी के कारण
प्राकृतिक कारण
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आवश्यकता से 38 फीसदी कम हुई बारिश
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दियारे में बाढ़ के भय से किसानों ने नहीं की खेती
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पूरे वर्ष खेती के अनुकूल नहीं रहा मौसम
भौतिक कारण
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70 फीसदी सिंचाई साधन ध्वस्त
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महज छह फीसदी किसानों को अनुदानित बीज
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बोआई के समय उर्वरक का घोर अभाव
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कृषि लोन लेने की पेचीदा व्यवस्था
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किसानों का महाजन पर निर्भर रहना
एक नजर रबी की खेती पर
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रबी बोआई का लक्ष्य – 97 हजार हेक्टेयर
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अब तक रबी की बोआई- 31.04 हजार हेक्टेयर
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गेहूं का बीज बांटने का लक्ष्य- 8995 क्विंटल
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जिले में बीज उपलब्ध व वितरण- 5699.40 क्विंटल
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दिसंबर में खाद की उपलब्धता- 00
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क्या कहता है कृषि विभाग
गोपालगंज के डीएओ भूपेंद्र मणि त्रिपाठी का कहना है कि विभाग की ओर से किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है. उर्वरक की कमी जिले में नहीं है.