अभिनेत्री दीपिका पादुकोण बीते साल पठान और जवान की कामयाबी के बाद एक बार फिर एक्शन अवतार में आज रिलीज हुई फिल्म फाइटर में नर आ रही है. दीपिका अपनी इस फिल्म को सेना के जवानों को श्रद्धांजलि करार देती हैं. उनकी इस फिल्म और करियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
बीता साल आपके लिए बेहद कामयाब रहा था, फाइटर आपकी अगली रिलीज हैं क्या सफलता का दबाव ज्यादा हैं?
बिल्कुल भी कोई दबाव नहीं, असल में जब आप कोई फिल्म बनाते हैं तो आप बॉक्स ऑफिस नंबर को ध्यान में नहीं रखते हैं. हम फिल्मों को उसके साथ जुड़े उद्देश्य और आपके बेहतरीन कन्टेट की वजह से चुनते हैं और कहानी बताते हैं और अपना काम ईमानदारी से करते हैं और बाकी सब कुछ उसके बाद होता है. हां, पिछला साल मेरे लिए बहुत अच्छा रहा और मुझे उम्मीद है कि फाइटर के साथ यह इस साल भी जारी रहेगा. हमने जो किया है वह यह है कि हमने फिल्म को बहुत प्यार और बहुत ईमानदारी से बनाया है.
निजी जिंदगी में आपके लिए फाइटर कौन रहा हैं ?
मैं फाइटिंग के जज्बे से भरे लोगों से घिरी रही हूं. शायद यही वजह हैं कि जब मैं 16 साल की थी तब मैंने मॉडलिंग शुरू कर दी थी, मैं इस शहर में आई थी जहां मैं किसी को नहीं जानती थी और अपना जीवन शून्य से शुरू किया और अपनी गलतियों से सीखा और फिर फिल्में कीं. एक अजनबी से शुरू करके इस शहर में अपनी पहचान बनाने तक, मेरा मानना है कि मैं खुद एक फाइटर हूं.
आपकी जिंदगी का सबसे मुश्किल लड़ाई क्या रही थी ?
हम सभी को जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं. अपने लिए लड़ाई लड़नी पड़ती हैं. मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से साल 2014 से मेरी मानसिक बीमारी थी और तब से हर दिन यह एक लड़ाई है. यह एक लड़ाई थी और इसने मेरे लिए बहुत सी चीजें बदल दीं.
वर्दी को पहनने का अनुभव कैसा रहा?
मुझे बेहद गर्व महसूस हुआ. जब आप एयरफोर्स की वर्दी पहनते हुए चेन लगाते हैं, तो एक अलग ही खुशी मिलती है. इस फिल्म की शूटिंग असम के लाइव एयर बेस में हुई थी. जब हम असम में शूटिंग कर रहे थे तो हमने हर दिन अपने आस-पास लाइव एक्शन देखा, खासकर पहले शेड्यूल के दौरान क्योंकि वह एक लाइव एयर बेस था. यह निर्देशक सिद्धार्थ आनंद का बेहतरीन फैसला था. मुझे नहीं पता कि यह सोच समझकर लिया गया था या अचानक से यह एक लिया फैसला था. एयर बेस पर फिल्म शुरू करना बहुत अच्छा फैसला रहा है. इसने हमें हमारे किरदार के लिए टोन और पिच दी, उनके परिवार वहां थे, हम बेस पर रहते थे और मेस में खाना खाते थे और बैडमिंटन खेलते थे. हर पांच सेकंड में हम एक सुखोई की उड़ान सुन सकते थे. दुर्भाग्य से हम बहुत सारी जानकारी साझा नहीं कर सकते क्योंकि हमें इसकी अनुमति नहीं है. ऐसे फाइटर थे जिन्हें विशेष रूप से हमारे लिए नियुक्त किया गया था. जिन्होने हमें बॉडी लैंग्वेज के बारे में सिखाया. आप कैसे बैठते हैं, विमान कैसे उड़ाते हैं और हमें बेहद मूल्यवान जानकारी दी. हमने न केवल भूमिका के लिए बहुत कुछ सीखा, बल्कि एक इंसान के रूप में भी हमने बहुत कुछ सीखा.
ऋतिक रोशन के साथ काम करने के अनुभव को किस तरह से परिभाषित करेंगी?
सभी की तरह मैंने भी ऋतिक रोशन के क्राफ्ट, एक्टिंग प्रोसेस सभी के बारे में सुना था. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने पाया कि सब सही था. आज तक मैंने ऐसे किसी भी एक्टर के साथ काम नहीं किया, जिसके दिमाग में सेट पर हर वक़्त सिर्फ और सिर्फ अपनी लाइन्स और सीन्स हो. एक एक्टर के तौर पर बहुत कुछ सीखने को मिला.
मौजूदा दौर में बॉक्स ऑफिस पर बड़े बजट की लार्जर देन लाइफ फ़िल्में दर्शकों द्वारा सराही जा रही हैं क्या फिलहाल आपकी प्राथमिकताएं भी वैसी ही फिल्में ही हैं?
पठान, जवान और अब फाइटर रिलीज हो रही हैं तो अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो गलत हैं. मैं फिल्में कहानी,किरदार, निर्देशक देखकर करती हूं. फिल्म 500 करोड़ में बन रही है या 25 करोड़ में। यह मेरे लिए मायने नहीं रखती हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो मैं गहराइयां, छपाक, फाइंडिंग फेनी जैसी फ़िल्में नहीं करती थी. मैं हमेशा से अच्छी कहानी से जुड़ना चाहती हूं आगे भी यही करूंगी.
आप एक के बाद एक फिल्मों में एक्शन अवतार में दिख रही हैं क्या आप मिस करती हैं कि कोई एक्शन फिल्म पूरी तरह से आपको ध्यान में रखकर लिखी जाए?
मुझे मेरे मेल को एक्टर के साथ एक्शन करने में कोई परेशानी नहीं हैं. आदमी और औरत दोनों को एक दूसरे की जरूरत हैं. फेमिनिज्म की परिभाषा हमें फिर से लिखने की जरुरत हैं.