रांची: झारखंड के चतरा जिले में दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. नए साल में नौ व 10 जनवरी 2024 को फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. फिल्मकार संध्या लकड़ा की ओर से इसका आयोजन किया जा रहा है. वह बताती हैं कि इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों और युवाओं में फोटो और वीडियो के माध्यम से जागरूकता लाना है. इस फिल्म फेस्टिवल में शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, स्वरोजगार, भारत का भविष्य, जैविक खेती, ग्रामीण विकास एवं आदिवासी समुदाय पर आधारित फिल्में दिखायी जाएंगी, ताकि चतरा के स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा सके. फिल्म फेस्टिवल में झारखंड और अन्य राज्यों के विख्यात एवं युवा फिल्मकारों की फिल्में दिखाई जाएंगी. आपको बता दें कि ट्राइबल फिल्मकार संध्या लकड़ा चतरा जिले की सिकीद पंचायत के संघरी गांव की रहनेवाली हैं. अपने जिले में ही फिल्म फेस्टिवल का आयोजन कर रही हैं.
स्थानीय युवकों की फिल्में भी दिखायी जाएंगी
झारखंड के चतरा जिले में नौ व 10 जनवरी 2024 को फिल्म फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है. फिल्मकार संध्या लकड़ा कहती हैं कि फिल्म फेस्टिवल में चतरा जिले के स्थानीय युवकों की फिल्में भी दिखायी जाएंगी, जो सामाजिक मुद्दों पर आधारित होंगी. उन्हें अपनी फिल्म प्रस्तुत करने का मौका दिया जाएगा. उनका उद्देश्य युवाओं को डॉक्यूमेंट्री और फिल्म मेकिंग की दिशा में बढ़ावा देना है.
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कौन हैं संध्या लकड़ा
संध्या लकड़ा झारखंड के चतरा जिले की सिकीद पंचायत के संघरी गांव की रहनेवाली हैं. उनकी प्राथमिक शिक्षा नाजरेथ विद्या निकेतन स्कूल, चतरा से हुई है. इसके बाद हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए प्रभाततारा स्कूल, रांची आ गईं. फिर संत जेवियर्स कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई 2013 में पूरी कीं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वह अपने घर चतरा में रहने लगीं. संध्या बताती हैं कि उनका गांव चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है. इसलिए उन्हें बचपन से ही जंगलों, पहाड़ों, नदियों और झरनों से काफी लगाव रहा है.
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फेलोशिप से ऐसा आया जीवन में बदलाव
संध्या लकड़ा को बचपन से ही फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी का शौक है. इसलिए उन्होंने वीडियो में फॉर चेंज ग्रीन हब फेलोशिप के लिए एप्लाई की थीं. फेलोशिप के लिए उनका चयन कर लिया गया, फिर फेलोशिप के जरिए अच्छी फोटो और वीडियो लेना सीख गईं. फेलोशिप के दौरान आशा संस्था (रांची) से इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने आशा संस्था के कार्य और ईंट-भट्ठा से लाए गए बच्चों के व्यक्तिगत जीवन की समस्या, ट्रैफिकिंग, सेफ माइग्रेशन जैसे मुद्दों पर डॉक्यूमेंट्री बनायीं. जिसका नाम ‘उम्मीद उड़ानों की’ है. फेलोशिप के दौरान उन्हें Network for Conserving Central India के कार्यक्रम (जैव विविधता और नेचर संरक्षण) के तहत कान्हा टाइगर रिजर्व में तीन दिवसीय वर्कशॉप में प्रोग्राम शूट के लिए गई. यहां देश-विदेश की जैव विविधता की जानकारी मिली. वह बताती हैं कि फिलोशिप के दौरान एक्सपोजर विजिट के लिए केरवा जंगल, समाज प्रगति संस्था बागली, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, तिल्सा वन्य प्राणी अभयारण्य गयीं.
जैव विविधता और नेचर एजुकेशन को दे रही हैं बढ़ावा
संध्या लकड़ा बताती हैं कि उम्मीद उड़ानों की फिल्म को टाटा स्टील फाउंडेशन के संवाद फिल्म फेस्टिवल प्रतियोगिता के लिए भेजी. संवाद 2023 के पांच दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला. इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए फिल्ममेकर्स से मिलकर विचारों का आदान-प्रदान करने का मौका मिला. फेलोशिप के बाद वे चतरा में सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ जैव विविधता और नेचर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम कर रही हैं. बच्चों को जंगल के बारे में जानकारी और विचारों का आदान-प्रदान कर रही हैं. जंगल में पाए जाने वाले औषधीय गुणों वाले पेड़, पौधे, फूल, पत्ती और फलों के साथ-साथ वन्य प्राणी को लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाती हैं. वन विभाग, चतरा ने वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के अवसर पर रिसोर्स पर्सन के रूप में स्कूल के बच्चों के साथ पलामू टाइगर रिजर्व में आमंत्रित किया था.