‘बजट मसौदा प्रक्रिया से सत्ता के दलालों और लॉबीबाजों का कर दिया सफाया’, निर्मला सीतारमण ने कही ये बात
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति निर्माण की एक पारदर्शी प्रणाली को प्रभावित किया है. नतीजतन, सत्ता को प्रभावित करने वाले सत्ता के दलाल गायब हो गए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष निराशा व्यक्त करने का आदी है और इस बार भी उनके बयानों में कुछ नया नहीं है.
नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत बजट का मसौदा हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किया जाता है. बजट मसौदा प्रक्रिया में सत्ता के दलालों और लॉबीबाजों को तवज्जो नहीं दी जाती. उन्होंने कहा कि आप यह कह सकते हैं कि बजट प्रस्तावों के बारे में कोई उत्साह नहीं दिख रहा, क्योंकि इसे हितधारकों के साथ विचार-विमर्श की लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है. ऐसी स्थिति में किसी की निराशा के लिए कोई जगह नहीं बचती.
सता के दलाल हो गए गायब
समाचार चैनल इंडिया टीवी को दिए साक्षात्कार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति निर्माण की एक पारदर्शी प्रणाली को प्रभावित किया है और नतीजतन सत्ता के गलियारे को प्रभावित करने वाले या सत्ता के दलाल गायब हो गए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्ष निराशा व्यक्त करने का आदी है और इस बार भी उनके बयानों में कुछ नया नहीं है.
ममता पर साधा निशाना
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ‘बेकार’ और ‘दिशाहीन’ बजट जैसी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि बजट उत्साहित करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनके मुद्दों को हल करने के लिए गंभीर दस्तावेज है. उन्होंने कहा कि नेताओं को आम आदमी से सीखना चाहिए और उचित होमवर्क के बाद विचार व्यक्त करना चाहिए.
Also Read: अडाणी ग्रुप संकट पर निर्मला सीतारमण, वित्त सचिव और बैंकों ने दिया बयान, जानिए इन लोगों ने क्या कहा
पी चिदंबरम पर वार
कांग्रेस के नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की टिप्पणी के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस नेता 100 बार इसका जिक्र करते तो क्या होता? बता दें कि पी चिदंबरम ने अपनी बजट प्रतिक्रिया में कहा था कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण में एक बार भी गरीबों का जिक्र नहीं किया. इस प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह आदत है कि वह हक की बात करती है, लेकिन देती कुछ नहीं है. वहीं, पीएम मोदी का नेतृत्व अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने में विश्वास करता है.