Varanasi News: वाराणसी के लंका थाने से ढाई साल पहले गायब हुए छात्र शिव के मामले में आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मुकदमा सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट के आदेश पर लंका थाने में दर्ज कराया है. तत्कालीन इंस्पेक्टर भारत भूषण तिवारी, उपनिरीक्षक प्रद्युमनमणि त्रिपाठी, दरोगा कुंवर सिंह, हेड कांस्टेबल लक्ष्मीकांत मिश्रा, कांस्टेबल ओम कुमार सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह व विजय कुमार यादव और होमगार्ड संतोष कुमार को आरोपी बनाया गया है.
दरअसल, मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के बडगडी गांव निवासी शिव कुमार त्रिवेदी वाराणसी के बीएचयू के विज्ञान संस्थान में बीएससी की पढ़ाई करता था. शिव लंका थानाक्षेत्र के पूर्वी छीत्तूपुर में किराये का कमरा लेकर रहता था. 13 फरवरी, 2020 को शिव बीएचयू में कैंपस स्थित ग्राउंड में अकेला बैठा हुआ था. वहां से एक छात्र अर्जुन सिंह ने अनहोनी की आशंका से पुलिस को 112 नंबर पर सूचना दे दी. पुलिस की टीम ने पहुंचकर शिव को लंका थाने ले आई. 14 फरवरी को शिव लंका थाने से गायब हो गया, उसकी खोजबीन शुरू हुई.
14 फरवरी को शिव लंका थाने से निकलकर रामनगर स्थित यमुना पोखरी पहुंच गया. उसी पोखरी में डूबने से उसकी मौत हो गई. लापता पुत्र शिव की तलाश में उसके पिता रामनगर थाने पहुंचे. वहां पुलिसकर्मियों ने उनको ये कहकर वापस कर दिया की जो शव बरामद हुआ है वो शिव का नहीं किसी और का है. शिव के पिता की मुलाकात एडवोकेट सौरभ तिवारी से हुई. एडवोकेट ने इस प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की. हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को करने का आदेश दिया. सीबीसीआईडी के अफसर शिव के पिता को लेकर रामनगर थाने पहुंचे अधिकारियों ने 15 फरवरी को यमुना पोखरी में मिले अज्ञात शव मिला था. उसके रखे हुए बाल और दांत का डीएनए टेस्ट कराया जाए. डीएनए की रिपोर्ट आने पर यह बात स्पष्ट हुई कि यमुना पोखरी में जो शव मिला था वह शिव का ही था.
सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर श्याम दास वर्मा के अनुसार, चिकित्सकीय विशेषक के बयान से स्पष्ट है कि शिव मानसिक रूप से अस्वस्थ था, जिस रात में लंका थाने लाया गया था. अपना नाम पता नहीं बता पा रहा था ऐसी स्थिति में लंका थाने के पुलिसकर्मियों का यह नैतिक और राज की कर्तव्य था कि उसको पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा दे. मगर ऐसा नहीं किया गया. शिव जब लंका थाने से गायब हुआ तो लंका थाने के पुलिसकर्मियों ने उसे खोजने का प्रयास भी नहीं किया. इस संबंध में सीनियर अफसरों को भी कोई सूचना नहीं दी गई थी. लंका थाने के पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य के प्रति निर्वहन में घोर लापरवाही बरती है. यदि शिव को चिकित्सा सुविधा तत्काल उपलब्ध कराई गई होती या उसे खोजने का प्रयास तत्काल शुरू किया गया होता तो शायद वह तालाब में न डूबता.
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रिपोर्ट : विपिन सिंह