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झारखंड : हजारीबाग के रिकॉर्ड रूम में घंटों मशक्कत के बाद आग पर पाया काबू, दस्तावेज सुरक्षित

डेढ़ सौ साल पहले बने हजारीबाग के नक्शा रिकॉर्ड रूम में लगी आग पर घंटों मशक्कत के बाद काबू पाया गया. इस अगजनी में सामान जलकर खाक हुए, लेकिन सर्वे दस्तावेज सुरक्षित होने से अधिकारियों ने राहत की सांस ली. इस आग को बुझाने में करीब 70 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल हुआ.

हजारीबाग, आरिफ : हजारीबाग शहर के कोर्ट परिसर स्थित नक्शा रिकॉर्ड रूम में लगी आग को घंटों मशक्कत के बाद दमकल विभाग की टीम ने काबू पाया. बुधवार की शाम लगी आग की लपटें गुरुवार की सुबह भी देखने को मिली. उठती आग की लपटों को देख एक बार फिर दमकल की गाड‍़ियों को बुलाया गया और कुछ देर बाद उसपर काबू पाया. इस दौरान रिकॉर्ड रूम में रखे कई सामान जलकर राख हो गये. वहीं, समय रहते रिकॉर्ड रूम से सटे दर्जनों फोटो कॉपी की दुकान, होटल, वेंडर गुमटी को बचाया गया. अग्निशामक प्रभारी रामयश सिंह ने बताया कि आग बुझाने में लगभग 70 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल हुआ. वहीं, आठ घंटा से अधिक समय लगा. गुरुवार की सुबह जिला जज ने घटनास्थल का मुआयना किया. वहीं, जिला नजारत शाखा कर्मियों ने आग पर काबू पाने के बाद शेड में ताला लगा दिया. फिलहाल, कोर्ट परिसर में पहले की तरह स्थिति सामान्य हुई.

1834 में बना है शेड

ब्रिटिश शासनकाल में 1834 को शेड बना है. लंबाई 40 फीट, चौड़ाई 30 एवं ऊंचाई लगभग 20 फीट है. स्टील से बने शेड आज भी कई मायने में मजबूत है. इसका सबूत इस बात से भी है कि आग लगने से अंदर रखें सभी सामान गये, लेकिन शेड को बहुत नुकसान नहीं पहुंचा है.

बड़ी क्षति नहीं

घटनास्थल पर मौजूद नजारत शाखा के कर्मियों के अनुसार, इस अगलगी में अनुउपयोगी (यूजलेस) सामान जले हैं. इसमें जिला प्रशासन को कोई बड़ी क्षति नहीं हुई है. एक से डेढ़ सौ वर्ष पहले सर्वे किया गया नक्शा रिकॉर्ड रूम में रखा हुआ था. इसके अलावा सर्वे कैंप से जुड़े तंबू, कनात, टेंट की कुछ सामग्री, कुर्सी, टेबल समेत अन्य चीजें थी. वर्तमान समय में इन चीजों का इस्तेमाल जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया जा रहा था.

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डेढ़ वर्ष पहले भी हुई थी आगजनी

नक्शा रिकॉर्ड रूम से सटे कंक्रीट (ईंट, सीमेंट, छड़) से बने चुनाव सामग्री रिकॉर्ड रूम में डेढ़ वर्ष पहले भी आग लग चुकी है. इस पर जिला प्रशासन ने कोई सीख नहीं लिया. चुनाव सामग्री रिकॉर्ड रूम में भी रखें सामान जलकर पूरी तरह खाक हो गया था. वर्तमान समय चुनाव सामग्री रिकॉर्ड रूम आवारा पशुओं का अड्डा बना है. वहीं, सुनसान रहने के कारण इन जगहों पर कुछ शरारती तत्वों के देर शाम तक अड्डा लगने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है. शरारती तत्व शेड के अगल-बगल नशीले पदार्थ का सेवन करने से नहीं चूकते हैं.

रिकॉर्ड रूम से सटे वेंडर गुमटी बचा

जरूरी कागजात एवं हाजिरी आवेदन बेचने वाले वेंडर आशीष कुमार ने बताया कि शेड से मेरा गुमटी सटा हुआ है. एकमात्र बिजनेस का जरिया मेरा यही गुमटी है. दिन भर कमाने के बाद इससे परिवार का भरण पोषण होता है. पांच बजे दुकान बंद कर घर चले गए थे. किसी स्रोत से देर रात को आग लगने की सूचना मिलने पर घबरा गए. सवेरे आयें, तो देखा कि मेरी गुमटी में कुछ भी नहीं हुआ है. उन्होंने भगवान का शुक्रिया अदा किया.

जिला रिकॉर्ड कार्यालय और रजिस्ट्री रिकॉर्ड रूम सुरक्षित

पुराना समाहरणालय कोर्ट परिसर स्थित जिला रिकॉर्ड कार्यालय एवं रजिस्ट्री रिकॉर्ड रूम सुरक्षित है. इन दोनों कार्यालयों की भी स्थापना 1834 में हुई है. दोनों कार्यालय में सुरक्षा के मानक मौजूद हैं. नाइट गार्ड है. अग्निशामक यंत्र लगा है. किसी प्रकार की आग लगने जैसी अनहोनी घटना से निपटने की तैयारी मौजूद है. हजारीबाग जिला उत्तरी छोटानागपुर‌ का प्रमंडलीय मुख्यालय है. एक समय सभी छह जिला चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो एवं रामगढ़ हजारीबाग के अधीन था. जैसे-जैसे जिला बनता गया दोनों कार्यालय के रिकॉर्ड अपने-अपने जिले में ले जाया गया. वर्तमान समय जिला रिकॉर्ड कार्यालय में सभी 16 प्रखंड सदर, कटकमसांडी, कटकमदाग, बिष्णुगढ़, केरेडारी, बड़कागांव, चौपारण, चुरचू, पदमा, इचाक, बरकट्ठा, चलकुसा, दारू, बरही टाटीझरिया एवं डाड़ी सहित हजारीबाग मुख्यालय का जमीन से संबंधित खाता, खतियान एवं अन्य कागजात मौजूद है. वहीं, रजिस्ट्री कार्यालय में भी निबंधन से संबंधित जिलेभर का रिकॉर्ड सुरक्षित है. जिला प्रशासन सभी रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज करने में लगा है. आधे से अधिक दस्तावेज कंप्यूटराइज हो चुका है. बाकी दस्तावेजों का कंप्यूटराइज कार्य प्रगति पर है.

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