Dhanbad Fire Incident: धनबाद के आशीर्वाद टावर व हाजरा क्लिनिक में आग लगने से 19 लोगों की माैत मामले को लेकर झारखंड हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह हृदय विदारक व दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. एक्टिंग चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस दीपक राैशन की खंडपीठ ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि आगे इस तरह की घटना नहीं हो, इसके लिए क्या कार्रवाई की गयी है. क्या कदम उठाये जा रहे हैं. सुरक्षा को देखते हुए राज्य में ऐसी पुख्ता व्यवस्था की जाये, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो सके.
साथ ही कोर्ट ने राज्य में बहुमंजिले भवनों में फायर सेफ्टी का पालन हो रहा है या नहीं, फायर सेफ्टी उपकरण लगे हैं, तो वह सक्रिय है या नहीं. इसके लिए सभी उपायुक्त, एसपी, नगर आयुक्त, नगर पर्षद के सीइओ को निर्देश दिया कि वह अपने क्षेत्रों के भवनों का ऑडिट करा कर बिल्डिंग बायलॉज में, जो मानक तय किये गये है, उसके अनुरूप कार्रवाई हुई है या नहीं, उस बाबत रिपोर्ट पेश करें. बहुमंजिले भवनों का फायर सेफ्टी ऑडिट कराने को कहा. खंडपीठ ने मामले में फायर सेफ्टी डीजी को भी प्रतिवादी बनाया. नगर विकास विभाग के माध्यम से जवाब दायर करने को कहा गया, जिसमें यह बताया जाये कि अपार्टमेंट व बहुमंजिले भवनों में फायर सेफ्टी के लिए क्या गाइडलाइन है. बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार, भवनों के जो नक्शे पास हो रहे हैं, उसमें फायर सेफ्टी गाइडलाइन का पालन हो रहा है या नहीं. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 17 फरवरी की तिथि निर्धारित की.
Also Read: Dhanbad Fire Incident: धनबाद अग्निकांड में 14 शवों की हुई पहचान, देखें पूरी लिस्ट
इससे पूर्व महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि धनबाद उपायुक्त की ओर से दो समितियां बनायी गयी है. एक समिति वहां आग लगने के कारणों की जांच कर रही है. वह समिति देखेगी कि भवन में फायर सेफ्टी रूल एंड रेगुलेशन का पालन किया गया है या नहीं. वहीं दूसरी समिति आग लगने की वजह से उक्त भवन के स्ट्रक्चर को क्षति पहुंची है या नहीं. क्षति पहुंची है, तो उसे कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है. समिति की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जायेगी. उल्लेखनीय है कि विगत दिनों धनबाद के हाजरा क्लीनिक व आशीर्वाद टावर में आग लगने से 19 लोगों की मौत हो गयी थी. हाजरा क्लिनिक की घटना में चिकित्सक दंपती सहित पांच व आशीर्वाद टावर की घटना में 14 लोगों (10 महिला, तीन बच्चे व एक बुजुर्ग) की मौत हो गयी थी. दर्जनों लोग झुलस गये थे. मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.