First Elephant Corridor: बिहार में पहले हाथी गलियारे की पहचान की गयी, सुंदर वनक्षेत्र बनेगा हाथी गलियारा
First Elephant Corridor: विश्व हाथी दिवस समारोह पर यह कार्यक्रम भुवनेश्वर में आयोजित किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाथियों की आवाजाही जमुई रेंज के गढ़ी बीट, झाझा रेंज के चरकापत्थर व बटिया बीट और चकाई रेंज के मधवा उप-बीट के बीच है.
First Elephant Corridor: जमुई-झाझा-चकाई के सुंदर वनक्षेत्र को बिहार में पहले हाथी गलियारे के रूप में जाना जायेगा. इस संबंध में एक रिपोर्ट शनिवार को भुवनेश्वर में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी किया गया.
विश्व हाथी दिवस समारोह पर यह कार्यक्रम भुवनेश्वर में आयोजित किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाथियों की आवाजाही जमुई रेंज के गढ़ी बीट, झाझा रेंज के चरकापत्थर व बटिया बीट और चकाई रेंज के मधवा उप-बीट के बीच है. गलियारे की सांकेतिक लंबाई 46 किलोमीटर और चौड़ाई 30-50 मीटर है. हाथियों की आवाजाही की स्थिति कभी-कभी होती है और इस गलियारे का उपयोग करने वाले हाथियों की कुल संख्या नौ है.
जल्द ही हाथियों के संरक्षण और गलियारे के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार होगी
इस संबंध में बिहार के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने कहा कि यह खुशी की बात हैं कि इस खंड को बिहार में जंगली हाथियों के लिए पहले हाथी गलियारे के रूप में पहचाना गया है. हम जल्द ही हाथियों के संरक्षण और गलियारे में मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार करेंगे. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस परियोजना को लेकर समन्वय स्थापित करेगा.
इधर, वीटीआर की सुरक्षा में वनकर्मियों का साथ देंगे हाथी
मॉनसून के दौरान राज्य के इकलौते टाइगर रिजर्व वीटीआर की सुरक्षा में हाथियों के साथ वनकर्मियों की तैनाती की गयी है. इस मौसम में बारिश से जंगल के रास्ते में कीचड़ होने की वजह से सामान्य गाड़ियाें से गश्ती में वनकर्मियों को परेशानी थी. वहीं, तस्करों से पशुओं और कीमती पेड़ों की सुरक्षा को खतरा है. इसे लेकर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने फिलहाल छह हाथियों को गश्ती दस्ते में शामिल किया है. वीटीआर का इलाका करीब 900 वर्ग किमी में फैला है और यह नेपाल सीमा के पास है. सूत्रों के अनुसार इस मौसम में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में आम पर्यटकों का प्रवेश बंद है. ऐसे में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने वहां करीब 70 लाख रुपये की लागत से विभिन्न विकास कार्य की मंजूरी दी है. इसमें जंगली जानवरों की सुरक्षा, जंगल की सड़क की मरम्मत, जगह-जगह पेयजल की सुविधाएं, वाच टावर का निर्माण आदि किया जायेगा.
गलियारे की खासियत
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गलियारे की सांकेतिक लंबाई 46 किलोमीटर और चौड़ाई 30-50 मीटर है. इस गलियारे का उपयोग करने वाले हाथियों की कुल संख्या नौ है.
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हाथियों की आवाजाही जमुई रेंज के गढ़ी बीट, झाझा रेंज के चरकापत्थर व बटिया बीट और चकाई रेंज के मधवा उप-बीट के बीच है.