माघ मास का पहला प्रदोष कल?, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व
Pradosh Vrat 2024 in February: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत हर माह दो बार रखा रखा जाता है. पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है.
Pradosh Vrat 2024 in February: माघ मास और फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत कल 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार को है. प्रदोष व्रत बुधवार के दिन होने के कारण यह बुध प्रदोष व्रत होगा. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है, इस व्रत को करने से संतान सुख और जीवन के सभी संकट दूर होते हैं. प्रदोष व्रत के उद्यापन में कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है. प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. हालांकि आप उपवास फलाहार भी कर सकते हैं.
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 फरवरी 2024 को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर शुरू होगी. त्रयोदशी तिथि अगले दिन 8 फरवरी 2024 को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए प्रदोष व्रत बुधवार को मनाया जाएगा. बुध प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के लिए साधक को 2 घंटे 36 मिनट का समय मिलेगा, इस दिन शाम 06 बजकर 50 मिनट से रात 08 बजकर 41 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
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आप त्रयोदशी के दिन स्नान करने के बाद प्रदोष व्रत का संकल्प लें.
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फिर बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें.
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पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नान करें.
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प्रदोष काल में पूजा से पहले सफेद रंग का वस्त्र धारण करें.
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आप स्वच्छ जल या गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें.
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अब आप गाय का गोबर ले और उसकी मदद से मंडप तैयार कर लें.
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पांच अलग-अलग रंगों की मदद से आप मंडप में रंगोली बना लें.
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पूजा की सारी तैयारी करने के बाद आप उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं.
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भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं.
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महादेव को भोग लगाने के बाद आरती जरूर करें.
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प्रदोष व्रत में शाम की पूजा कैसे करें?
भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं. फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें. भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं.
बुध प्रदोष व्रत महत्व
बुधवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ने के कारण बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. बुध प्रदोष व्रत के दिन सुबह और शाम के समय भगवान गणेश जी के सामने हरी इलायची अर्पित करें और 27 बार ॐ बुद्धिप्रदाये नमः मन्त्र का सुबह शाम जाप करें तथा प्रसाद के रूप में इलायची खाने का विधान है, इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.