13.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Union Budget 2023 में 5.8 से 6 फीसदी तक रखा जा सकता है राजकोषीय घाटे का लक्ष्य

राजकोषीय घाटा तब कम किया जा सकता है, जब सरकार का खर्च आमदनी के बराबर या उससे कुछ कम हो. सरकार का खर्च होने वाली आमदनी से जब अधिक हो जाती है, तब राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है.

Union Budget 2023 : संसद में केंद्रीय बजट पेश होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. बजट में देश के विकास और आम आदमी को राहत देने की योजनाएं बनाई जा रही हैं. इसके साथ ही, राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने का भी प्रयास किया जा रहा है. राजकोषीय घाटा तब कम किया जा सकता है, जब सरकार का खर्च आमदनी के बराबर या उससे कुछ कम हो. सरकार का खर्च होने वाली आमदनी से जब अधिक हो जाती है, तब राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों की ओर से कहा यह जा रहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेगी और यह तभी संभव हो सकेगा, जब सरकार अपने खर्च को होने वाली आमदनी के बराबर या उससे कुछ कम रखेगी.

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी रखने का लक्ष्य

देश के आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में राजकोषीय मजबूती की दिशा में बढ़ना जारी रखेंगी और राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.8 फीसदी पर रखने की कोशिश करेंगी. उनका कहना है कि वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटे को 5.8 फीसदी से लेकर 6 फीसदी के दायरे में रखा जा सकता है. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर रखने का लक्ष्य रखा है.

हो सकती हैं नई घोषणाएं

हालांकि, विश्लेषकों ने कहा है कि अगले साल आम चुनाव होने से सरकार के लिए इस बार का बजट ही अंतिम पूर्ण बजट होगा. लिहाजा, इसमें कुछ नई घोषणाएं हो सकती हैं. कोविड महामारी दो वर्षों में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.3 फीसदी तक पहुंच गया था. बता दें कि सरकार का खर्च आमदनी की तुलना में काफी ज्यादा है, तो राजकोषीय घाटे की स्थिति पैदा होती है. इसका मतलब यह कि सरकार की आमदनी तो कम है, लेकिन खर्च ज्यादा है. अब कम आमदनी होते हुए भी सरकार ज्यादा खर्च कैसे करती है? इसके लिए सरकार उधार लेती है और बॉन्ड जारी करती है.

Also Read: Union Budget 2023 : केंद्र और राज्य सरकार बाजार से अधिक उधारी का कर सकती हैं प्रावधान, घटेगा राजकोषीय घाटा
सरकार को करनी होगी पुरजोर कोशिश

एचएसबीसी इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने एक टिप्पणी में कहा कि अगले कुछ वर्षों में राजकोषीय मजबूती की राह पर चलने के लिए सरकार को पुरजोर कोशिश करनी होगी. यह लंबी दूरी की साइकिल रेस जैसा है, जिसमें किसी प्रतिभागी के अचानक रुकने पर उसके गिर जाने की आशंका होती है. उन्होंने कहा कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए राजकोषीय घाटे का कम होना अहम है और अनिश्चित वैश्विक परिवेश में यह और भी जरूरी है.

Also Read: Union Budget 2023 में ‘लोकल’ को फोकस करने की जरूरत, बिहार-सिक्किम और केरल ने पेश की नजीर
राजकोषीय मजबूती की राह में चुनौती बरकरार

वहीं, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6 फीसदी रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह बजट सरकार के लिए राजकोषीय मजबूती की राह पर बने रहने के लिए एक चुनौती होगा. अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को कहीं तेज गति से वृद्धि करनी होगी. उन्होंने सरकारी खर्च में 8.2 फीसदी वृद्धि के साथ राजस्व वृद्धि भी 12.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. इसके अलावा, जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 फीसदी रखे जाने का अनुमान जताते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष में सकल उधारी भी बढ़कर 15.5 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें