शो मस्ट गो ऑन यह हर कलाकार की ज़िंदगी का अहम फलसफा है. हर कलाकार अपनी ज़िंदगी के अलग अलग मोड़ पर ज़रूर इससे गुज़रा है. नेशनल अवार्ड विनिंग अभिनेता नाना पाटेकर अपनी ज़िंदगी के शो मस्ट गो ऑन की बात करते हुए बताते हैं कि यह 1979 की बात होगी. उस वक़्त मैं फिल्मों में कम मौके मिलते थे. थिएटर ही रोजी रोटी देता था और एक्टर के तौर पर संतुष्टि भी.
उन्होंने आगे कहा, हमारा नाटक महासागर आया था. उस नाटक में मेरे साथ विक्रम गोखले, मोहन भंडारी नीना कुलकर्णी थी. पिताजी की तबीयत ठीक नहीं थी. वे सरकारी अस्पताल में भर्ती थे. ये नाटक इसलिए भी ज़रूरी था करना कि पैसे मिलेंगे और इलाज में जाएंगे. उस दिन नाटक के तीन शो थे. अचानक खबर मिली कि पिताजी नहीं रहें. बात होने लगने कि नाटक कैंसिल कर दें क्या लेकिन ये सही नहीं था. सभी का नुकसान होता था. मैंने कहा कि नाटक होगा.
नाना पाटेकर ने कहा, नाटक में एक दृश्य था जिसमें विक्रम गोखले को मेरे पिताजी के बारे में पूछना था कि वो कहाँ हैं लेकिन विक्रम पूछ नहीं पा रहा था. उसे पता है कि मेरे पिता की लाश अस्पताल में पड़ी है. मैंने हिम्मत करके उससे पूछा कि क्या पूछना चाहते हो पूछो. जबकि वो संवाद नाटक का हिस्सा नहीं था. मेरे ये पूछने के बाद विक्रम ने अपना संवाद पूरा किया. वो शो पूरा होने के बाद हमलोग अस्पताल गए और अंतिम संस्कार किया और फिर वापस आकर हमने महासागर के दो और शोज किए थे.
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