Flood in Bihar, गोपालगंज : गंडक नदी की त्रासदी को झेल रहे जिले के पांच प्रखंडों के महिलाओं के सामने संक्रमण का गंभीर खतरा है. बाढ़ की पानी में घर का समान या तो बह गये है. या घर छोड़कर उनको बांध व घरों के छतों पर रहना पड़ रहा. बाढ़ से घिरी जो महिलाएं मासिक धर्म (माहवारी) की मुश्किल पीड़ा से गुजर रही हैं, जिसे संभालने के लिए उनके पास न कोई साफ कपड़ा है, न सेनेटरी पैड्स. इसके लिए उनके गंदा कपड़ा या कागज के टुकड़े हैं, जो संक्रमण की दोहरी मार दे सकते हैं, बीमारी देकर जान भी ले सकते हैं.
प्रशासन और महिला सामाजिक संगठनों की ओर से कभी ध्यान नहीं दिया गया. बैकुंठपुर के दिघवा बांध पर 24 जुलाई की रात से पॉलीथिन के नीचे शरण लिये चांदनी देवी ने कहा कि नदी ने ऐसा दर्द दिया है कि दो वक्त की रोटी के लाले है. लड़कियां, महिलाएं माहवारी को लेकर कई मिथकों के साथ संकोच का भी सामना करती हैं. यहां सामान्य घरों की युवा बहन, बेटियां, महिलाएं मासिक धर्म और संक्रमण से बचाव और सेनेटरी पैड्स जैसे शब्दों का जिक्र करने में भी परिजनों के सामने नहीं संकोच करती है. 86 हजार से अधिक महिलाओं के सामने ऐसे ही संकट है. बाढ़ से पीड़ित ग्रामीण बांधों पर जो शरण लिये है उनके सामने सबसे अधिक समस्या शौचालय का है.
जल संसाधन विभाग के अनुसार, कोसी नदी का जल स्तर बढ़ रहा है. बूढ़ी गंडक का जल स्तर सिकंदरपुर, समस्तीपुर रेल पुल, रोसरा रेल पुल एवं खगड़िया में खतरे के निशान से ऊपर है. बूढ़ी गंडक नदी के जल स्तर में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण तटबंधों पर दबाव बना हुआ है. इसके कारण रिसाव हो रहा है. इसको ठीक करने में इंजीनियर लगे हुए हैं. वहीं, गंगा नदी के जल स्तर में बक्सर, दीघा, गांधी घाट, हथिदह, मुंगेर, भागलपुर एवं कहलगांव में वृद्धि हुई है. कमला बलान नदी का जल स्तर जयनगर वीयर एवं झंझारपुर रेल पुल के डाउन स्ट्रीम के पास खतरे के निशान से ऊपर है.