सिंफर की वैज्ञानिक बना रहीं शैवाल से फूड मटेरियल, इसके सेवन से दूर होगा कुपोषण

तालाब, नदियों में उगने वाले शैवाल (एल्गी) से अब फूड मटेरियल तैयार होगा. इसके जरिये छोटे बच्चों व बुजुर्गों में कुपोषण दूर किया जा सकेगा. केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) की वैज्ञानिक डॉ वी अंगु सेल्वी ने शैवाल को फूड मेटेरियल में तब्दील करने का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया है.

By Pritish Sahay | March 16, 2020 6:29 AM

संजीव झा, धनबाद : तालाब, नदियों में उगने वाले शैवाल (एल्गी) से अब फूड मटेरियल तैयार होगा. इसके जरिये छोटे बच्चों व बुजुर्गों में कुपोषण दूर किया जा सकेगा. केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) की वैज्ञानिक डॉ वी अंगु सेल्वी ने शैवाल को फूड मेटेरियल में तब्दील करने का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके तहत तालाब, नदी या अन्य जल स्रोत से शैवाल को एकत्र किया जायेगा. लैब में इससे वैसे पदार्थों को अलग किया जायेगा जो मानव शरीर को हानि पहुंचा सकते हैं.

शैवाल को जिंदा रखने के लिए कुछ नाइट्रोजन जैसा केमिकल डाला जायेगा. उसके बाद शैवाल से प्रोटीन व अन्य उपयोगी पदार्थ को निकाल कर एकत्रित कर उसका फूड प्रोडक्ट तैयार किया जायेगा. यह प्रोडक्ट कैप्सूल, टैबलेट व पाउडर फॉर्म में तैयार किया जायेगा. ताकि इसे आसानी से लोगों तक पहुंचाया जा सके. इसका दूध के साथ सेवन करने पर ज्यादा लाभ होगा.

दो वर्ष में बाजार में आ जायेगा प्रोडक्ट : शैवाल को फूड मटेरियल में तब्दील करने के प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हो रहा है. अगले दो वर्ष के दौरान यह प्रोडक्ट बाजार में आ जायेगा. हालांकि किस तरह से यह आम लोगों तक पहुंचेगा, इसकी विस्तृत कार्य योजना अभी तैयार नहीं हुई है.

कानपुर में शुरू हुआ काम

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की तरफ से मार्च माह में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के तहत प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गयी है. इसकी शुरुआत प्राक्कलित राशि 83 लाख रुपये है. पहले चरण में इस पर कानपुर में काम शुरू होगा. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से इस प्रोजेक्ट को पूर्ण करने के लिए दो वर्ष का समय निर्धारित किया गया है.

शाकाहारी लोगों के लिए लाभदायक

सिंफर डिगवाडीह कैंपस में कार्यरत डॉ सेल्वी कहती हैं : शैवाल से तैयार यह फूड प्रोडक्ट पूरी तरह शाकाहारी होगा. यह वैसे लोगों के लिए ज्यादा लाभदायक है जो मांसाहार भोजन नहीं करते हैं. झारखंड जैसे राज्य में, जहां कुपोषण से पीड़ित बच्चों व बुजुर्गों की खासी संख्या है, को ध्यान में रख कर ही यह प्रोडक्ट तैयार किया जा रहा है. इसकी लागत भी बहुत कम होगी, ताकि गरीब तबके के लोग इसका उपयोग कर सकें. शैवाल में क्लोरोफिल भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो कि मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक है. सामान्यत: यह जल कुंभियों के साथ पाया जाता है. लोग इसका महत्व नहीं जानते हैं. दुनिया के कई देशों में इसका उपयोग किया जा रहा है.

झारखंड के पिछड़े इलाकों को प्राथमिकता

सिंफर की टीम लगातार जनहित के लिए शोध करने में लगी है. वैज्ञानिक डॉ ए सेल्वी द्वारा शैवाल (एल्गी) से फूड मटेरियल तैयार करने का प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है. इसका एकमात्र उद्देश्य देश के गरीबों को सस्ती दर पर पोषणयुक्त सामग्री उपलब्ध कराना है. झारखंड के पिछड़े इलाकों के वैसे बच्चे व बुजुर्ग, जो कुपोषण से ग्रसित हैं, को पहले चरण में यह प्रोडक्ट उपलब्ध कराने की कोशिश होगी.

डॉ पीके सिंह, निदेशक, सिंफर

किसानों को मिलेगा रोजगार

बहुत दिनों से इच्छा थी कि देश के गरीब लोगों के हित में कुछ नया शोध किया जाये. इसको ध्यान में रख कर ही शैवाल को फूड मटेरियल में तब्दील करने के प्रोजेक्ट पर शोध किया. संस्थान के निदेशक व सहयोगियों ने प्रोत्साहित किया. उम्मीद है कि यह जल्द ही आम लोगों तक पहुंच जायेगा. इसके जरिये किसानों को भी रोजगार मिलेगा. उन्हें शैवाल के उत्पाद को लेकर प्रशिक्षित किया जायेगा. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

डॉ ए सेल्वी, वैज्ञानिक, सिंफर

Next Article

Exit mobile version