Loading election data...

CSJMU NEWS: पहली बार रिसर्च इन बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री देगा सीएसजेएमयू….

सीएसजेएमयू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रम में सबसे पहले लागू की है.इस नीति के अनुसार, छात्र-छात्राओं को कई तरह की सुविधाएं प्रदान की गई हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 24, 2023 7:39 PM
an image

कानपुर : उत्तर प्रदेश में पहली बार छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) रिसर्च इन बैचलर ऑफ साइंस या आर्ट या कॉमर्स की डिग्री प्रदान करेगा. यह डिग्री लेने का विकल्प विवि के करीब 1.60 लाख छात्र-छात्राओं के लिए उपलब्ध रहेगा. परास्नातक प्रवेश वर्ष पास कर द्वितीय वर्ष की पढ़ाई न करने वाले छात्रों को यह डिग्री प्रदान की जाएगी. सत्र 2023-24 में छात्र-छात्राओं का यह प्रदेश में पहला बैच होगा, जो इसके योग्य होंगे. सीएसजेएमयू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रम में सबसे पहले लागू की है.इस नीति के अनुसार, छात्र-छात्राओं को कई तरह की सुविधाएं प्रदान की गई हैं.इसके अनुसार, छात्र स्नातक व परास्नातक के किसी भी वर्ष में पढ़ाई छोड़ सकता है पर यह पहले की तरह उसकी डिग्री अधूरी नहीं रहेगी.अब छात्रों को स्नातक-परास्नातक के पांच वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रथम वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, द्वितीय वर्ष के बाद डिप्लोमा, तृतीय वर्ष के बाद स्नातक की डिग्री, चतुर्थ वर्ष के बाद रिसर्च इन बैचलर डिग्री और पांच वर्ष के बाद परास्नातक की डिग्री मिलेगी.

Also Read: सीएसजेएमयू और रूस की पेंजा विवि के बीच हुआ करार, दोनों संस्थान मिलकर करेंगे शोध….
डिग्री अधूरी नहीं रहेगी

वर्ष 2024 में परास्नातक का राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रथम वर्ष का पहला बैच पासआउट होगा.इसमें जो छात्र-छात्राएं वॉकआउट करेंगे, उन्हें प्रदेश में पहली बार रिसर्च इन बैचलर ऑफ साइंस या आर्ट या कॉमर्स की डिग्री प्रदान की जाएगी. विवि की डीन एकेडमिक प्रो. रोली शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी नियम लागू हैं. छात्रों के वॉकआउट करने पर वर्ष अनुसार डिग्री प्रदान की जाएगी. हालांकि, स्नातक में अभी तक किसी भी छात्र ने प्रथम या द्वितीय वर्ष में छोड़ने का आवेदन नहीं किया है.

Also Read: कानपुर: आईआईटी के ‘साथी’ से तैयारी करेंगे नीट और जेईई मेन के छात्र, सीबीएसई को सौंपी जिम्मेदारी, जानें खासियत
बेटियों के दाखिले में आईआईटी कानपुर पास

बेटियों को दाखिला देने में आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास पास हो गए हैं पर देश में छात्रों की पहली पसंद आईआईटी बांबे पिछड़ गया है.यह खुलासा जेईई एडवांस्ड 2023 की वार्षिक रिपोर्ट में हुआ है, जिसे आईआईटी गुवाहाटी ने हाल में जारी की है.रिपोर्ट के मुताबिक आईआईटी दिल्ली और कानपुर में 20.3 फीसदी सीट पर बेटियां पढ़ाई करेंगी, जबकि आईआईटी बांबे में यह संख्या 19.5 फीसदी है.सबसे अधिक आईआईटी तिरुपति में 21.3 फीसदी बेटियों ने प्रवेश लिया है.देश की सभी आईआईटी में लिंगानुपात कम करने के लिए ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड ने बेटियों के लिए 20 फीसदी सीट निर्धारित की है.ये सीट सुपरन्यूमेररी के तहत बेटियों को आवंटित की जाएंगी। इस आदेश के बाद आईआईटी में बेटियों के प्रवेश लेने का स्तर सुधर रहा है.आईआईटी गुवाहाटी की रिपोर्ट के अनुसार, 11 आईआईटी में 20 फीसदी सीटों पर बेटियों ने प्रवेश लिया है. अन्य 12 आईआईटी में यह संख्या कम है.आईआईटी खड़गपुर में बेटियों की संख्या सबसे कम है.यहां सिर्फ 17.6 सीटों पर बेटियां हैं. रिपोर्ट के अनुसार आईआईटी में छठे राउंड के बाद पूरे हुए दाखिले की एनालिसिस है. इसके अनुसार आईआईटी बांबे, दिल्ली, कानपुर, मद्रास, हैदराबाद, गुवाहाटी और तिरुपति में निर्धारित सीट से अधिक प्रवेश हुए हैं. जबकि आईआईटी मंडी, खड़गपुर, पटना, रूड़की, धनबाद, रोपर, बीएचयू, भिलाई में कुछ सीटें बची हैं.

Exit mobile version