Jharkhand News (निरभ किशोर, गोड्डा) : झारखंड के गोड्डा जिला में किसानों की आमदनी बढाने के लिए कैश क्रॉप को अपनाया जा रहा है. खास कर पहली बार किसानों को पपीते की खेती कर बेहतर आर्थिक उपार्जन का टिप्स किसानों को दिया जा रहा है. यह प्रयोग मुख्य रूप से सदर प्रखंड के कनवारा पंचयात के कनवारा गांव में पपीते की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नर्सरी तैयार कर किसानों को सुविधा दी जा रही है. इसमें बेहतर किस्म के बीज का चयन और एक आधुनिक नर्सरी में बीज तैयार कर लोगों को पपीता का पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है. सहयोग में नाबार्ड के साथ जिला कृर्षि विभाग आमदा है.
हरगोरी कृषक उत्पादन संगठन के सचिव अमरेंद्र कुमार अमर द्वारा सब्सिडी युक्त पॉली हाउस उपलब्ध कराया गाया है. साल भर इस पॉली हाउस में पपीते की व्यवसायिक वैरायटी वाला पौधा तैयार किया गया है. इनमें ताइवान जैसी पपीते के नस्ल का करीब 8000 पौधा नर्सरी में आधुनिक तकनीक से तैयार किया है.
हरगोरी संगठन की ओर से ना केवल पौधा की बिक्री किसानों के बीच की जा रही है, बल्कि संगठन से जुड़े तमाम किसानों को इस लाभकारी खेती के बारे में लगातार जानकारी एवं पौधे को लगाने से लेकर उसके रख-रखाव के बारे में भी बताया जा रहा है.
श्री अमर ने बताया कि यह एक नया काम है और इसकी जानकारी का अभाव लगभग सभी किसानों को है. पपीता के पौधों को बेचने के साथ-साथ इसकी खेती से जुड़ी तमाम तकनीक से किसानों को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से देने का काम किया जा रहा है.
श्री अमर ने बताया कि अब तक सौ से भी अधिक किसानों को रेड लेडी पपीता के साथ ताइवान वेराइटी का पौधा देकर खेती कराया जा रहा है. इस वेराइटी में एक पौधे की फलन क्षमता 60 केजी से एक क्विंटल से ज्यादा है. ज्यादा देखभाल करने पर उत्पादन भी बेहतर है. एक पौधे से किसान को लगभग 1000 की आमदनी हो सकती है. बताया कि हरगौरी कृषक उत्पादक संगठन पपीते की खेती से जुड़े तमाम किसानों को मार्केट मुहैया भी करायेगी. उत्पाद को बड़े मंडी तक भी पहुंचाने का काम किया जायेगा. रेड लेडी पपीता की खासियत है कि फल को तोड़ने के बाद यह एक महीने तक सुरक्षित रह सकता है. उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य आने वाले दिनों में 25000 पौधा तैयार कर किसानों के बीच इसे उत्पादन के लिए दिया जाना है.
श्री अमर ने बताया कि पपीते की खेती मुख्य रूप से ऊंचे स्थान वाले ऊपर जमीन पर की जाती है. पानी का बसावट ना हो खासकर यदि लाल मोरंग मिट्टी हो, तो इसके लिए बहुत अच्छा है. गोड्डा जिले में किसानों की बारी जमीन पर भी पपीते की खेती अच्छे से हो सकती है. गोड्डा के साथ बिहार के बांका जिले के किसानों ने भी पौधा ले जाकर अपने जमीन में लगाया है.
Posted By : Samir Ranjan.