Foreign Studies: हर छात्र यह ख्वाहिश रखता है कि वह ऐसी डिग्री हासिल करे, जिससे उसके लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी करियर के ज्यादा से ज्यादा मौके उपलब्ध हों. फॉरेन एजुकेशन इस सपने को पूरा करने का रास्ता खोलती है. इसी के चलते विदेश में पढ़ाई करने की इच्छा रखनेवाले और उच्च शिक्षा के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों का रुख करनेवाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आप भी अगर हायर एजुकेशन या प्रोफेशनल स्टडी के लिए फॉरेन यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेना चाहते हैं, तो इन कदमों के साथ आगे बढ़ सकते हैं…
वक्त के साथ विदेश में पढ़ाई करने की ख्वाहिश रखनेवाले और उच्च शिक्षा के लिए फॉरेन यूनिवर्सिटीज का रुख करनेवाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ी है. विदेश मंत्रालय के तहत इमिग्रेशन ब्यूरो की ओर से साझा किये गये आंकड़ों के मुताबिक 2017 में जहां 4.54 लाख के करीब भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए विदेश गये थे, वहीं 2022 में यह आंकड़ा 7.50 लाख हो गया, जिसके अनुसार हर दिन औसतन 2055 छात्र विदेश गये. छात्रों के इन बढ़ते कदमों का महत्वपूर्ण कारण विदेशी डिग्री के साथ करियर की संभावनाओं का विस्तार होना है. एक सच यह भी है कि पढ़ाई के लिए किसी दूसरे देश में जाना आसान नहीं होता. इसके लिए खर्च का आकलन करने से लेकर विदेश में पढ़ाई पूरा करने के बाद वहां बननेवाले जॉब के मौकों एवं नौकरी से जुड़े कानूनों के बारे में जानना बेहद जरूरी होता है. आप अगर आगे की पढ़ाई के लिए फॉरेन यूनिवर्सिटीज में दाखिला लेने का मन बना रहे हैं, तो जानें कैसे अपने सफर को आसान बना सकते हैं.
-
2017-4,54,009
-
2018-5,17, 998
-
2019-5,86,337
-
2020-2,59,655 (कोरोना के कारण)
-
2021-4,44,553
2022 में विदेश पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है और कुल 7,50,365 छात्र विदेश पढ़ने गये.
विशेषज्ञों की मानें, तो विदेश में पढ़ाई करना रोमांचक, चुनौतीपूर्ण और जीवन को बदल देनेवाला जरूर हो सकता है, लेकिन यह आसान व सस्ता बिल्कुल नहीं होता. इसी के चलते एक मेधावी छात्र, जो बारहवीं के बाद विदेश में पढ़ने का मन बनाता है, उसे 9वीं या 10वीं से ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. अगर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए विदेश जाना चाहते हैं, तो इसकी तैयारी भी एक साल पहले शुरू करनी होगी. फॉरेन स्टडी के सपने पूरा करने के लिए छात्र को ढेर सारी रिसर्च करने की जरूरत होती है. इस रिसर्च में कोर्स, पढ़ाई के लिए कौन-सा देश, कौन-सा संस्थान, वहां का खर्च, पढ़ाई पूरा करने के बाद नौकरी की संभावनाएं, विदेश में की गयी पढ़ाई और नौकरी से संबंधित कानून आदि के बारे में बारीकी से जानना जरूरी होता है.
विदेशी संस्थान में आवेदन करने से लेकर वहां की ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, कितने वर्षों तक विदेश में रहना है, इन बातों के आधार पर आपको एक बजट तैयार करना होगा. देखना होगा कि आपके अभिभावक यह खर्च उठा सकते हैं या नहीं. यदि वे खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं, तो आपको लोन लेना होगा. लोन लेने से पहले इससे संबंधित सारे नियमों को जानना व समझना होगा, क्योंकि कुछ छात्र ऐसे भी हैं, जो लोन तो ले लेते हैं, लेकिन विदेश में पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते. इस स्थिति में उन्हें ड्रापआउट होने के बावजूद लाेन का भुगतान करना पड़ता है. इसी तरह लोन से संबंधित हर नियम को अच्छे से समझें, ताकि बाद में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े.
बजट के बाद इस बात पर फोकस करें कि आपको किस देश में और कौन-से कोर्स के लिए आवेदन करना है. बेहतर होगा कि आप डिमांड में रहनेवाले कोर्स का चयन करें, ताकि जॉब मार्केट में आपके लिए अच्छी संभावनाएं उपलब्ध रहें. फॉरेन स्टडी के लिए बिजनेस एंड मैनेजमेंट, कंप्यूटर साइंस एवं आइटी, इंजीनियरिंग, लॉ, मेडिसिन, इंटरनेशनल रिलेशंस एवं साइकोलॉजी आदि से संबंधित कोर्स छात्रों के बीच लोकप्रिय हैं. कोर्स व बजट के बाद यह निर्धारित करें कि आप किस देश में पढ़ाई करना चाहते हैं. यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, सिंगापुर आदि को सबसे ज्यादा शिक्षा शुल्क लेनेवाले देशों में गिना जाता है, वहीं नॉर्वे और जर्मनी में सार्वजनिक विश्वविद्यालय सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को उनकी राष्ट्रीयता की परवाह किये बिना मुफ्त डिग्री प्रदान करते हैं. फ्रांस और ऑस्ट्रिया के अधिकांश सार्वजनिक विश्वविद्यालय सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रति वर्ष 2500 यूरो से कम के अध्ययन कार्यक्रम पेश करते हैं. देश का चयन करने के बाद वहां किसी एक यूनिवर्सिटी में आवेदन करने की बजाय विभिन्न संस्थानों में आवेदन करें, ताकि आपके सिलेक्शन की संभावना बढ़ जाये. संस्थान की मान्यता जांचना न भूलें.
-
हाल ही में कनाडा में भारतीय छात्रों के साथ इमीग्रेशन स्कैम का मामला सामने आया है. आपको इस तरह के हालात का सामना न करना पड़े, इसके लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें.
-
विदेश में पढ़ाई के लिए काउंसलर की मदद लें, लेकिन उसकी बातों पर आंख बंद करके भरोसा न करें. छोटी, बड़ी हर सूचना को स्वयं सत्यापित करें.
-
इमीग्रेशन वकील का चयन करते वक्त उसकी वेबसाइट, गूगल रिव्यू और प्रशंसापत्र देखकर फर्म की ऑनलाइन प्रतिष्ठा की जांच करें. आप विदेश में पढ़ाई करनेवाले किसी परिचित से भी मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं.
-
दुनिया भर के देशों में मौजूद स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी के बारे में घर बैठे ऑनलाइन प्रमाणिक जानकारी जुटाना काफी मुश्किल है. नये युग की तकनीक के आने से वर्चुअल टूर शेड्यूल करना और काउंसलर के साथ आमने सामने ऑनलाइन मीटिंग करना आसान हो गया है. इससे सही संस्थान का चुनाव करने में मदद मिलती है.
-
विदेश में पढ़ाई के लिए जरूरी दस्तावेज तैयार करने में कोई चूक न करें. अपना आवेदन तैयार करते समय, दूतावास, वाणिज्य दूतावास की ओर से दी गयी चेकलिस्ट का कड़ाई से पालन करें. आप अगर चेकलिस्ट के अनुसार मांगे गये दस्तावेज प्रदान करने में असमर्थ हैं, तो आवश्यकता को पूरा करने के लिए वैकल्पिक दस्तावेज देखने का प्रयास करें और इसे अपने आवेदन के साथ शामिल करें.
-
विदेशी संस्थान का आवेदन पत्र
-
कोर्स की आवश्यकता के अनुसार मांगी गयी योग्यता व मार्कशीट
-
अंग्रेजी भाषा परीक्षण जैसे आइइएलटीएस व टोफेल के अंक
-
जीआरइ, जीमैट, सैट आदि मानकीकृत परीक्षाओं का स्कोरकार्ड
-
प्रवेश निबंध
-
पासपोर्ट
-
स्टेटमेंट ऑफ पर्पज (एसओपी)
-
एकेडमिक ट्रांसक्रिप्शन
-
लेटर ऑफ रिकमेंडेशन (एलओआर)
-
सीवी
-
हेल्थ सर्टिफिकेट
-
वित्तीय संसाधनों का प्रमाण
-
फोटोग्राफ