Loading election data...

गढ़वा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट निर्माण में वन विभाग ने फंसाया पेंच, अब देनी होगी बदले में 10 एकड़ जमीन

वन विभाग के इस पेंच के बाद नगर परिषद गढ़वा की ओर से जिला प्रशासन के माध्यम से जिले के सभी अंचल पदाधिकारियों को पत्र लिखकर 10 एकड़ गैरमजरूआ जमीन उपलब्ध कराने को कहा है. लेकिन अंचल पदाधिकारी इस मामले में अभी तक सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2023 10:37 AM

पीयूष तिवारी, गढ़वा : गढ़वा शहर के सुखबाना गांव में बननेवाले सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में वन विभाग की ओर से पेंच फंसा दिया गया है. गांव के जिस स्थल पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का निर्माण किया जाना है, वह भूमि खतियानी जंगल-झाड़ी किस्म की है. इस वजह से यह जमीन वन विभाग की हुई, इसलिये सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिये अनुमति प्रमाण देने के पूर्व वन विभाग ने इस जमीन के बदले में उतनी ही जमीन दूसरे स्थान पर वन विभाग के नाम उपलब्ध कराने के लिये नगर विकास विभाग को निर्देशित किया है.

बताया गया कि नये नियम के अनुसार सरकारी या गैर सरकारी स्तर पर वन विभाग की जीतनी जमीन विकास कार्यों के लिये ली जाती है, उतनी ही दूसरी जमीन जो रैयती या गैरमजरूआ किस्म की हो वन विभाग के नाम हस्तांतरित करनी पड़ती है. वन विभाग के इस पेंच के बाद नगर परिषद गढ़वा की ओर से जिला प्रशासन के माध्यम से जिले के सभी अंचल पदाधिकारियों को पत्र लिखकर 10 एकड़ गैरमजरूआ जमीन उपलब्ध कराने को कहा है. लेकिन अंचल पदाधिकारी इस मामले में अभी तक सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. वैसे भी वैसी गैरमजरूआ जमीन जो ग्रामीणों के कब्जे से पूरी तरह से मुक्त हो, उसे खोज निकालना और खाली कराकर वन विभाग को देना काफी मुश्किल काम लग रहा है. इस वजह से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के निर्माण पर लंबे समय तक ग्रहण लग सकता है. इसका निर्माण 1.5 अरब रूपये की लागत से किया जाना है, लेकिन इसमें जमीन अधिग्रहण करने के लिये एक रूपये की भी व्यवस्था नहीं की गयी है.

बताया जाता है कि यदि जमीन का अधिग्रहण कर उसके बदले में ग्रामीणों को मुआवजा राशि उपलब्ध करा दी जाये, तो मामला आसानी से हल हो जायेगा.ग्रामीणों से जमीन व घर खाली कराना भी मुश्किल काम होगाइधर यदि सारी प्रक्रिया करने के बाद वन विभाग की ओर से अनुमति मिलती है, तो सुखबाना गांव में जिस 10 एकड़ भूमि पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का निर्माण करना है, उसे ग्रामीणों के कब्जे से मुक्त कराना काफी दुरूह भरा है. इस स्थल पर ग्रामीणों का घर, पशु शेड, कूप व खेतीहर जमीन है. ग्रामीण शुरू से ही उक्त स्थल पर जोत-कोड करते आ रहे हैं. साथ ही यह मामला राजनीतिक रूप भी ले चुका है. पक्ष-विपक्ष कोई भी ग्रामीणों के कोप का भाजन नहीं बनना चाहता है.

बिना अनुमति के ही बनाने का प्रयास कर रही थी एजेंसी

इधर, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम करा रही एजेंसी ने शुरू में बिना वन विभाग से अनुमति लिये ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का निर्माण कराने का प्रयास किया. इसके लिये 10 एकड़ जमीन पर चाहरदिवारी का निर्माण कार्य शुरू भी किया गया. लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. ग्रामीणों द्वारा कड़ा विरोध करने के बाद नगर परिषद को सारी नियमाकूल प्रक्रिया करनी पड़ रही है. इस कारण करीब चार साल से यह मामला कागजी खानापूरी में फंसा हुआ है. ग्रामीणों ने इसको लेकर उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर कर रखी है. जहां से को स्टेटस बहाल करने का आदेश दिया गया था.

Also Read: झारखंड की पहली 8 लेन सड़क का 84 फीसदी काम पूरा, जानें कब से शुरू होगा फिनिशिंग वर्क
कचरा डाला जा रहा दानरो नदी में

इधर, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का निर्माण नहीं हो पाने की वजह से शहर का कचरा करीब आठ-दस सालों से दानरों व सरस्वतिया नदी में डाला जा रहा है. प्रतिदिन करीब 20 ट्रैक्टर कचरा नदी में डाले जाने व उसे समतल किये जाने से इसकी पाट कम हो गयी है. पाट कम होने के बाद उस पर कब्जे की भी होड़ लगी हुयी है. उस पर झोपड़ी व गुमटी आदि डाल दी गयी है.

जमीन मांगी गयी है, मिलने के बाद निर्माण आगे बढ़ाया जायेगा

इस संबंध में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि वन विभाग की ओर से जमीन की मांग की गयी है, इसके लिये सभी अंचल पदाधिकारियों को पत्र लिखकर जमीन की मांग की गयी है. जल्द ही जमीन मिलने की संभावना है, उसके बाद निर्माण कार्य पूरा कराया जायेगा.

Next Article

Exit mobile version