खबर का असर: बेतला नेशनल पार्क में जानवरों की पेयजल समस्या होने लगी दूर, टैंकर से शुरू हुई जलापूर्ति

बेतला नेशनल पार्क में जानवरों को पेयजल समस्या की समस्या से निजात देने के लिए टैंकर से जलापूर्ति करना शुरू कर दिया गया है. पिछले वर्ष पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जंगल के अधिकांश जलाशय सूख गये हैं

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2023 12:21 PM
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बेतला, संतोष कुमार. बेतला नेशनल पार्क में जंगली जानवरों को पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के लिए 1 फरवरी से टैंकर से जलापूर्ति शुरू कर दी गयी है. पिछले वर्ष पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जंगल के अधिकांश जलाशय सूख गये हैं. वहीं कई ऐसे जलाशय हैं जहां पहले सालों भर बारिश का पानी रहता था उन प्राकृतिक जलाशयों में भी पानी काफी कम हो गया है. जंगली जानवरों को पानी पीने के अलावे नहाने के लिए भी जरूरत होती है. कम पानी होने के कारण जंगली जानवरों का भटकाव जंगल से बाहर होने लगता है. इस समस्या के निदान को देखते हुए वन विभाग के वरीय पदाधिकारियों के निर्देश पर जलापूर्ति शुरू कर दी गयी है.

जानवरों को अब नहीं रहना होगा प्यासा

प्रभात खबर के द्वारा बेतला नेशनल पार्क में पानी की कमी और इससे जंगल के जानवरों को हो रहीं परेशानी को प्रमुखता से उठाया गया था.रेंजर शंकर पासवान ने बताया कि नियमित रूप से प्रतिदिन पार्क क्षेत्र के सभी महत्वपूर्ण स्थलों पर बनाये गये वाटर ट्रफ / सीमेंटेड वाटर टैंक में पानी की आपूर्ति की जायेगी ताकि जानवरों को पानी की समस्या से परेशानी नहीं हो सके.

नाला और जलाशय सूखने के कगार पर

बेतला नेशनल पार्क में एक दर्जन से अधिक प्राकृतिक जलाशय और कई कृत्रिम जलाशय है.पार्क क्षेत्र में मधुचुंआ, हथबझवा चतुर बथुआ के अलावा नावाबांध ,खैराही , नुनाही,बाघ झोपड़ी , फूठहवा, बौलिया, दूध मटिया झबरीबर, खरोपवा, गोबरदाहा, कनौदी, जमुआही, पपरापानी , कमलदह,शिवनाला, जितिया नाला आदि महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं . इनमें से अधिकांश जलाशय और नाला सूख गया है. वही महत्वपूर्ण जलाशय भी सूखने के कगार पर हैं.

इस वर्ष बनी है भयावह स्थिति, बसंत में पतझड़

चारा और पानी की समस्याओं से निपटने में इस बार वन विभाग को काफी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. पिछले वर्ष बारिश कम होने के कारण स्थिति काफी भयावह दिख रही है. जंगली जानवरों की उपस्थिति पार्क के अंदर ही बनी रहे इसके लिए पर्याप्त चारा और पानी जरूरी है. लेकिन जो स्थिति दिख रही है उसे स्पष्ट है कि जानवरों के लिए चारा और पानी की उपलब्धता पर्याप्त नहीं है. इस बार फरवरी महीने में ही मौसम में बदलाव दिखने लगा है. पेड़ों के लगातार गिरने से बसंत ऋतु में ही पतझड़ ऋतु का नजारा दिख रहा है. विशेषज्ञों की राय है कि इस बार बारिश कम होने के कारण ऐसी स्थिति बन रही है.

हजारों की संख्या में मौजूद वन्य जीवों को पानी पिलाना चुनौती

बेतला नेशनल पार्क में छह हजार की संख्या में हिरण के अलावे इतने ही संख्या में लंगूर और बंदर मौजूद हैं. इतना ही नहीं बायसन, लेपर्ड लकड़बग्घा, जंगली सूअर के अलावे सहित अन्य जंगली जानवरों के साथ-साथ हजारों की संख्या में पक्षियां मौजूद हैं. जिन्हें पानी पिलाना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है.

क्या कहते हैं रेंजर

रेंजर शंकर पासवान ने कहा कि पानी की समस्या से निबटने के लिए बेतला नेशनल पार्क प्रबंधन पूरी तरह से तैयार है. जंगली जानवरों का भटकाव बाहर न हो इसमें कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा. सभी जगह पानी की भरपूर आपूर्ति की जाएगी.

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