आसनसोल के पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी को नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत, पुलिस हिरासत में गुजारने होंगे दिन

उनकी पत्नी चैताली तिवारी सहित कुल 10 लोगों को नामजद सहित अन्य को आरोपी बनाया गया था. इस मामले में श्री तिवारी को लेकर अब तक कुल नौ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 21, 2023 12:22 PM
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आसनसोल के पूर्व मेयर सह भाजपा नेता जितेंद्र कुमार तिवारी को सर्वोच्च न्यायालय से सोमवार को कोई राहत नहीं मिली. उनके दो सहयोगियों आसनसोल नगर निगम में वार्ड संख्या 29 के पार्षद व भाजपा नेता गौरव गुप्ता और एक अन्य भाजपा नेता तेजप्रताप सिंह को सर्वोच्च न्यायालय से 14 दिनों का रक्षा कवच मिल गया. इस बीच पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकती है, दोनों की जांच में पुलिस को पूर्णरूप से सहयोग करना होगा. भाजपा पश्चिम बर्दवान जिला लीगल सेल के संयोजक अभिजीत घटक ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में अगली सुनवाई 14 दिनों बाद है.

भाजपा के दोनों नेताओं की गिरफ्तारी पर रोक लगी है. अग्रिम जमानत नहीं मिली है. श्री तिवारी के गिरफ्तार हो जाने के कारण उन्हें रक्षा कवच नहीं मिल पाया. उनकी जमानत को लेकर 27 मार्च से प्रक्रिया आरंभ होगी. आठ दिनों की पुलिस रिमांड के बाद 27 मार्च को उन्हें अदालत में पेश किया जायेगा. संभावना है कि पुलिस पुनः रिमांड की अपील करेगी.

सनद रहे कि आसनसोल नॉर्थ थाना क्षेत्र अंतर्गत गोसाई डांगाल इलाके में 14 दिसंबर 2022 को शिवचर्चा और कंबल वितरण कार्यक्रम के दौरान मची भगदड़ में एक छात्रा सहित दो महिलाओं समेत कुल तीन की मौत हो गयी थी. मामले में श्री तिवारी, उनकी पत्नी चैताली तिवारी सहित कुल 10 लोगों को नामजद सहित अन्य को आरोपी बनाया गया था. इस मामले में श्री तिवारी को लेकर अब तक कुल नौ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

श्री तिवारी को पुलिस ने शनिवार को नोएडा से गिरफ्तार किया. तीन फरवरी को पश्चिम बर्दवान जिला जज कोर्ट और 23 फरवरी को कलकत्ता उच्च न्यायलय से श्री तिवारी की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज हुई थी. इसके उपरांत उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की अपील की. जिसे लेकर राज्य सरकार ने कैविएट फाइल किया था. जितेंद्र की ओर से 12 और राज्य सरकार की ओर से 16 वकील शामिल थे सुनवाई में.

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सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान श्री तिवारी की ओर से पीएस पटवालिया के नेतृत्व में 12 अधिवक्ता और राज्य सरकार की ओर से आस्था शर्मा के नेतृत्व में 16 वकील इस मामले की सुनवाई में शामिल थे. भाजपा लीगल सेल के जिला के संयोजक श्री घटक ने कहा कि यह सुनवाई काफी देर तक चली. न्यायाधीश ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि जब कैविएट फाइल किया था, तो गिरफ्तारी के लिए इतनी हड़बड़ी क्या थी?

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