भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान चरणजीत सिंह का निधन, ओलंपिक में भारत को दिलाया था गोल्ड

पूर्व हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 27, 2022 4:53 PM

भारत को 1964 टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में गोल्ड मेडल दिलाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान चरणजीत सिंह (Charanjit Singh) का 91 साल की उम्र में निधन हो गया.

दिल का दौरा पड़ने से हुआ चरणजीत सिंह का निधन

पूर्व हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे. चरणजीत अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने वाले थे. उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है. पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे.

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बेटे वीपी सिंह ने क्या बताया

चरणजीत सिंह के बेटे वी पी सिंह ने बताया, पांच साल पहले स्ट्रोक के बाद से वह लकवाग्रस्त थे. वह छड़ी से चलते थे लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई. उन्होंने सुबह अंतिम सांस ली.

भारतीय हॉकी टीम को अपनी कप्तानी में पहुंचाया शिखर पर

चरणजीत सिंह ने अपनी कप्तानी में भारतीय हॉकी को शिखर पर पहुंचाया. ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम में भी थे. इसके अलावा वह 1962 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे.

चरणजीत सिंह की कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान को हराकर जीता था ओलंपिक खिताब

ओलंपियन चरणजीत भारतीय हॉकी के गौरवशाली दिनों के साक्षी थे. करिश्माई हाफ बैक चरणजीत की कप्तानी में भारत ने 1964 ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता. वह 1960 ओलंपिक में भारत के शानदार प्रदर्शन के नायकों में से रहे लेकिन चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके जो भारत एक गोल से हार गया था. इसके चार साल बाद उनकी कप्तानी में टीम ने बदला चुकता करके पीला तमगा जीता.

हॉकी इंडिया ने चरणजीत सिंह के निधन पर जताया शोक

हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया. हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा , हॉकी जगत के लिये यह दुखद दिन. उम्र के इस पड़ाव पर भी हॉकी का जिक्र आने पर उनकी आंखों में चमक आ जाती थी. उन्हें भारतीय हॉकी के उन गौरवशाली दिनों की हर याद ताजा थी जिनका वह हिस्सा रहे थे. उन्होंने कहा , वह महान हाफबैक थे जिन्होंने खिलाड़ियों की पूरी एक पीढी को प्रेरित किया. वह शांतचित्त कप्तान थे और मैदान पर उन्हें उनके कौशल तथा मैदान के बाहर सज्जनता के लिये हमेशा याद रखा जायेगा.

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