धनबाद : झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को कोर्ट के आदेश के बाद लाया गया आविष्कार जांच केंद्र, बढ़ा बीपी
कोर्ट के आदेश के बाद झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को जांच के लिए एसएनएमएमसीएच से आविष्कार जांच घर लाया गया, जहां उनके सिर का एमआरआई होना था, लेकिन अचानक उनका बीपी बहुत ज्यादा हाई हो गया. जिसके बाद उन्हें वापस अस्पताल ले जाया गया.
Dhanbad News: अदालत के आदेश पर शुक्रवार को झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को जांच के लिए एसएनएमएमसीएच से आविष्कार जांच घर लाया गया, जहां उनके सिर का एमआरआई किया जाना था, लेकिन अचानक उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई. उनका ब्लड प्रेशर काफी हाई हो गया और उनका एमआरआई नहीं हो पाया. डॉक्टरों ने बताया कि उनका बीपी 180/100 मापा गया. इस स्थिति में उनका एमआरआई नहीं किया जा सकता. जिसके बाद उन्हें वापस अस्पताल ले जाया गया.
संजीव सिंह ने मांगी थी इच्छा मृत्यु
बता दें कि इससे पहले झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह ने कोर्ट में आवेदन देकर इच्छा मृत्यु मांगी थी. अदालत में दायर याचिका में संजीव सिंह ने लिखा था कि इलाज के लिए नहीं भेज सकते तो मुझे इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दें. संजीव सिंह की ओर से उनके अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत में यह आवेदन दायर किया था, जिसमें कोर्ट से इच्छा मृत्यु मांगी गयी थी.
कहा था- तड़प कर मरने से अच्छा है कि गरिमा के साथ मरें
संजीव सिंह के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने अदालत से कहा था कि संजीव सिंह इलाज के अभाव में एसएनएमएमसीएच में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार की मानवता मर गयी है. कोर्ट में राज्य सरकार इनके इलाज का विरोध कर रही है. सरकारी अस्पताल में बेड पर इलाज के अभाव में तड़प कर मरने से अच्छा है कि गरिमा के साथ मरें.
अदालत ने खारिज की इच्छा मृत्यु वाली याचिका
हालांकि, संजीव सिंह की इच्छा मृत्यु वाली याचिका खारिज हो गयी. गुरुवार को सुनवाई के बाद अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दी. अदालत ने इनके बेहतर इलाज का निर्देश दिया है. अदालत के इसी आदेश के आलोक में संजीव सिंह को आज अस्पताल से कड़ी सुरक्षा में सरायढेला स्थित आविष्कार जांच केंद्र लाया गया.
क्या है पूरा मामला
मालूम हो कि झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह पर धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड का आरोप है. नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या मामले में संजीव सिंह अप्रैल 2017 से जेल में बंद हैं. 11 जुलाई 2023 को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें धनबाद मंडल कारा से एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया था. एसएनएमएमसीएच के सीसीयू में भर्ती संजीव सिंह की हालत स्थिर बनी हुई थी. अदालत ने उनके इलाज के लिए गठित मेडिकल बोर्ड ने जांच के बाद उन्हें रिम्स भेजने की सलाह दी. मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आलोक में कोर्ट ने उन्हें रिम्स भेजने का निर्देश दिया गया. धनबाद कोर्ट के आदेश पर पुलिस संजीव को लेने अस्पताल पहुंची, परंतु संजीव ने रांची रिम्स जाने से इनकार कर दिया.
संजीव सिंह की पत्नी और उनके समर्थकों को राज्य सरकार पर भरोसा नहीं
संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह और उनके समर्थक नहीं चाहते कि उन्हें रिम्स लाया जाए. भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एवं झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह ने मांग की थी कि उनके पति का उपचार धनबाद के किसी बड़े निजी अस्पताल में कराया जाये. सारा खर्च उनका परिवार वहन करेगा. उन्होंने आशंका जतायी कि रिम्स में उनके पति का सही इलाज नहीं होगा. सरकार के दबाव में उनके पति का समुचित इलाज नहीं हो रहा है. रिम्स में उन्हें गलत और हानिकारक दवा देकर क्षति भी पहुंचा सकते हैं.
हाई कोर्ट ने भी मेडिकल ग्राउंड पर राहत देने से किया इंकार
पिछले दिनों हाई कोर्ट ने भी उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर राहत देने से इनकार कर दिया था. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद संजीव सिंह की याचिका खारिज कर दी थी. अस्पताल में दाखिला कराते वक्त बताया गया था कि संजीव जेल में कुर्सी से गिर कर घायल हो गये हैं. दरअसल, संजीव सिंह की रिपोर्ट में उन्हें किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं होने की बात बतायी गयी थी. वहीं, जेल प्रशासन ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि प्रार्थी संजीव सिंह को मेडिकली फिट हैं. जिसके बाद अदालत ने जेल प्रशासन की रिपोर्ट को देखते हुए संजीव सिंह को जमानत देने से इनकार कर दिया. कोई रास्ता नहीं दिखा तो संजीव सिंह की ओर से इच्छा मृत्यु की याचिका दायर की गई. जिसके बाद अदालत ने उन्हें रिम्स ना भेजकर प्रइवेट अस्पताल में इलाज कराने का निर्देश दे दिया.