यूपी सरकार में पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम के पिता पूर्व विधायक इस्लाम साबिर और उनके भाई फहीम साबिर को कोर्ट ने 32 साल पुराने मामले में गुरुवार को बरी कर दिया है.यह मुकदमा चुनावी रंजिश में वर्ष 25 नवम्बर 1989 में दर्ज हुआ था. सुनवाई के दौरान मुकदमे के गवाह मुकर गए, जिसके चलते साक्ष्यों के आभाव में मुकदमे से बरी कर दिया गया है. इस मुकदमे के तीसरे आरोपी राधेश्याम की बीमारी से कुछ साल पहले मौत हो चुकी है.
बरेली शहर के थाना कोतवाली में 25 नवंबर 1989 को अनिल शर्मा ने पूर्व मंत्री शहजिल इस्लाम के पिता पूर्व विधायक इस्लाम साबिर और उनके छोटे भाई फहीम साबिर और पूर्व भाजपा प्रत्याशी राधेश्याम के खिलाफ जानलेवा हमला का मुकदमा दर्ज कराया था. इसमें वादी अनिल शर्मा ने आरोप लगाया था की पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन के चुनाव में मुख्य भूमिका निभाने वाले उनके समर्थक एसपी सिंह को सिविल लाइन्स स्थित नवरंग पान की दुकान के सामने रिक्शे से उतारकर गोली मारी थी.
यह गोली एसपी सिंह के सिर में लगती हुई निकल गई. इसके साथ ही उनके छोटे भाई फईम साबिर और राधेश्याम ने चाकू से वार किए. जिससे वह घायल हो गए.एसपी सिंह की चीख पुकार सुनकर भीड़ एकत्र हो गई. संजीव गुप्ता भी पहुंच गए. वह घायल एसपी सिंह को कार से थाना कोतवाली ले गए.
Also Read: बरेली जंक्शन पर डेयरी संचालक की ट्रेन से कटकर मौत, भैंस खरीदने जाने के दौरान हादसा
पुलिस ने मेडिकल परीक्षण कराया. इसके बाद जानलेवा हमले में की धारा 307 के साथ 147 और 148 में मुकदमा दर्ज किया. 32 साल पुराने इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. मगर, पीड़ित के साथ ही गवाह भी मुकर गए. इन लोगों ने पूर्व विधायक इस्लाम सागर और बाकी आरोपियों को पहचानने से ही इनकार कर दिया. जिसके चलते न्यायाधीश ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया है.
25 नवंबर को मुकदमा और इसी दिन बरी- इस मुकदमे में एफआइआर 32 साल पहले 25 नवंबर को हुई थी. 32 साल तक न्यायालय में मुकदमा चला, लेकिन मुकदमे का समाधान भी 25 नवंबर को ही हुआ है, जो न्यायालय में चर्चा का विषय बन गया.
Also Read: Free Ration: यूपी में मार्च तक मिलेगा मुफ्त राशन, गेंहू-चावल के साथ दाल और सरसों तेल भी देगी सरकार
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद