झारखंड: पूर्व सांसद ददई दुबे के आचार संहिता उल्लंघन मामले में गवाह मुकरा
20 अप्रैल 2014 को निरसा के अंचल अधिकारी प्रशांत कुमार लायक की शिकायत पर ददई दुबे व नीतीश कुमार सिंह के खिलाफ चिरकुंडा (कालूबथान) में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. दोनों आरोपियों पर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप है.
धनबाद: आचार संहिता उल्लंघन के एक मामले की सुनवाई बुधवार को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी संतोषिनी मुर्मू की अदालत में हुई. अभियोजन की ओर से सहायक लोक अभियोजक समित प्रकाश ने प्रवीर चौबे की गवाही करायी. गवाह ने घटना की पुष्टि नहीं की. अदालत ने गवाह को पक्षद्रोही घोषित कर दिया. अदालत में धनबाद के पूर्व सांसद ददई दुबे उपस्थित नहीं थे. उनकी ओर से उनके अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार पांडेय ने प्रतिनिधित्व आवेदन दायर किया. अदालत ने अभियोजन को गवाह पेश करने का निर्देश देते हुए साक्ष्य के लिए अगली तारीख 13 सितंबर 2023 निर्धारित कर दी. बताते चलें कि 20 अप्रैल 2014 को निरसा के अंचल अधिकारी प्रशांत कुमार लायक की शिकायत पर ददई दुबे व नीतीश कुमार सिंह के खिलाफ चिरकुंडा (कालूबथान) में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. दोनों आरोपियों पर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप है.
धोखधड़ी मामले में अरूप चटर्जी के खिलाफ नहीं हो सका आरोप तय
इधर, धोखाधड़ी कर ठगी करने के आरोपित चिट फंड कंपनी केयर विजन इंफ्रा स्ट्रक्चर एंड एग्रीटेक लिमिटेड के डायरेक्टर अरूप चटर्जी के मामले की सुनवाई बुधवार को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी संतोषिनी मुर्मू की अदालत में हुई. आरोपी अरूप चटर्जी अदालत में उपस्थित नहीं थे. फलस्वरूप उनके विरुद्ध आरोप तय नहीं हो सका. उनकी ओर से उनके अधिवक्ता शहनवाज ने पैरवी की. अदालत ने आरोप तय करने के लिए अगली तारीख 25 अगस्त निर्धारित कर दी.
क्या है मामला
कुइया 10 नंबर निवासी महाराज सिंह ने 19 जनवरी 2023 को तीसरा थाना में चिट फंड कंपनी केयर विजन इंफ्रा स्ट्रक्चर एंड एग्रीटेक लिमिटेड के डायरेक्टर अरूप चटर्जी के खिलाफ पांच लाख 25 हजार रुपये ठगी करने का आरोप लगाया है. प्राथमिकी के मुताबिक उक्त रुपये अरूप ने यह कह कर जमा करवाया कि कंपनी ने महाराज सिंह को अगले 10 वर्षों तक प्रत्येक माह 7500 रुपये देने का वादा किया. लेकिन कंपनी ने दो वर्षो तक 7000 हजार रुपये प्रत्येक माह भुगतान किया. जब इस संबंध में महाराज सिंह ने अरूप से रांची जाकर बात की. तब उसने बोला कि हम तुम्हारा कोई पैसा नहीं जानते और ना ही कंपनी तुम्हे कोई पैसा देगी.