24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्थापना दिवस विशेष : प्रभात खबर यानी प्रयोगों की कहानी

आज से 36 साल पहले 14 अगस्त 1984 को प्रभात खबर का सफर शुरू हुआ था. इस दौरान प्रभात खबर ने पत्रकारिता के साथ-साथ सामाजिक दायित्व का भी बखूबी िनर्वहन िकया है. आमलोगों की आवाज बनने के साथ ही कई मुश्किल समय में अपने पाठकों के साथ खड़ा रहा है

आज से 36 साल पहले 14 अगस्त 1984 को प्रभात खबर का सफर शुरू हुआ था. इस दौरान प्रभात खबर ने पत्रकारिता के साथ-साथ सामाजिक दायित्व का भी बखूबी िनर्वहन िकया है. आमलोगों की आवाज बनने के साथ ही कई मुश्किल समय में अपने पाठकों के साथ खड़ा रहा है. प्राकृतिक आपदा (बाढ़, सूखा, भूकंप आदि) हो या किसी जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता की बात, प्रभात खबर अपने दायित्व को निभाने में आगे रहा. प्रभात खबर ने न सिर्फ अखबार में इन मुद्दों को उठाया बल्कि पत्रकारिता से आगे जा कर एक्टिविस्ट बन कर, सामाजिक कार्यकर्ता बन कर लोगों से साथ खड़ा रहा. इस सफर को बयां करती िरपोर्ट. (सामग्री अनुज कुमार िसन्हा लिखित पुस्तक प्रभात खबर: प्रयोग की कहानी से साभार)

पलामू में सूखा पीड़ितों के लिए अभियान : वर्ष 1992 में पलामू में सूखा (अकाल) पड़ा था, जमीन फट चुकी थी. स्थिति काफी गंभीर हो गयी थी. पानी अौर चारा के अभाव में जानवर मर रहे थे. भूख से कई लोगों की मौत हो चुकी थी. लोग पलामू छोड़ कर जा रहे थे. ऐसी स्थिति में प्रभात खबर ने सूखा पीड़ितों की सहायता के लिए अभियान चलाया. अखबार में पलामू के गांवों और भुखमरी पर लगातार रिपोर्ट छापी.

इतना ही नहीं, रांची में प्रभात खबर ने छोटानागपुर राहत कमेटी नाम से एक कमेटी बनायी. इस कमेटी में रांची के डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी, कर्नल बक्शी, हरिवंश, त्रिदीव घोष जैसे प्रमुख लोग थे. लोगों से अपील की कि वे सूखा पीड़ियों की सहायता के लिए आगे आयें. प्रभात खबर की पूरी टीम और शहर की प्रमुख संस्थाओं ने रांची में घुम-घुम राहत सामग्री एकत्रित की. शहर की संस्थाअों ने साथ दिया. एक-एक कर यहां की संस्थाएं आगे आती गयीं. लोग सामने आये.

पैसा और राहत सामग्री दी. एक-एक पैसे का हिसाब अखबार में छापा गया ताकि आम जनता यह जान सके कि उनके द्वारा दिये गये पैसे का क्या हुआ. जो सामान्य लोगों ने दिया, उसे पलामू भेज कर जरूरतमंद लोगों के बीच बंटवाया गया. 18 दिसंबर 1992 को छोटानागपुर राहत कमेटी के बैनर तले दो ट्रक राहत सामग्री पलामू-गढ़वा भेजी गयी थी. कर्नल बक्शी और कृष्णानंद मिश्र के नेतृत्व में यह टीम राहत सामग्री लेकर गयी थी. 8 नवंबर 1992 के अंक में प्रभात खबर ने इस अभियान में आने के लिए लोगों का आभार व्यक्त किया.

बिहार में बाढ़ हो या महाराष्ट्र-गुजरात में भूकंप, प्रभात खबर ने अभियान चला कर राहत सामग्री एकत्रित की और उसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया. 30 सितंबर 1993 को लातूर में भूकंप आया था. इसमें 22 हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे. इस राष्ट्रीय आपदा में प्रभात खबर खड़ा रहा. रांची में छोटानागपुर राहत कमेटी के माध्यम से अखबार में सहायता की अपील की गयी. बड़ी संख्या में लोग सामने आये. 50 रुपये से अधिक की राशि देनेवालों का नाम प्रकाशित किया गया. जो भी राशि जमा हुई, उसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया गया.

1998 में चलाया ऑपरेशन अंधविश्वास : जब झारखंड बिहार का हिस्सा था, उन दिनों महिलाओं की डायन करार देकर हत्या कर दी जाती थी. प्रभात खबर ने इस अंधविश्वास के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 1998 में एक अभियान चलाया था. सरायकेला में 24 दिसंबर 1998 को प्रभात खबर और फ्री लीगल एड कमेटी (फ्लैक) ने मिलकर इसकी शुरूआत की थी. इसमें पूरे राज्य से उन महिलाओं को भी बुलाया गया था, जिन्हें डायन करार देकर उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था, इसके तहत गांव में एक टीम जाती थी और नुक्कड़ नाटक के जरिए यह बताया जाता था कि कैसे अंधविश्वास के कारण महिलाओं को न सिर्फ डायन करार दिया जाता है बल्कि उनकी हत्या भी कर दी जाती है.

झारखंड के विकास पर दिल्ली में बैठक : झारखंड राज्य के गठन के पहले से ही प्रभात खबर इस क्षेत्र के विकास के लिए चिंतित रहा. एक ओर प्रभात खबर अलग झारखंड राज्य के समर्थन में वैचारिक लड़ाई लड़ रहा था, दूसरी ओर राज्य पिछड़ा नहीं रहे, इसके लिए विकास के प्रति भी सचेत रहा. इसका एक उदाहरण था विकास पर बैठकका आयोजन करना. प्रभात खबर द्वारा 17 मई 1990 को नयी दिल्ली में एक होटल में बिहार (अविभाजित) से संबंधित आधे घंटे की एक फिल्म दिखायी गयी थी.

इसमें राज्य के औद्योगिक विकास में हुए ह्रास, विकास के नाम पर ठगी, बदहाली, सामाजिक विषमता और बिहार के साथ केंद्र के भेदभाव को दिखाया गया था. इस समारोह में लगभग 30 सांसद और अनेक बुद्धिजीवी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक मौजूद थे. इसमें चंद्रशेखर, शत्रुघन सिन्हा भी मौजूद थे. यह इस बात का प्रमाण है कि प्रभात खबर अपने राज्य के विकास के लिए सतत प्रयासरत रहा है.

बाद में भी ऐसे प्रयास होते रहे. प्रभात खबर ने दिसंबर 2012 में दिल्‍ली के होटल इरोज हिल्टन में लीडरशिप समिट कराया. इसमें रवि शंकर प्रसाद, सुबोधकांत सहाय, झारखंड के मुख्य सचिव एसके चौधरी, एड गुरु प्रहलाद कक्कड़, पत्रकार दिलीप राजदेसाई उपस्थित थे. देश की कई प्रमुख कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने इसमें भाग लिया.

पीपुल्स असेंबली (वर्ष 2007) : संभवत: प्रभात खबर देश का पहला अखबार है जिसने विधानसभा सत्र के दौरान तीन दिनों की पीपुल्स असेंबली बुलायी. 20, 21 और 22 अगस्त 2007 को रांची, धनबात और देवघर में पीपुल्स असेंबली का आयोजन किया गया. उन दिनों विधानसभा का सत्र चल रहा था. लेकिन जनता की समस्याएं नहीं उठ रही थी. विधायक इन मुद्दों पर मौन थे. सार्थक बहस नहीं हो रही थी. हो-हंगामा में समय बर्बाद हो रहा था. भ्रष्टाचार के एक से एक मामले सामने आ रहे थे.

लेकिन इन पर चर्चा नहीं हो रही थी. उन्हीं दिनों प्रभात खबर ने कौन है विनोद सिन्हा स्टोरी प्रकाशित की थी. प्रभात खबर झारखंड के चार शहरों में 81-81 लोगों सा समूह बनाया. ये समाज के सभी जाति, धर्म, वर्ग, विभिन्न राजनीतिक दल से जूड़े थे. इसे एक तरह से विधानसभा मान लिया गया. बुलाये गये 81 लोगों को विधायक मान कर कार्यक्रम का अध्यक्ष चुने गये. उन्होंने कार्यक्रम का संचालन ठीक उसी तरह किया जैसे विधानसभा में अध्यक्ष करते हैं.

इसमें कोई पक्ष या विपक्ष नहीं था. सिर्फ अध्यक्ष थे और बाकी सदस्य जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.. इस पूरे कार्यक्रम को पीपुल्स असेंबली का नाम दिया गया. मौजूद लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं, मुद्दों को उठाया. इस कार्यक्रम का संदेश विधायकों को देना था कि कैसे वे अपनी जिम्मेवारी से भाग रहे हैं. उन्हें यह बताना था कि जिन सवालों को ये लोग उठा रहे हैं उन सवालों को विधानसभा में उठाने की जिम्मेवारी विधायकों की थी जिन्होंने इसका निर्वहन नहीं किया.

परमवीर अलबर्ट एक्का के परिवार के लिए आगे आया : वर्ष 1998 में प्रभात खबर में एक रिपोर्ट छपी कि परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का (जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गये थे) की पत्नी बलमदीना एक्का अभाव में जी रही है. दूसरों के खेतों में धान रोप रही है. इस खबर के छपने के बाद समाज बेचैन हो गया. प्रभात खबर ने तय किया कि अलबर्ट एक्का की पत्नी के लिए राशि जुटायी जायेगी, ताकि उन्हें दूसरे के खेतों में काम नहीं करना पड़े. इसके लिए जमशेदपुर में एक कमेटी बनायी गयी.

पूर्वी सिंहभूम के तत्कालीन उपायुक्त थे संजय कुमार. उन्होंने काफी सक्रिय भूमिका अदा की. पूरे अभियानके चेयरमैन उपायुक्त रहे. पूरे शहर को इस अभियान से जोड़ा गया. उपायुक्त के दफ्तर में कई बैठकें हुईं, जिसमें सरकारी अधिकारियों समेत समाज के हर तबका के लोगों को भी बुलाया गया. शहर में कार्यक्रम होने लगे. इन कार्यक्रमों के बाद राशि जमा करने की घोषणा की जाने लगी. जमशेदपुर में 24 अक्तूबर 1999 को हम आपके साथ हैं मिसेज अलबर्ट एक्का नाम से विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस आयोजन में सेना के जवानों को भी आमंत्रित किया गया. तीन-चार सौ सेना के जवान-अधिकारी आये थे. गुमला के गांव से अलबर्ट एक्का की पत्नी को लाने की जिम्मेवारी प्रभात खबर के प्रतिनिधि ओम प्रकाश चौरसिया की थी. कार्यक्रम से एक दिन पहले मिसेज एक्का अपने बेटे के साथ जमशेदपुर आयीं. साथ में परमवीर चक्र मेडल लेकर आयी थी. बड़ा कार्यक्रम हुआ. 1500 लोगों और देशभक्ति गीतों के बीच अलबर्ट एक्का की पत्नी को सवा चार लाख रुपये का ड्राफ्ट सौंपा गया. सभी ने इस अभियान को सराहा.

Post by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें