धनबाद में 45 फर्जी कंपनियों का फर्जीवाड़ा, 16606 करोड़ रुपये का चोरी का कोयला बेचा
धनबाद: राज्यकर की जांच रिपोर्ट में इसका हुआ खुलासा है. इन सभी फर्जी कंपनियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है. मामला पिछले 18 माह का है. कागज पर कोयले की खरीद-बिक्री कर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लिया गया.
धनबाद, सुधीर सिन्हा : 45 फर्जी कंपनियों ने फर्जी कागजात के सहारे 161.19 करोड़ की जीएसटी की चोरी की. उन लोगों ने 80895 ई-वे बिल पर 16606 करोड़ रुपये का दो नंबर का कोयला बेच दिया. राज्यकर की जांच रिपोर्ट में इसका हुआ खुलासा है. इन सभी फर्जी कंपनियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है. मामला पिछले 18 माह का है. जानकारी के अनुसार, कागज पर कोयले की खरीद-बिक्री कर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लिया गया. बिक्री में राज्य कर को जो टैक्स मिलना चाहिए था, उसे आइटीसी के साथ एडजस्ट दिखाकर फर्जी कंपनियां सरकार को टैक्स रूप में मिलनेवाले 161.19 करोड़ डकार गयीं. नियम के मुताबिक, सेल किये गये माल का थ्री बी रिटर्न दाखिल करना होता है.
इस मामले में जब कंपनी द्वारा रिटर्न दाखिल नहीं किया गया, तो जांच शुरू हुई. जांच में एक के बाद एक फर्जी कंपनियों का नाम सामने आने लगा, तो खुलासा हुआ. जांच में पता चला कि 18 माह में इन 45 फर्जी कंपनियों ने 80895 ई-वे बिल जनरेट किया. इस बिल के सहारे उन लोगों ने 1606 करोड़ का दो नंबर के कोयले का कारोबार कर लिया. जांच में चोरी पकड़े जाने पर राज्यकर ने इन 45 कंपनियों पर माल का पांच प्रतिशत जीएसटी व 400 रुपये प्रति मीट्रिक टन शेष मिलाकर 161.19 करोड़ का टैक्स लगाया है. इसके अलावा जीएसटी का तीन गुना पेनाल्टी भी लगाया जायेगा, लेकिन यह तब होगा जब ये कंपनियां पकड़ी जायेंगी.
ऐसे होता है खेल
जानकारों के अनुसार, फेक रेंट एग्रीमेंट व पेन नंबर से फर्जी कंपनी बनाकर ऑनलाइन निबंधन कराया जाता है. विभिन्न खदानों से जो दो नंबर का कोयला निकलता है, उस कोयले को एक नंबर बनाने के लिए फर्जी कंपनी के नाम से ऑनलाइन ई-वे बिल (परमिट) जनरेट किया जाता है. उस परमिट से कोयले को या तो राज्य के बाहर भेजा जाता है या स्थानीय भट्टों में खपाया जाता है.
ई-वे बिल निकालने का कोई लिमिट नहीं
गौरतलब है कि एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ. जीएसटी में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है. यहां पर इसी का फायदा उठाया गया. फर्जी कंपनी बनाकर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराया गया और ई-वे बिल (परमिट) निकालने का भी कोई लिमिट नहीं रहने के कारण कई फर्जी कंपनियों ने करोड़ों का परमिट जेनरेट कर दो नंबर का कोयला बेच दिया. नियम के मुताबिक, सेल किये गये माल का थ्री बी रिटर्न दाखिल करना होता है. जब कंपनी द्वारा रिटर्न दाखिल नहीं किया गया, तो जांच शुरू हुई. जांच में पूरा मामला सामने आया.
जिन कंपनियों का नाम आया है सामने
फर्जी कंपनी का नाम ई वे बिल कोयला बेचा
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शबनम इंटरप्राइजेज 639 “1891245942
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अनवर कोल डिपो 967 “154028491
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केजीआर ट्रेडिंग 1183 “180590032
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झारखंड-बिहार ट्रेडर्स 1363 “210566968
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सलमा इंटरप्राइजेज 9242 “1446074802
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सपना इंटरप्राइजेज 1878 “390689487
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यूके ट्रेडर्स 4113 “592802833
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मजदूर इंटरप्राइजेज 904 “254358685
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शिव शंकर कोल सप्लाई 2519 “321695552
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सिंह इंटरप्राइजेज 3415 “567287879
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कृष्णा इंटरप्राइजेज 845 “286097871
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सुनील इंटरप्राइजेज 1788 “240310701
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एमबी इंटरप्राइजेज 5262 “943332790
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डीबी इंटरप्राइजेज 7094 “1222316902
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एलसी इंटरप्राइजेज 2645 “485464016
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एनपी इंटरप्राइजेज 3342 “574225399
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साहा इंटरप्राइजेज 2198 “391881188
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राजेश इंटरप्राइजेज 1010 “139007494
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केजीएन ट्रेडर्स 737 “126135715
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अली ट्रेडिंग कंपनी 891 “154590217
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मां तारा इंटरप्राइजेज 1822 “350489907
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गायत्री इंटरप्राइजेज 000 000
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फर्जी कंपनी का नाम ई वे बिल कोयला बेचा
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गणेश इंटरप्राइजेज 5748 “825496046
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सरस्वती इंटरप्राइजेज 1537 “370243049
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बजरंग इंटरप्राइजेज 240 “49578436
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मां शांति ट्रेडिंग 781 “219798468
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अरविंद इंटरप्राइजेज 1405 “273902909
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आरडी कॉमर्शियल 2087 “343670992
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अमित ट्रेडर्स 2674 “480679727
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एसके ट्रेडर्स 712 “184921848
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माता इंटरप्राइजेज 121 “18146171
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उमेश इंटरप्राइजेज 287 “53909956
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कन्हैया इंटरप्राइजेज 3183 “635550456
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खवाजा इंटरप्राइजेज 622 “88590670
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सूर्या ट्रेडर्स 349 “111008194
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अरमान इंटरप्राइजेज 323 “96770881
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एसबी कॉमर्शियल 954 “154675724
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एसके इंटरप्राइजेज 176 “29297805
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जीत ट्रेडर्स 35 “4293090
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जय बजरंग इंटरप्राइजेज 180 “34167052
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खाटू श्याम इंटरप्राइजेज 86 “14857960
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इंदादुलाह इंटरप्राइजेज 333 “136673306
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अजाद इंटरप्राइजेज 2454 “375733047
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गुलब्सा इंटरप्राइजेज 1666 “314187247