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Exclusive: फुकरे 3 की भोली पंजाबन बोलीं- आर्टिस्ट की कद्र होनी चाहिए, ऋचा चड्ढा ने अली फजल को लेकर कही ये बात

‘फुकरे 3’ निकम्मे लोगों के राजनीति में प्रवेश करने की कहानी है. सेकेंड पार्ट की घटनाओं के बाद हनी (पुलकित सम्राट), चूचा (वरुण शर्मा), लाली (मनजोत सिंह), और पंडित (पंकज त्रिपाठी) दिल्ली सरकार द्वारा प्रदान किये गये स्टोर को चलाना जारी रखते हैं.

फिल्म ‘फुकरे 3’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. एक बार फिर फिल्म की अहम किरदार भोली पंजाबन के रूप में अभिनेत्री ऋचा चड्ढा नजर आ रही हैं. इस फिल्म से जुड़ी ऋचा बताती हैं कि फुकरे को हमेशा प्यार मिलता आया है. आदमी और औरत दोनों को फुकरे के किरदार पसंद हैं. साथ ही बच्चे भी इस फिल्म के हर किरदार को खासा पसंद करते हैं, तो एक खुशी होती है कि आप एक ऐसी फिल्म का हिस्सा हैं, जिसे पूरा परिवार पसंद करता है. इस फिल्म, करियर और निजी जिंदगी पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

‘फुकरे 3’ पहले दिसंबर में रिलीज होने वाली थी. अचानक से फिल्म की रिलीज डेट्स प्रीपोंड हो गयी. कोई खास वजह?

इसको फिल्म पर भरोसा करना कहते हैं. यह फिल्म पहले दिसंबर में रिलीज होने वाली थी. मैं तो चंडीगढ़ मम्मी से मिलने जा रही थी. वहीं, जो दूसरे कलाकार फिल्म से जुड़े हैं, उनमें से कोई एम्सर्डम जा रहा था, तो कोई दूसरी फिल्मों के लिए कुछ कर रहा था. मगर, एक फोन गया कि भाई सबकुछ कैंसिल करो और फिल्म के प्रमोशन में शामिल हो जाओ.

भोली पंजाबन एक बहुत ही लोकप्रिय किरदार है. आप दो बार इसे निभा चुकी हैं. ऐसे में तीसरी बार किरदार में जाना आसान था?

तुरंत तो नहीं होता है कि आप एक सेकेंड में किरदार में चले जाएं. निजी जिंदगी में ऐसे कौन रहता है. हर तरह के गंदे काम में वो शामिल है. हद से ज्यादा इल्लीगल औरत है. इस बार कहानी में उसने सोचा कि छोटी चोरी बहुत हो गयी.अब लंबा हाथ मारा जाये, इसलिए वह नेता बनने के लिए चुनाव में खड़ी है. कहीं ना कहीं फुकरों का भी जमीर जग जाता है कि भोली पंजाबन अगर नेता बन गयी, तो फिर क्या होगा. इसी के इर्द-गिर्द कहानी बुनी गयी है.

‘फुकरे’ ब्रांड बन चुका है. इसका श्रेय किसे देंगी?

इस फिल्म के निर्माता रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर को श्रेय देना चाहूंगी. रितेश और फरहान ने बड़े दिल से हमें सपोर्ट किया है. नये लोगों के साथ कोई इतना चांस नहीं लेता है. आपको याद हो, तो पहले पार्ट के प्रमोशन में फरहान हर जगह हमारे साथ थे. वो उस वक्त जानते थे कि फिल्म को उनकी जरूरत है. मैं बताना चाहूंगी कि दोनों प्रोड्यूसर्स के परिवार वाले भी हमें बहुत प्यार और आशीर्वाद देते हैं. एक्सेल का वर्क कल्चर भी बहुत अच्छा है. इनके ऑफिस में कितनी सारी लड़कियां काम करती हैं. बाकी ऑफिस में 70 प्रतिशत पुरुष और 30 प्रतिशत लड़कियां हैं. यहां लड़कियों का आंकड़ा 40 प्रतिशत से ज्यादा है. मेरा ख्वाब है कि आज से बीस साल बाद मैं भी ऐसे एक प्रोडक्शन हाउस तक पहुंच पाऊं. अच्छा प्रोडक्शन हाउस हर फिल्म की बहुत बड़ी जरूरत है.

‘फुकरे 3’ में अली फजल नहीं है. उनको कितना मिस किया?

अली को हमने बहुत मिस किया. हम 2021 के मार्च में शूटिंग पर जाने वाले थे. किसी ने बोल दिया कि कोविड वापस आने वाला है. सेकेंड वेव से कुछ दिन पहले शूटिंग बंद हो गयी. उसके बाद देश का क्या हाल हुआ, सबको पता है. उसी दौरान उनको बाहर की फिल्म मिल गयी और उनको साइन कर लिया गया, तो वो चाहकर भी फिल्म से जुड़ नहीं पाये. बेचारे ये भी पूछते रहते थे कि लंच में मोमोज आया था या फिर नान. (हंसते हुए) प्रमोशन के दौरान भी कहा कि यार मुझे कोई स्टोरी में टैग क्यों नहीं कर रहा है. मैं बोलती- क्यों तुमको टैग करेंगे, तुमने खुद हॉलीवुड चुन लिया और हिंदुस्तानियों को भूल गये.

अली की अबतक की जर्नी बहुत खास रही है. हिंदी सिनेमा ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड में भी उन्होंने अपनी एक खास पहचान बनायी है. उनकी ये उपलब्धि आपको कितना खुशी देती है?

बहुत प्राउड होता है और कहीं ना कहीं ये बात चुभती भी है कि अगर कोई इनसाइडर का ये अचीवमेंट होता था, तो लोग चीख-चीख के बोलते, पर अली को वो सम्मान नहीं मिलता है, जिसके वे हकदार हैं. आप उनका रेंज देखो, वो मिर्जापुर में गुड्डू पंडित बनते हैं और हॉलीवुड में अब्दुल भी. अभी उनकी फिल्म ‘डेथ इन नाइट’ में उन्होंने आर्मेनियन एक्सेंट पकड़ा था. इन सब में मेहनत लगती है.

आप भी एक हॉलीवुड फिल्म कर रही हैं ?

हां, कर रही हूं, लेकिन उस लेवल की नहीं कर रही हूं, जैसा अली करते हैं. अली बड़े-बड़े स्टूडियोज की फिल्म करते हैं. मेरा बाहर कोई एजेंट नहीं है. मुझे बस वो फिल्म ‘आइना’ मिल गयी. ये एक रिफ्यूजी लड़की की कहानी है. उसमें हॉलीवुड के एक बहुत बड़े एक्टर हैं. उसका एक शेड्यूल हो गया है. दूसरे का इंतजार है.

फिर से बॉलीवुड फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर इतिहास रच रही हैं?

बहुत खुश हूं. बहुत बकवास हुई थी कि बॉलीवुड खत्म हो गया. ये वो… यहां के लोग ड्रग्स लेते हैं. अरे! कुछ लोगों की वजह से आप पूरी इंडस्ट्री को नेगेटिव नहीं बोल सकते हैं. हमारी स्किन देखो, बाल देखो, हम ड्रग्स लेते, तो क्या ऐसे दिखते. कोविड में हमने ही सभी का मनोरंजन किया था. आर्टिस्ट की कदर होनी चाहिए.

‘हीरा मंडी ’ का भी सबको बेसब्री से इंतजार है. आप क्या कहेंगी ?

‘हीरा मंडी ’में ‘वासेपुर’ से ज्यादा इम्पैक्ट होगा. मैं इससे ज्यादा अपने किरदार के बारे में बता नहीं पाउंगी. भंसाली सर ने मुझे निचोड़ दिया. मेरा इगो ध्वस्त करके मुझे बनाया है. मैं इसके लिए उनकी कृतज्ञ हूं.

‘हीरा मंडी ’में ‘वासेपुर’ से ज्यादा इम्पैक्ट होगा. मैं इससे ज्यादा अपने किरदार के बारे में बता नहीं पाउंगी. भंसाली सर ने मुझे निचोड़ दिया. मेरा इगो ध्वस्त करके मुझे बनाया है. मैं इसके लिए उनकी कृतज्ञ हूं.

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