बीते शुक्रवार सिनेमाघरों में रिलीज हुई सनी देओल स्टारर फ़िल्म ग़दर 2 बॉक्स ऑफिस पर क़ामयाबी की नयी कहानी लिख रही है. फ़िल्म ने महज तीन दिनों में 135 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है.मुंबई में आज इस फ़िल्म के सक्सेस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अभिनेता सनी देओल ने दर्शकों का आभार जताते हुए कहा कि वह हमेशा से चाहते थे कि यह गदर भी पिछली गदर की तरह गदर मचाए. फ़िल्म के आगामी कलेक्शन के बारे में वह सिर्फ इतना कहते हैं कि यह दर्शकों के ऊपर हैं कि वह फ़िल्म कहां लेकर जाते हैं. सनी देओल इस बात को कहने के साथ ये भी कहना नहीं भूलते हैं कि बीते दौर के फिल्मों की सफलता का पैमाना सिल्वर जुबली और गोल्डन जुबली हुआ करता था. जो बहुत खास था.मुझे लगता है कि पहले लोग वो फ़िल्म देखते थे, जो उनका दिल करता था. हर हफ्ते वे अपनी पसंद की उस फ़िल्म को देख आते थे. हर सिनेमाहॉल में एक हज़ार सीट्स होती थी.अब मल्टीप्लेक्स ने इसे 4 अलग-अलग स्क्रीनस में बांट दिया. हालांकि उस वक़्त भी सही बिजनेस आंकड़ा हम तक नहीं पहुंच पाता था, क्योंकि टिकटों की ब्लैक बहुत होती थी.प्रॉड्यूसर बेचारा पैसे लगाकर बनाता था और एक्सहिबिटर उससे ज़्यादा पैसे बनाता था, लेकिन उस वक़्त सिनेमा बनाने का जूनून होता था.
फ़िल्म की क़ामयाबी पर रोया भी और हंसा भी
सनी देओल तारा सिंह के किरदार को अपने पसंदीदा किरदारों में से एक करार देते हैं. वह यह बताना नहीं भूलते हैं कि गदर 2 की रिलीज को लेकर मैं बहुत स्ट्रेस में था.मैं हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चला हुआ. वह रास्ता बहुत कठिन होता है लेकिन जब इसमें सफलता मिलती है, तो वह बहुत मीठी होती हैं.जब फ़िल्म लगी और जो रिस्पांस मिलना शुरू हुआ. ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर रब आ गया. मैं कभी हंस रहा था, तो कभी रो रहा था. पापा ने मुझे देखा तो मैंने उनको बोला कि मैंने दारु नहीं पी. मैं बस ख़ुशी से पागल हो गया हूं.
पापा ज़्यादा कुछ बोलते नहीं हैं
गदर 2 और सनी के परफॉरमेंस की सभी तरफ जमकर तारीफें हो रही हैं.पिता धर्मेन्द्र से मिली सराहना के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं कि गदर 2 की स्क्रीनिंग के वक़्त पापा से अलग थिएटर की सीढ़ियों पर बैठकर मैंने इस फ़िल्म को देखा.पापा के साथ बैठकर फ़िल्म देखने की आज भी हिम्मत नहीं होती हैं. पापा की कुछ खासियत है कि वे ज़्यादा कुछ कहते नहीं है बस हंस देंगे या फिर झप्पी डाल देंगे, तो इस फ़िल्म के बाद उन्होंने ऐसा रिएक्शन दिया.
हैंडपम्प वाला सीन करने से हिचक रहा था
हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक किरदारों में से एक फ़िल्म गदर का हैंडपम्प वाला सीन रहा है. गदर 2 में भी इस सीन को दोहराया गया है. इस पर बातचीत करते हुए वे कहते हैं कि पहले जो सीन हो चुका हैं, उसको करने से मैं झिझकता हूं, तो गदर 2 में उसी सीन को करने में थोड़ी हिचक थी,लेकिन जब शर्मा जी ने और टीम ने मुझे पूरा सीक्वेन्स समझाया तो वह मुझे बेहद रोचक लगा और वह परदे पर उसी तरह से आया भी है.
आगे भी ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनता रहूंगा
गदर 2 की सफलता को देखकर एक बार फिर यह बात साबित होती है कि लार्जर देन लाइफ और हीरोइक सिनेमा का दौर था और रहेगा.लोगों नें इस तरह की फ़िल्में बनाना बंद कर दिया था. हमने शुरू किया. मैं अपने फैन्स को वादा करता हूं कि आगे भी ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनता रहूंगा. मासेस फ़िल्म क्या बोलते हैं. हम सब पब्लिक ही हैं. दूसरों की नकल फ़िल्में बनानी बंद करनी चाहिए. अपने किरदार और कहानियों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
गदर रामायण से प्रेरित थी गदर 2 महाभारत से
निर्देशक अनिल शर्मा गदर के सीक्वल के लिए लोग मुझसे कबसे डिमांड कर रहे थे, लेकिन मैं अच्छी कहानी का इंतजार कर रहा था और वह इंतजार 2019 की नवरात्री को पूरा हुआ. नवरात्री का पहला दिन था. पूजा करके उठा था, तभी लेखक शक्तिमान आए और उन्होने कहा प्रसाद मैं आपको देता हूं. उन्होने मुझे कहानी का वन लाइनर सुनाया. मुझे उसी वक़्त यकीन हो गया कि यह फ़िल्म 500 करोड़ वाली थी. पहली गदर रामायण से प्रेरित थी, जबकि दूसरी महाभारत से. अगर अभिमन्यु चर्कव्यूह में फंसा होता था और उसी वक़्त अर्जुन आ जाता तो महाभारत वही खत्म हो जाता था. गदर 2 की कहानी वही से शुरू होती हैं. गदर 3 पर बातचीत करते हुए अनिल कहते हैं कि अच्छी कहानी के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है. वो कहानी 22 दिन में भी मिल सकती है या फिर कई सालों का इंतजार करना पड़ सकता हैं. गदर फ़िल्म नहीं दर्शकों के लिए इमोशन हैं, तो कुछ भी बनाकर खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं.