गदर 2 इस शुक्रवार यानी 11 अगस्त को सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. सनी देओल स्टारर इस फ़िल्म में उत्कर्ष शर्मा की भी अहम भूमिका है. गदर में वह बाल कलाकार की भूमिका में नजर आए थे, गदर 2 में वह युवा कलाकार के तौर पर दिखेंगे. गदर की यादों और गदर 2 से जुड़ी उम्मीदों पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
फ़िल्म के फर्स्ट डे बुकिंग पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
बहुत अच्छा है. फ़िल्म के ट्रेलर लॉन्च के बाद से ही फ़िल्म को लेकर जबरदस्त उत्साह लोगों में देखने को मिला है. इंडस्ट्री से लेकर आम लोगों के बीच. बुकिंग शुरू होने के बाद भी बहुत अच्छा रिस्पांस देखने को मिला है.मुझे लगता है कि यह पूरी इंडस्ट्री के लिए बहुत अच्छा हैं.
ओएमजी 2 के साथ क्लैश में अब तक पलड़ा गदर 2 का ही भारी नजर आ रहा है?
क्लैश हो भी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि दोनों के दर्शक बिल्कुल अलग है.गदर और लगान एक साथ आयी थी और दोनों चली थी. अभी ओपनहाइमर और बार्बी भी चली. मुझे लगता है कि इससे फ़िल्म देखने का माहौल और बनता है.अभी तो इंडस्ट्री को दोनों ही फिल्मों की चलने की ज़रूरत हैं.
रॉकी एंड रानी की प्रेमकहानी की सफलता का फायदा क्या आपको मिलेगा, क्योंकि दर्शकों ने थिएटर में आना शुरू कर दिया है?
लॉक डाउन के बाद अब तक एक तरह से सिनेमा का रीबर्थ हो रहा है. हम चाहेंगे कि हम भी उसका हिस्सा बने. लॉकडाउन से पहले रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्में जो बॉलीवुड से एक तरह से खत्म हो रही थी. अमेरिकन सिनेमा में तो खत्म ही हो गयी हैं. वहां पर बड़े एक्टर्स के साथ रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्में आजकल बनती नहीं है.रॉकी और रानी बनी और लोग उसे पसंद कर रहे हैं. यह बहुत अच्छी बात है.दर्शक थिएटर में वो फ़िल्में देखने आ रही हैं, जो इस इंडस्ट्री की ब्रेड एंड बटर थी. सब अच्छा और बढ़िया हो रहा है.
गदर 2 के पठान के कलेक्शन से ज़्यादा कमाई करने की चर्चाओं पर आपकी क्या राय है?
मैं चाहता हूं कि हजार करोड़ के लोगों के दिल में यह फ़िल्म बस जाए. उससे बड़ी जीत कोई नहीं हो सकती है. वो कोई पैसा नहीं नाप सकता है. आप जब लोगों के दिलों में रहते हैं तो ही गदर फ़िल्म गदर बनती है.
बाईस साल बाद जीते के किरदार में जाना कितना मुश्किल था?
बहुत इमोशन से भरा था, क्योंकि जीते का किरदार गदर के लोकप्रिय किरदारों में से एक था.बच्चा था, तो उस वक़्त जो अच्छा लगा करता चला गया. इस बार भी कोशिश यही थी कि दिल से इस किरदार को निभाऊँ.इस बार मेरा किरदार 20 से 22 साल की उम्र का है,तो उसमे एक लड़कपन है, जो उसको अलग तरह की चीज़ों में भी डाल देता है, जिससे कहानी में कई ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं.
कहानी इस बार 70 के दशक पर आधारित है, तो क्या कोई विशेष तैयारी करनी पड़ी?
यह किरदार पंजाब बेस्ड है, तो पंजाबी भाषा पर काम करना पड़ा.पाकिस्तान भी फ़िल्म का हिस्सा है, तो उर्दू भाषा पर भी काम करना पड़ा. इसके अलावा 1971 के माहौल को समझने के लिए इतिहास की थोड़ी किताबें भी पढ़ी. उस दौर के लोगों से भी बात की, जो उस वक़्त 18 से 20 साल की उम्र के होंगे. इस फ़िल्म के ड्रेसिंग में आपको उस दौर के एक्टर्स की झलक देखने को मिलेगी.वैसे 70 के दशक को परदे पर शूट करना आसान नहीं था.आज हर किसी के हाथ में फोन है. जगह – जगह मोबाइल टावर है. हर घर में एसी है. गदर वन बनाना आसान था. गदर 2 में इन बातों का बहुत ख्याल रखना पड़ा.
आपके पिता अनिल शर्मा की यह फ़िल्म है क्या कैमरे के पीछे भी आपकी जिम्मेदारी थी?
मेरे पिता और मेरे बीच सेट पर एक अनकही प्रोफेशनल बाउंड्री सेट पर होती है. मैं सेट पर एक एक्टर हूं. उसके अलावा और कुछ नहीं.वैसे भी इस फ़िल्म से सब दिग्गज जुड़े हैं, उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है.उनको मैं क्या सीखा सकता हूं.कैमरे के पीछे काम करना आसान नहीं होता है. तेज धूप, ठण्ड में हालत हो जाती है और कैमरे के सामने आपको अच्छा दिखना होता है.
सनी सर के साथ अनुभव को किस तरह परिभाषित करेंगे?
सनी सर के साथ अनुभव बहुत अच्छा था. मैंने बचपन में उन्हें जैसे देखा था. वो आज भी वैसे ही हैं. उनके साथ में मैंने ये महसूस किया कि वो टीम प्लेयर हैं, जूनियर आर्टिस्ट भी अपना किरदार अच्छे से करें. अगर सिर्फ चलकर उसे आना है, तो भी वह सही तरीके से करें. इसका वो पूरा ख्याल रखते हैं. सीन को परफॉर्म करने का उनका अपना तरीका है. वो आएंगे और अपने सीन को रिहर्स करेंगे अपने माइंड में. सेट के आसपास थोड़ा वॉक करेंगे फिर उसको परफॉर्म करेंगे. उनके एक्शन स्तर कि इमेज़ बहुत बड़ी है, तो अक्सर लोग भूल जाते हैं कि उनके अंदर जो एक्टर है, वो कितना ग्रेट है.जब वो दामिनी जैसी फ़िल्म करते हैं, तो वो आपको दिखता है.गदर में भी जो उनके नॉन एक्शन सीन है, वो हाईलाइट है.गदर 2 में भी एक्शन के साथ – साथ जो उनके नॉन एक्शन सीन हैं. इस तरह के कलाकार के साथ काम करके मजा आता है. इससे एक्टर के तौर पर भी आप बेहतर होते हैं.
सनी सर के साथ एक्शन सीन करते हुए क्या नर्वस थे?
जब दुश्मन को वो डरा सकते हैं, तो अपने लोगों में जोश वे भर ही सकते हैं.एक्शन सीन सनी सर के साथ करना मेरा क्या हर किसी का सपना है. लोग आते थे और बोलते थे कि हमें फ़िल्म में कुछ बना दो बस सनी सर के हाथ का एक मुक्का खाना है.इस फ़िल्म में एक्शन सीन बहुत रियलिस्टिक तरीके से शूट हुए हैं. पांच हज़ार लोगों की भीड़ के साथ एक्शन शूट हुआ है. जैसे गदर वन में हुआ था.
गदर की क़ामयाबी ने आपको आपके स्कूल में कितना पॉपुलर बना दिया था?
स्कूल में मैं किसी को बताता नहीं था. फ़िल्म में वैसे भी मैंने पगड़ी पहनी हुई थी. बाल भी लम्बे दिखाए गए थे, तो लोग ऑफ स्क्रीन पहचान नहीं पाते थे. सभी पांच – छह साल के ही बच्चे थे, तो वे पहचान नहीं पाते थे. मेरे बेस्ट फ्रेंड को ही सिर्फ पता था. बाद मैं उसने सबको बताया था. मैं हमेशा से अटेंशन से दूर रहना पसंद करता रहा हूं.
गदर का हिस्सा बनने के बाद भी आपने सलमान खान की फ़िल्म वीर में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करने के बाद ही क्यों तय किया कि मुझे एक्टर बनना है?
गदर में मुझे कास्ट करना मज़बूरी थी, क्योंकि कोई बच्चा मिल नहीं रहा था. शूटिंग सर पर थी. अमीषा जी ने राय दी और एक ईपी ने भी यही कहा. मेरे मम्मी पापा को मज़बूरी में यह फैसला लेना पड़ा. वो चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर फोकस करुं. यही वजह है कि गदर की क़ामयाबी के बावजूद मेरे माता पिता नें मुझे आगे बाल कलाकार के तौर पर काम नहीं करने दिया. मैं बताना चाहूंगा कि गदर बहुत रियलिटी में शूट हुई थी. लखनऊ में मई की चिलचिलाती गर्मी में बिना नींद के हमने लगातार 72 घंटे शूट किया था. लू चल रही है राजस्थान में और मैं ट्रेन में भाग रहा हूं.सच कहूं तो एक बच्चे के लिए बहुत सहमा देने वाला अनुभव था.उसके बाद शायद ही कोई एक्टिंग के बारे में सोचें. हांफिल्मों से प्यार था. फ़िल्में देखना पसंद था, ज़ब वीर के वक़्त सलमान खान को असिस्ट किया तो उस वक़्त मैं ग्रोइंग इयर्स में था. ऐसा वक़्त जब आप चुन सकें कि आपको क्या करना है.सलमान सर के साथ काम करते हुए लगा कि एक्टिंग में आना चाहिए.
कई लोगों का ये भी कहना है कि गदर एक क्लासिक फ़िल्म थी, उसका सीक्वल नहीं बनना चाहिए?
हम गदर 2 के लिए कहानी ढूंढ रहे थे. ऐसा नहीं है. बस ये हो गया. शक्तिमान जी, जो गदर वन के भी लेखक थे उन्होने कहा कि मेरे पास गदर 2 के लिए एक कहानी है. बस एक लाइन सुनाऊंगा. कहानी सुनने के बाद पापा नें सनी सर को सुनाई और फिर जी को और एक लाइन में ही फ़िल्म फाइनल हो गयी. हमें लगा कि हम इस कहानी से गदर 2 के साथ बखूबी न्याय कर पाएंगे क्योंकि गदर के किरदारों के साथ ही यह कहानी घट सकती है.
क्या आप अपने पिता के अलावा दूसरे प्रोडक्शन हाउस में भी काम करने के लिए ओपन हैं?
हां जरूर,लेकिन मैं इंडियन हार्टलैंड की फिल्मों का हिस्सा बनता रहना चाहूंगा. छोटे शहर के लोगों के लिए, मुझे लगता है कि उनको एंटरटेनमेंट की ज़्यादा जरूरत है. इस सोच की भी जरूरत है कि शहर में उनके बारे में भी लोग सोच रहे है.