देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण. हर एक गण में 9 नक्षत्र आते हैं. गण देखने के लिए सबसे पहले अपने चन्द्रमा की राशि और नक्षत्र देखें. फिर देखें आपका नक्षत्र किस विभाजित हिस्से में आता है. मान लीजिए आप स्वाति नक्षत्र के है, तो आपका गण देव गण हुआ.
देव गण- जिन जातक का जन्म अश्विनी, मृगशिरा, पुर्नवासु, पुष्य, हस्त, स्वाति, अनुराधा, श्रावण, रेवती नक्षत्र में होता है, वे देव गण के जातक होते हैं.
सुंदरों दान शीलश्च मतिमान् सरल: सदा।
अल्पभोगी महाप्राज्ञो तरो देवगणे भवेत्।।
इसका अर्थ है – देव गण में जन्मे जातक सुंदर, दान में विश्वास करने वाले, विचारों में श्रेष्ठ, बुद्धिमान होते हैं. इनको सादगी बेहद प्रिय है, जिस काम को करने का प्रण लेते हैं उसको करके ही मानते हैं.
जिन जातकों का जन्म भरणी, रोहिणी, आर्दा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा, उत्तर षाढा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद में होता है, वे मनुष्य गण के जातक होते हैं.
मानी धनी विशालाक्षो लक्ष्यवेधी धनुर्धर:।
गौर: पोरजन ग्राही जायते मानवे गणे।।
इसका अर्थ है – ऐसे जातक स्वाभिमानी, धनी, विशाल नेत्र वाला, चतुर, अपने लक्ष्य को पाने वाला, धनुर्धर, अपने साथी लोगों को ग्रह करने वाला यानी उन पर अपनी छाप छोड़ने वाला होता है.
जिन जातकों का जन्म अश्लेषा, विशाखा, कृत्तिका, चित्रा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग राक्षण गण के अधीन माने जाते हैं.
उन्मादी भीषणाकार: सर्वदा कलहप्रिय:।
पुरुषों दुस्सहं बूते प्रमे ही राक्षसे गण।।
राक्षस गण के जातक उन्माद से भरपूर, हमेशा कलह करने वाले, भीषण रूप वाले यानी हमेशा बिगड़े हुए दिखने वाले, दूसरों के अवगुण पहचानने वाले होते हैं. इनको गलत चीज़ें होने का पूर्वाभास भी हो जाता है.
शादी के वक्त जो अष्टकूट मिलान किया जाता है. उनमें से गण दोष को भी देखा जाता है. आप बिना जाने उनके व्यक्तित्व के बारे में सिर्फ एक हिंट जान सकते हैं. पूरी तरह उसपर निर्भर नहीं किया जा सकता, क्योंकि व्यक्तित्व बहुत चीज़ों से मिल कर बनता है.