Ganesh ji ki aarti: जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा… इस आरती और मंत्र से करें गणेशजी को प्रसन्न
गणेश महोत्सव की तैयारियां देश में जोरों-शोरों से चल रही हैं. इस पर्व को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गणेश उत्सव का समापन पंचांग के अनुसार 19 सितंबर 2021 को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाएगा. इस तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
गणेश महोत्सव की तैयारियां देश में जोरों-शोरों से चल रही हैं. 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गणेश उत्सव का समापन पंचांग के अनुसार 19 सितंबर 2021 को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाएगा. इस तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.
भगवान गणेश की पूजा में पूजन सामग्री और प्रसाद के साथ ही मंत्रों का भी विशेष महत्व है. यहां हम भगवान गणेश से जुड़े कुछ सामान मंत्र दे रहे हैं, जिनका उच्चारण पूजा के दौरान किया जा सकता है.
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ॐ गं गणपतये नमः
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श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
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ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
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ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
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ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
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गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं गणेश जी कीविशेष आरती…
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
आरती : सुखकर्ता दुखहर्ता
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची।
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव…
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा।
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव…
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना।
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकष्टी पावावें, निर्वाणी रक्षावे,
सुरवरवंदना॥
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति।
दर्शनमात्रे मन कामनापूर्ति॥ जय देव…
Posted By: Shaurya Punj