Ganesh Chaturthi 2022 Live: गणपति पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, नियम समेत महत्वपूर्ण डिटेल जानें
Ganesh Chaturthi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timings in India: गणेश उत्सव आज से शुरू होने जा रहा है. 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने की संपूर्ण विधि, नियम, शुभ मुहूर्त समेत महत्वपूर्ण डिटेल्स जानें.
मुख्य बातें
Ganesh Chaturthi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Timings in India: गणेश उत्सव आज से शुरू होने जा रहा है. 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने की संपूर्ण विधि, नियम, शुभ मुहूर्त समेत महत्वपूर्ण डिटेल्स जानें.
लाइव अपडेट
मोदक चढ़ाने से मिलती है कर्ज से मुक्ति
ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश को यदि कोई मोदक चढ़ाता है तो वह उसकी मुराद जल्दी पूरी करते हैं. साथ ही मान्यता है कि मोदक चढ़ाने से व्यक्ति को कर्ज से भी मुक्ति मिलती है. इसके अलावा भगवान गणेश को बूंदी के लड्डू भी अत्यंत प्रिय हैं. लड्डू का भोग लगाने से गणेशजी व्यक्ति को धन समृद्धि को वरदान देते हैं.
सिंदूर से करें गणेश का श्रृंगार
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री गणेश जी का श्रृंगार सिंदूर से ही किया जाता है. मान्यता है कि इससे साधक की समस्त समस्याएं दूर होती हैं. गणेशोत्सव के दिन करने से बुध और केतु दोनों ग्रहों की अशुभता से मुक्ति मिल जाती है.
आनंद महिंद्रा ने शेयर की गणेश चतुर्थी की इमोशनल वीडियो
गणेश चतुर्थी की एक कहानी…भारत की एक कहानी… के नाम से बिजनेस मैन आनंद महिंद्रा ने अपने ट्विटर पर एक इमोशन वीडियो स्टोरी शेयर की है. वीडियो में एक ट्रक ड्राइवर है जो बप्पा की मूर्ति को अपने साथ घर ले जा रहा है और उनसे अपने घर परिवार की बातें शेयर कर रहा है. इस वीडियो को अबतक 81.3k लोग देख चुके हैं.
मारवाड़ी क्लब गणेश मूर्ति
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गणपति की क्यों हैं दो पत्नियां
पौराणकि कथा के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी करने से इनकार कर दिया. गणपति की बात सुनकर तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारे दो विवाह होंगे.
गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:31 ए एम से 05:17 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:53 ए एम से 12:43 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:23 पी एम से 03:12 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:20 पी एम से 06:44 पी एम
अमृत काल- 06:59 ए एम से 08:28 ए एम
रवि योग- 06:04 ए एम से 12:58 पी एम
गणेश चतुर्थी के दिन कब से कब तक चंद्र दर्शन न करें
गणेश चतुर्थी बुधवार, अगस्त 31, 2022 को
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 30, 2022 को 03:33 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - अगस्त 31, 2022 को 03:22 पी एम बजे
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 03:33 पी एम से 08:40 पी एम, अगस्त 30 अवधि - 05 घण्टे 07 मिनट्स
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 09:26 ए एम से 09:11 पी एम अवधि - 11 घण्टे 44 मिनट्स
गणेश चतुर्थी का चांद न देखें
गणेश चतुर्थी चंद्र देव के दर्शन नहीं करने चाहिए. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना अपशकुन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से झूठा कलंक या आक्षेप लगने की संभावना होती है.
इन्होंने की थी गणपति उत्सव की शुरुआत
भारत में गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक मनाया जाता है. यह दस दिनों तक चलने वाला हिंदू धर्म का पौराणिक पर्व है. युगों युगों से गणेश उत्सव का आयोजन होता आ रहा है. उत्सव के प्रमाण हमें सातवाहन, राष्ट्रकूट तथा चालुक्य वंश के काल से मिलते है. गणेश उत्सव को मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने राष्ट्रधर्म और संस्कृति से जोड़कर एक नई शुरुआत की थी.
गणेश मूर्ति स्थापना की सही दिशा
यदि इस गणेश चतुर्थी पर आप भी घर में गणपति को स्थापित करने जा रहे हैं तो कुछ खास बातें याद रखें. गणेश की मूर्ति की स्थापना अगर दिशा और कोण के आधार पर करेंगे तो निश्चित ही आपकी पूजा फलदायी होगी. गणपति की सही दिशा में स्थापना आर्थिक समृद्धि के द्वार खोलती है. घर में भगवान गणेश की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करना उत्तम होता है.
गणेश मूर्ति स्थापना विधि
गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने के पश्चात नई चौकी लें और इसे गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रख कर भगवान गणपति की आराधना करें. इसके बाद गणपति के मुर्ति को चौकी पर स्थापित करें. अब आप भगवान गणेश की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़कें और मुर्ति के दोनों तरफ एक एक सुपारी रखें. भगवान गणेश की मुर्ति के दाईं ओर एक जल से भरा कलश रखें. अब आप गणपति की आराधना करते हुए 'ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें. मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से हमारे घर में हमेशा खुशहाली बरकरार रहती है.
गणेश मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त 31 अगस्त को सुबह 06 बजे से 09 बजे तक, सुबह 10:30 से दोपहर 02 बजे तक, दोपहर 03:30 बजे से शाम 05 बजे तक शाम 06 बजे से 07 बजे तक है. इस दिन मूर्ति स्थापना करने का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11 से दोपहर 01:20 तक है, क्योंकि इस मध्य काल में भगवान गणपति का जन्म हुआ था.
गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री
भगवान गणेश की प्रतिमा
लाल कपड़ा
दूर्वा
जनेऊ
कलश
नारियल
पंचामृत
पंचमेवा
गंगाजल
रोली
मौली लाल
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:31 ए एम से 05:17 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:53 ए एम से 12:43 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:23 पी एम से 03:12 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:20 पी एम से 06:44 पी एम
अमृत काल- 06:59 ए एम से 08:28 ए एम
रवि योग- 06:04 ए एम से 12:58 पी एम
गणेश मूर्ति स्थापना विधि
गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने के पश्चात नई चौकी लें और इसे गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रख कर भगवान गणपति की आराधना करें. इसके बाद गणपति के मुर्ति को चौकी पर स्थापित करें. अब आप भगवान गणेश की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़कें और मुर्ति के दोनों तरफ एक एक सुपारी रखें. भगवान गणेश की मुर्ति के दाईं ओर एक जल से भरा कलश रखें. अब आप गणपति की आराधना करते हुए 'ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें. मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से हमारे घर में हमेशा खुशहाली बरकरार रहती है.
छत्रपति शिवाजी महाराज ने किया था गणेश उत्सव की शुरुआत
भारत में गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक मनाया जाता है. यह दस दिनों तक चलने वाला हिंदू धर्म का पौराणिक पर्व है. युगों युगों से गणेश उत्सव का आयोजन होता आ रहा है. उत्सव के प्रमाण हमें सातवाहन, राष्ट्रकूट तथा चालुक्य वंश के काल से मिलते है. गणेश उत्सव को मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने राष्ट्रधर्म और संस्कृति से जोड़कर एक नई शुरुआत की थी.
क्यों हुए गणपति के दो विवाह ?
पौराणकि कथा के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी करने से इनकार कर दिया. गणपति की बात सुनकर तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारे दो विवाह होंगे.
इस बार बुधवार को होगा गणपति का आगमन
इस बार गणपति का आगमन बुधवार को हो रहा है. कोरोना संक्रमण काल के चलते दो वर्ष से गणपति उत्सवों के पांडाल सूने-सूने रहे, लेकिन इस बार भक्तों में भारी उल्लास देखा जा रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नौगजा अंबाखार में गणपति प्रतिमाओं का पूरा बाजार लगा हुआ है. यहां गणपति की विभिन्न आकृतियां पूरे साज-श्रृंगार के साथ बिक्री के लिए रखी गयी हैं.
किस दिशा में रखें गणेश की मूर्ति?
यदि इस गणेश चतुर्थी पर आप भी घर में गणपति को स्थापित करने जा रहे हैं तो कुछ खास बातें याद रखें. गणेश की मूर्ति की स्थापना अगर दिशा और कोण के आधार पर करेंगे तो निश्चित ही आपकी पूजा फलदायी होगी. गणपति की सही दिशा में स्थापना आर्थिक समृद्धि के द्वार खोलती है. घर में भगवान गणेश की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करना उत्तम होता है.
Ganesh Chaturthi 2022: कैसी होनी चाहिए गणेश जी की मूर्ति?
गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं. कहा जाता है कि गणेश जी की मूर्ति की खरीदारी बहुत ध्यान से करना चाहिए. माना जाता है कि घर में गणेश जी की ऐसी मूर्ति लानी चाहिए जिसमें गणपति की मूर्ति बाईं ओर हो.
Ganesh Chaturthi 2022: कैसी होनी चाहिए गणेश जी की मूर्ति?
गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं. कहा जाता है कि गणेश जी की मूर्ति की खरीदारी बहुत ध्यान से करना चाहिए. माना जाता है कि घर में गणेश जी की ऐसी मूर्ति लानी चाहिए जिसमें गणपति की मूर्ति बाईं ओर हो.
गणेश मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त 31 अगस्त को सुबह 06 बजे से 09 बजे तक, सुबह 10:30 से दोपहर 02 बजे तक, दोपहर 03:30 बजे से शाम 05 बजे तक शाम 06 बजे से 07 बजे तक है. इस दिन मूर्ति स्थापना करने का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11 से दोपहर 01:20 तक है, क्योंकि इस मध्य काल में भगवान गणपति का जन्म हुआ था.
पूजा सामग्री लिस्ट
भगवान गणेश की प्रतिमा
लाल कपड़ा
दूर्वा
जनेऊ
कलश
नारियल
पंचामृत
पंचमेवा
गंगाजल
रोली
मौली लाल
मोदक चढ़ाने से मिलती है कर्ज से भी मुक्ति
ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश को यदि कोई मोदक चढ़ाता है तो वह उसकी मुराद जल्दी पूरी करते हैं. साथ ही मान्यता है कि मोदक चढ़ाने से व्यक्ति को कर्ज से भी मुक्ति मिलती है. इसके अलावा भगवान गणेश को बूंदी के लड्डू भी अत्यंत प्रिय हैं. लड्डू का भोग लगाने से गणेशजी व्यक्ति को धन समृद्धि को वरदान देते हैं.
सिंदूर से करें गणेश जी का श्रृंगार
शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री गणेश जी का श्रृंगार सिंदूर से ही किया जाता है. मान्यता है कि इससे साधक की समस्त समस्याएं दूर होती हैं. गणेशोत्सव के दिन करने से बुध और केतु दोनों ग्रहों की अशुभता से मुक्ति मिल जाती है.
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी कब?
गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक मनाया जाता है. अंतिम दिन चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की विधिवत पूजा के बाद उनका विसर्जन करते हैं, पंचांग के मुताबिक, इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है.
Ganesh Chaturthi 2022: कैसी होनी चाहिए गणेश जी की मूर्ति?
गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करते हैं. कहा जाता है कि गणेश जी की मूर्ति की खरीदारी बहुत ध्यान से करना चाहिए. माना जाता है कि घर में गणेश जी की ऐसी मूर्ति लानी चाहिए जिसमें गणपति की मूर्ति बाईं ओर हो.
Ganesh chaturthi 2021: Shubh Muhurat
ब्रह्म मुहूर्त- 04:31 ए एम से 05:17 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:53 ए एम से 12:43 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:23 पी एम से 03:12 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:20 पी एम से 06:44 पी एम
अमृत काल- 06:59 ए एम से 08:28 ए एम
रवि योग- 06:04 ए एम से 12:58 पी एम
Ganesh Chaturthi 2022: शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी इस वर्ष 31 अगस्त को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में बुधवार के दिन को गणपति को समर्पित माना गया है. इस साल गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022, बुधवार को है. यानी कि 10 दिवसीय गणेशोत्सव पर्व बुधवार से शुरू होगा. जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है. गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 30 अगस्त की दोपहर से शुरू हो रही है और 31 अगस्त को दोपहर 03:23 बजे समाप्त हो रही है. गणपति की मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त 31 अगस्त दोपहर करीब साढ़े 3 बजे तक है.
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पूजा विधि
सबसे पहले सुबह नहा लें.
उसके बाद गिली मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बना लें.
अब इसे सुखा दें.
शुद्ध घी और सिंदूर, हल्दी, चंदन से उनका श्रृंगार कर दें.
उन्हें जनेऊ पहनाएं.
घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित कर दें.
धूप-दीपक जलाएं.
फल-फूल उन्हें अर्पित करें और मोदक व लड्डुओं का भोग लगाएं.
अब कपूर जलाकर उनकी आरती करें.
10 दिनों तक लगातार प्रतिदिन सुबह-शाम ऐसे ही पूजन करें.
अनंत चतुर्दशी के दिन गण्पति मूर्ती का विसर्जन विधि-विधान से कर दें.
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी महत्व
गणेश उत्सव हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है. और चतुर्दशी को समाप्त होता है. यह 10 दिनों का उत्सव है. गणेश के शरीर के विभिन्न अंगों का अलग महत्व है जिसमें सिर-आत्मान, शरीर- माया, हाथी का सिर- ज्ञान, ट्रंक-ओम का प्रतीक माना जाता है.
Ganesh Chaturthi 2022: गणेश उत्सव 31 अगस्त से
यश, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, ऐश्वर्य, सौभाग्य, सफलता, धन, धान्य, बुद्धि, विवेक, ज्ञान और तेजस्विता के प्रतीक भगवान गणेश का 10 दिवसीय उत्सव 31 अगस्त से शुरू होने जा रहा है.
सिद्धिविनायक की चार कथाएं...जो निष्ठा, प्रतिबद्धता, बुद्धि, तत्परता की देती हैं सीख
भगवान गणेश को बुद्धि का देवता कहा गया है. वहीं उनके विश्वास और कर्तव्य निष्ठा की कथाएं लोगों को प्रेरणा देती हैं. बप्पा की उत्पत्ति से लेकर उनके पराक्रम से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. इनसे इनसान सीख लेकर जीवन में अच्छे व्यक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है़ पंडित रामदेव का कहना है कि भगवान गणेश की चार कथाओं से मनुष्य सीख लेकर और अनुकरण कर जीवन में अच्छे मनुष्य के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है.
माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर नापा पूरा संसार
मान्यता है कि एक बार सभी देवता मुसीबत में थे. ऐसे में सभी भगवान शिव के शरण में गये. भगवान शिव के साथ उनके दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय भी बैठे हुए थे. देवताओं की परेशानी सुनने के बाद भगवान शिव ने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय में से कौन देवताओं की मदद करेगा पूछा. इस पर दोनों तैयार हो गये. ऐसे में भगवान शिव ने दोनों भाइयों के बीच प्रतियोगिता आयोजित की. दोनों भाई में जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करेगा उसे देवताओं की मदद करने की अनुमति दी जायेगी. पिता के निर्देश के बाद कार्तिकेय अपनी सवारी मोर लेकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े. जबकि भगवान गणेश अपनी सवारी मूषक के साथ पृथ्वी की परिक्रमा करने की सोचने लगे. भगवान गणेश ने पृथ्वी की परिक्रमा के लिए पिता शिव और माता पर्वती के नजदीक आकर सात बार परिक्रमा किया और अपना स्थान ग्रहण कर लिया. पृथ्वी की परिक्रमा कर लौटे कार्तिकेय ने खुद को विजेता बताया, जबकि गणेश जी ने माता-पिता को ही पूरा संसार माना.
सीख
इंसान को भगवान गणेश की तरह माता-पिता का भक्त होना होगा. जीवन में सभी काम के अलावा
माता-पिता की सेवा ही बड़ी पूंजी के रूप में लोग ग्रहण कर सकते हैं. माता-पिता के प्रति इंसान अपने कर्तव्य को पूरा कर संसार का हर सुख हासिल कर सकता है.
मां की आज्ञा मानने के लिए दंड सहे
माता पार्वती स्नान करने गयीं, उस वक्त उनका कोई भी रक्षक नहीं था. ऐसे में उन्होंने चंदन के लेप से गणेशजी को तैयार किया. अपने पुत्र को आदेश दिया कि उनकी अनुमति के बिना किसी को घर में प्रवेश न दें. इस बीच पिता भगवान शिव वापस लौटे, पर माता कि आज्ञा का पालन करते हुए भगवान गणेश ने उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी. इस पर पिता क्रोधित हुए और नंदी को गणेश से युद्ध करने को कहा, पर गणेश ने नंदी को हरा दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया.
गजमुख को सेवक और मित्र बना लिया
असुरों के राजा गजमुख की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने वरदान दे दिया कि वह किसी शस्त्र से नहीं मारा जायेगा. इसका दुरुपयोग करते हुए राजा गजमुख देवी-देवताओं पर भी आक्रमण करने लगे. परेशान देवता भगवान शिव के पास पहुंचे, तब उन्होंने गजमुख से युद्ध करने गणेश को भेजा. भगवान गणेश बिना किसी शस्त्र लिये राजा गजमुख से भीड़ गये. गजमुख की पीठ पर कूदकर बैठ गये. जीवनभर के लिए मूषक बना दिया. और अपने वाहन के रूप में रख लिया. वहीं राजा गजमुख हमेशा के लिए भगवान गणेश के सेवक और मित्र बन गये.
संबंध की मर्यादा को पहचानना जरूरी
मान्यता है कि भगवान गणेश की बुद्धि और पराकाष्ठा देख तुलसी ने भगवान गणेश को विवाह का प्रस्ताव दिया था. पर भगवान गणेश ने अपनी मर्यादा समझते हुए तुलसी को विवाह के लिए मना कर दिया. इसका कारण पूछने पर भगवान गणेश ने कहा कि वह लक्ष्मी स्वरूपा हैं. और लक्ष्मी उनकी मां पार्वती की ही स्वरूप हैं. ऐसे में मां के स्वरूप से विवाह करने की अनुमति धर्म नहीं देता.